Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 09:34

वाशिंगटन : भारत ने व्यापक आव्रजन विधेयक के कुछ कथित रूप से भेदभावकारी प्रावधानों पर अपनी चिंताओं के समाधान के लिए कांग्रेस की मदद मांगी है। इस विधेयक को यदि पारित कर कानून का रूप दे दिया गया तो इससे भारतीय आईटी कंपनियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिका में भारतीय दूतावास के प्रभारी तरनजीत सिंह संधु ने कहा, ‘भारतीय कारोबारी जगत जिस चिंता का समाधान चाहता है, वह है अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा नियुक्त बेहद कुशल गैर प्रवासी पेशेवरों की गतिविधियों पर छिड़ी मौजूदा बहस। इस मसले पर अमेरिकी कांग्रेस भारतीय कारोबारी जगत की मदद कर सकती है।’ संधु ने कहा, ‘ये भेदभावकारी प्रावधान, यदि कानून का रूप ले लेते हैं तो इससे अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बाजार में पहुंच के रास्ते में अवरोधक पैदा हो जाएंगे। इससे न केवल भारतीय आईटी कंपनियों को अपने संचालन में नुकसान होगा बल्कि अमेरिकी कंपनियों की भी क्षमता प्रभावित होगी जो अपनी सेवाओं के नवोन्मेष, विकास, प्रतिस्पर्धा के लिए भारतीय आईटी कंपनियों पर निर्भर हैं। इससे कुल मिलाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।’
संधु कैपिटल हिल में सदन की विदेश मामलों संबंधी समिति तथा जीओपी कांफ्रेंस द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। संधु ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों ने भारत. अमेरिका व्यापार तथा निवेश संबंधों को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि आज टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस तथा एचसीएल ने 50 हजार से अधिक अमेरिकी नागरिकों को नौकरियां दे रखी हैं और इसके अलावा ये कंपनियां 2,80,000 अन्य स्थानीय अमेरिकी रोजगार सृजित कर रही हैं।
उन्होंने तर्क दिया, ‘ये कंपनियां कई अमेरिकी कंपनियों के संचालन का अहम हिस्सा हैं जो उन्हें नए उत्पादों के विकास तथा संचालन और कार्य दक्षता में सुधार में मदद कर रही हैं।’ उन्होंने कहा कि व्यापार और आर्थिक साझेदारी भारत-अमेरिका के विस्तार पाते संबंधों का आधार स्तंभ हैं जिससे दोनों देशों में लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।
संधु ने कहा, ‘हमारा द्विपक्षीय कारोबार आज 100 अरब डालर तक पहुंच गया है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद, अमेरिका ने भारत को वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया जो करीब 50 अरब डालर का है और इसमें वर्ष 2013 की पहली छमाही में 12 फीसदी की वृद्धि हुई है। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए अमेरिका को एक महत्वपूर्ण स्रोत बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए भारत अब निवेश की दृष्टि से एक तेजी से बढ़ता स्रोत है ।
उन्होंने कहा कि टाटा, रिलायंस, एस्सार, पिरामल तथा अन्य समेत 65 से अधिक बड़े भारतीय निगमों ने अमेरिका में करीब 17 अरब डालर का निवेश किया है और यह निवेश पिछले पांच सालों में कोलोराडो, ओक्लाहोमा, जार्जिया, इदाहो, तेनेसी तथा कंसास जैसे कई राज्यों में किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 20, 2013, 09:34