Last Updated: Monday, November 18, 2013, 12:46

इस्लामाबाद : परवेज मुशर्रफ के खिलाफ भीषण देशद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की पहल करने संबंधी फैसले का पूर्व सैन्य शासक के प्रवक्ता ने आज कड़ा विरोध करते हुए इसे देश की सेना को कमतर करने का घृणित प्रयास बताया।
मुशर्रफ के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता रजा बुखारी ने कहा, हमें तालिबान समर्थक नवाज सरकार द्वारा राष्ट्रद्रोह की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा करने के समय को लेकर संदेह हैं। बोखारी ने कहा, हम न केवल मजबूती के साथ इन आरोपों को नकारते हैं बल्कि इसे पाकिस्तानी सेना को कमतर करने के घृणित प्रयास के रूप में भी देखते हैं। यह सरकार द्वारा पाकिस्तान के समक्ष पेश मौजूदा खतरों से ध्यान हटाने का भी सोचासमझा प्रयास हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ ने संविधान के अनुच्छेद 232 के तहत उन्हें प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए तीन नवंबर 2007 को आपातकाल घोषित किया था और संविधान के कुछ अनुच्छेदों पर थोड़े समय के लिए रोक लगा दी थी।
प्रवक्ता ने पूर्व राष्ट्रपति की ओर से बयान जारी करते हुए कहा, ‘ उन्होंने (मुशर्रफ) ने यह बहुप्रतीक्षित कदम न्यायपालिका के एक हिस्से में सुधार तथा पाकिस्तान में तबाही मचाने वाले आतंकवादियों और उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा अभियानों को तेज करने के लिए उठाया था।
बुखारी ने कहा, इस बात का संज्ञान लेना महत्वपूर्ण है कि पूर्व राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री , सभी चारों राज्यों के गवर्नरों , ज्वाइंट चीफ के अध्यक्ष, सशस्त्र बलों के अध्यक्षों, सेना स्टाफ के उप प्रमुख और पाकिस्तानी सेना के कोर कमांडरों की सर्वसम्मत सलाह से यह कार्रवाई की थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह याद रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि मुशर्रफ ने 15 दिसंबर 2007 को आपातकाल हटा दिया था और संविधान को पूरी तरह बहाल कर दिया था।
बुखारी ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ निजी राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रहे हैं और मुशर्रफ सरकार की वैधानिक कार्रवाइयों का अपराधीकरण कर रहे हैं। गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने कल कहा था कि सरकार मुशर्रफ के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की कार्रवाई शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। इस अपराध के दोषी को मौत की सजा या आजीवन करावास की सजा तक हो सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि इससे सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच सीधा टकराव शुरू हो सकता है। देश के 66 साल के इतिहास में आधे समय तक सेना ने राज किया है और मुशर्रफ के अप्रैल में निर्वासन से लौटने से पूर्व तक किसी शासक या शीर्ष सैन्य कमांडर को आपराधिक कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 18, 2013, 12:44