Last Updated: Friday, January 3, 2014, 09:53

वाशिंगटन : भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के मामले पर अमेरिका के दो पूर्व राजनयिकों का मानना है कि इस मुद्दे पर अमेरिका और भारत गलत तरीके से पेश आए तथा अब दोनों को आगे बढ़कर एक राजनयिक हल निकालने की जरूरत है क्योंकि समाधान के लिए यह सही समय है।
पूर्व राजनयिक फ्रैंक विस्नर ने एक साक्षात्कार में कहा कि इस तूफान ने हमें निश्चित तौर पर हमें तात्कालिक तौर पर प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकियों ने इस मामले को लेकर अनुचित तरीका अपनाया, जबकि भारत की प्रतिक्रिया भावनात्मक थी। न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत और वर्ष 1999 बैच की विदेश सेवा अधिकारी देवयानी खोबरागड़े को अपनी नौकरानी संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन में झूठी घोषणाएं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2.5 लाख डॉलर के मुचलके पर रिहा किया गया था।
देवयानी (39) की कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई थी और उन्हें अपराधियों के साथ रखा गया था। इससे दोनों पक्षों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। जवाबी कार्रवाई में भारत ने अमेरिकी राजनयिकों के विशेषाधिकारों को कम करने सहित कई कदम उठाए थे। विस्नर ने कहा कि जिस स्थिति में आज हम हैं, वह बहुत अफसोसनाक है। मुझे दोनों पक्षों के जल्द कोई समाधान निकाल लेने की उम्मीद है। ऐसा सिर्फ काबिल राजनयिकों के साथ चर्चा के बाद ही संभव है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और ये इस गिरफ्तारी से प्रभावित नहीं होने चाहिए।
सेवानिवृत्त अमेरिकी राजनयिक और दक्षिण एशिया मामलों की जानी मानी विशेषज्ञ टेरेसीटा सी शैफर ने भी वर्तमान स्थिति के लिए अमेरिका और भारत दोनों को ही जिम्मेदार ठहराया। शैफर ने कहा कि आरोप गंभीर अपराध से संबंधित हैं और इनमें से एक तो पहले भी उठाया जा चुका है। खोबरागड़े के साथ हुआ बर्ताव अनावश्यक रूप से उकसाने वाला और आक्रामक था। भारत की प्रतिक्रिया खतरनाक थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हमेशा राजनयिक और वाणिज्य दूत छूट में एक अंतर (विएना संधि के अनुरूप) रखा है। अमेरिका इसे एक गंभीर अपराध मानता है और हाल ही में ऐसे कम से कम दो मुद्दे थे जिनमें भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों पर ऐसे ही अपराधों के आरोप लगे थे। शैफर ने कहा कि अन्य विकल्पों में एक औपचारिक कानूनी शिकायत हो सकती थी, जिसमें जुर्माना या वेतन वापसी शामिल हो सकती थी। या फिर उन्हें पद से हटाए जाने के लिए कहा जा सकता था या गिरफ्तारी में तलाशी प्रक्रिया में संशोधन किया जा सकता था। शैफर ने यह भी कहा कि भारत सरकार इस मामले से अलग तरह से निपट सकती थी।
उन्होंने कहा कि भारतीय राजदूत और विदेश मंत्रालय जानते थे कि इस तरह का मामला अमेरिका में परेशानी का विषय है। अन्य वाणिज्य दूतावास अधिकारियों के साथ हाल ही में ऐसे दो मामले हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भारत द्वारा राजनयिक छूट पर इसी तरह की प्रतिक्रिया देने और भारत में अमेरिकी दूतावास अधिकारियों के परिचय पत्र बदलने पर कोई समस्या नहीं है। लेकिन कुछ अन्य कदम वाकई बेहद बुरे थे। शैफर ने कहा कि मैं मुख्य रूप से दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के आगे से सुरक्षा अवरोधक हटा देने की बात कर रही हूं। यदि किसी को चोट या कोई अन्य नुकसान पहुंचता या फिर किसी की मौत हो जाती तो ऐसी स्थितियों के दोनों ही देशों के लिए बेहद गंभीर परिणाम होते। प्रतिष्ठित ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन के वरिष्ठ फेलो स्टीफन पी कोहेन ने कहा कि इस मामले में ज्यादा कुछ था नहीं और प्रेस को इनकी रिपोर्टिंग करने में बहुत मजा आता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 3, 2014, 09:53