विश्व में संघर्षों को आज भी प्रेरित करते हैं महात्मा गांधी: राव

विश्व में संघर्षों को आज भी प्रेरित करते हैं महात्मा गांधी: राव

वाशिंगटन : गांधी दर्शन को आज भी प्रासंगिक मानते हुए अमेरिका में भारतीय राजदूत निरूपमा राव ने कहा कि महात्मा का अहिंसा का संदेश आज भी ‘दुनिया में संघर्षों की प्रेरणा बना हुआ है। राव कल हावर्ड विश्वविद्यालय में ‘महात्मा गांधी-मार्टिन लूथर किंग, जूनियर वार्षिक व्याख्यान’ में बोल रही थीं।

राव ने कहा, गांधी का प्रभाव किसी भी तरह कम नहीं हुआ है। उनकी राजनैतिक कार्रवाई की रणनीति, बेहतर तरीके से योजनाबद्ध और क्रियांवित अहिंसा का सिद्धांत आज भी दुनिया भर के संघर्षों को प्रेरित करता है। विविधता का प्रबंधन साहस और दूरदर्शिता के साथ करना भी एक ऐसा महत्वपूर्ण सबक है, जो हमें गांधी से लेना चाहिए। भारतीय राजनयिक ने इस बात पर जोर दिया कि गांधी के संदेशों को चिरस्थायी बनाने के लिए जरूरी है कि उनके विचारों और सिद्धांतों को दैनिक जीवन में लागू किया जाए क्योंकि इन सिद्धांतों की उपयोगिता किसी भी तरह से सीमित नहीं है।

राव ने कहा, गांधी के आज भी अपने संदेशों के माध्यम से प्रासंगिक होने की बात अमेरिकी जीन शार्प के कार्य भी सिद्ध करते हैं। उनके द्वारा किया गया गांधी का अध्ययन काफी विस्तृत और परिपूर्ण रहा है। उनकी नियम पुस्तिका ‘फ्रॉम डिक्टेटरशिप टू डेमोक्रेसी’ (तानाशाही से लोकतंत्र तक) का 30 भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने कहा, शार्प ने अभ्यास करने वालों के लिए ‘अहिंसक कार्यवाही के 198 तरीके’ सूचीबद्ध किए हैं। इनमें प्रार्थनाएं, पूजा, गाना, विरोध के लिए जुटना शामिल है। गांधी द्वारा प्रतिपादित अहिंसा की अवधारणा और दर्शन को महज एक सैद्धांतिक कल्पना मानने के बजाय एक जीवंत रचना मानते हुए राव ने कहा कि गांधी ने इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिये इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा, सत्याग्रह या सत्यबल को विकसित करने के लिए करने के लिए उन्हें ईसा मसीह की शिक्षाएं, भागवत गीता और रूसी लेखक टॉलस्टॉय के शब्दों से प्रेरणा मिली थी। यह कोई निष्क्रिय बल नहीं था। उनके लिए सत्य और अहिंसा शायद दुनिया के सबसे ज्यादा सक्रिय हथियार हैं। अरब में बदलाव की बयार को समर्थन देते हुए राव ने कहा कि यह गांधीवादी सिद्धांतों से प्रभावित थी।

उन्होंने कहा, दो साल पहले इस बदलाव के लिये शुरूआत करने वाले युवा ब्लॉगर गांधी से प्रेरित थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका संघर्ष अभी तक अपनी समग्र ताकत हासिल नहीं कर सका है और इसे अधिक लोकतंत्र, मूलभूत स्वतंत्रता और आर्थिक अवसरों की जरूरत है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 16, 2013, 11:30

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