Last Updated: Wednesday, January 22, 2014, 19:43

लंदन : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ब्रिटिश समकक्ष मार्गरेट थैचर से 1980 के दशक में अलगाववादी तमिल आंदोलन को कुचलने के लिए श्रीलंका को दी जा रही सैन्य सहायता बंद करने को कहा था। सार्वजनिक किए गए नये दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है। यहां राष्ट्रीय अभिलेखागार से श्रीलंका के बारे में जारी किए गए एक दस्तावेज में वस्तुत: 1984 में भारत के इस संदेह का जिक्र किया गया है ब्रिटेन की एलीट स्पेशल एयर सर्विस (एसएएस) श्रीलंकाई सेना को प्रशिक्षण दे रही है।
इंदिरा ने थैचर से कहा था कि हमें उम्मीद है कि आप श्रीलंका के राष्ट्रपति जयवर्धने को एक सकारात्मक कदम उठाने की दिशा में उन्हें मनाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगी। सैन्य सहायता और आतंकवाद रोधी सहायता राजनीतिक संकट के हल के लिए पर्याप्त नहीं है। एक दस्तावेज के मुताबिक थैचर के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सरकार ने एसएएस के पूर्व अधिकारियों को लिट्टे के खिलाफ श्रीलंका सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने की इजाजत दी थी।
नये दस्तावेजों के जारी होने से क्षेत्र में एसएएस की कार्रवाइयों के बारे में अटकलें तेज हो सकती हैं। इन दस्तावेजों में कहा गया है कि सितंबर 1984 में विदेश मंत्री जियोफ्री होव के निजी सचिव पीटर रिकेट्स ने तत्कालीन प्रधानमंत्री थचर के निजी सचिव डेविड बार्कले को पत्र लिख कर यह अनुरोध करने को कहा था कि एसएएस से जुड़ी एक ब्रिटिश कंपनी को श्रीलंका में काम करने की इजाजत दी जाए। श्रीलंकाई सरकार राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के तहत उस वक्त लिट्टे बलों और देश के उत्तर एवं पूर्व में अन्य संगठनों से निपट रही थी।
रिकेट्स ने लिखा था, श्रीलंकाई सरकार ने एक अन्य ब्रिटिश कंपनी को आतंकवाद रोधी तरकीबों का प्रशिक्षण मुहैया करने में लगाया है, एसएएस के कुछ पूर्व कर्मियों सहित कर्मचारियों (कंपनी) की श्रीलंका में मौजूदगी ने विवाद पैदा किया है और भारत सरकार ने कंपनी की भागीदारी को लेकर हमारे समक्ष चिंता जताई है। उन्होंने लिखा, हमने स्पष्ट कर दिया है कि यह विशुद्ध रूप से एक वाणिज्यिक विषय है और इसमें सरकार शामिल नहीं है। इस कंपनी को श्रीलंका में आगे भी काम करने की इजाजत दे दी गई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 22, 2014, 19:28