Last Updated: Thursday, March 20, 2014, 14:09
बीजिंग : चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने कहा है कि भारत के रेल व उर्जा क्षेत्र को उनके देश की प्रौद्योगिकी के साथ से जोड़ने से दोनों देशों के बीच सहयोग में एक राह खुलेगी। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि भारत और चीन के अधिकारियों ने भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए चीन से तकनीकी सहायता की एक योजना तय की है।
ली ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया यहां एक बैठक में कहा कि हमें अपनी उच्च गति वाली रेल प्रौद्योगिकी और बिजली उपकरणों को भारतीय बाजार के साथ जोड़ना है। यह चीन-भारत सहयोग की एक नयी राह होगी। यहां इस सप्ताह हुई रणनीतिक आर्थिक वार्ता के तीसरे दौर में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे अहलूवलिया ने कल ली से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने भारतीय रेल के आधुनिकीकरण में चीनी सहयोग से जुड़े विशिष्ट प्रस्तावों के संबंध में हुई प्रगति के बारे में उन्हें अवगत कराया।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत रेलगाड़ियों की गति बढ़ाकर 180 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने के लिए पटरियों में सुधार के लिए चीन से तकनीकी सहायता मांग रहा है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि उच्च गतिवाली रेल प्रणाली के मुकाबले यह सस्ता विकल्प होगा क्यों कि उच्च गति वाली रेल के लिए अलग लाइने बिछानी पड़ेंगी और उनके तरफ दोनों ओर बड़ लगानी पड़ेगी। इसके लिए भूमि अधिग्रहण आदि पर 120 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का भारी-भरकम खर्च आने का अनुमान है। वार्ता में भाग लेने वाले दल में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरणेंद्र कुमार और भारतीय रेल के उच्चाधिकारी शामिल थे।
भारत ने शुरू में दिल्ली-आगरा, दिल्ली-चंडीगढ़ आदि कुछ खंडों पर पटरियों में सुधार के लिए चीन के साथ सहयोग का प्रस्ताव किया है ताकि उन पर अधिक तेज रफ्तार की गाड़ियां चलायी जा सकें। इस प्रस्ताव पर भारत में आम चुनाव के बाद आगे तेजी से प्रगति होने की उम्मीद है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 20, 2014, 14:09