चिदंबरम ने भाजपा, नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना

चिदंबरम ने भाजपा, नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना

दावोस : भारत में आम चुनावों की तैयारियां जोर पकड़ने के साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यह कहते हुए भाजपा पर निशाना साधा कि उसकी आर्थिक नीतियां पीछे ले जाने वाली हैं और सवाल किया कि विपक्षी पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुजरात के किसी भी चुनाव में कभी मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं उतारा। चिदंबरम ने उम्मीद जतायी कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी की स्थिति में राहुल गांधी प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि राहुल में प्रधानमंत्री पद के लिए बहुत कुछ करने की तमन्ना है पर इस बात की संभावना बहुत ही कम है कि किसी पार्टी को बहुमत हासिल हो। उन्होंने कहा कि आम चुनावों में बहुत-बहुत खंडित जनादेश आने की संभावना है।

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने यह कहते हुए आम आदमी पार्टी (आप) पर भी निशाना साधा कि भारत में भीड़तंत्र के लिए कोई जगह नहीं है और देश में पार्टी आधारित लोकतंत्र है जिसमें व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं हो सकता। भाजपा के मुस्लिम विरोधी होने पर चिदंबरम ने कहा कि नरेंद्र मोदी के दावे के मुताबिक हो सकता है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग ने भाजपा को वोट दिया हो पर तथ्य यह है कि मोदी ने अपने राज्य में कभी भी किसी भी चुनाव में किसी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है। उन्होंने सवाल किया, इसका क्या मतलब है? यह पूछे जाने पर कि वह भाजपा में क्यों नहीं शामिल होते हैं, इस पर चिदंबरम ने कहा कि भाजपा भारत के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और देश के कई हिस्सों में तो इस पार्टी की मौजूदगी भी नहीं है।

चिदंबरम ने कहा, उसकी (भाजपा की) नीतियां ऐसी हैं जिनसे भारत का विचार ही खत्म हो जाएगा। उनकी आर्थिक नीतियां पीछे ले जाने वाली हैं। अगले प्रधानमंत्री के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, कांग्रेस पार्टी का मत बहुत स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में रही तो वह राहुल गांधी के नेतृत्व में बनेगी। चिदंबरम ने कहा कि 2004 में सोनिया गांधी को नेता चुना गया पर अगले ही दिन उन्होंने मना कर दिया और एक अन्य नेता को चुना गया। वह मॉडल काम कर गया पर इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा मॉडल फिर से उसी तरह का हो।

उन्होंने कहा, यदि कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बुलाया गया तो मुझे यकीन है कि राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी में प्रधानमंत्री पद के लिए पर्याप्त ललक है, इस पर चिदंबरम ने कहा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में जब उन्होंने बोला तो उनमें बहुत कुछ करने की ललक थी। आगामी आम चुनावों के बाबत चिदंबरम ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात हो सकती है कि कोई भी पार्टी स्पष्ट तौर पर विजयी न हो और किसी को बहुमत न मिले क्योंकि चुनावों में बहुत ही खंडित जनादेश मिलने की संभावना है।

इस बीच, वित्त मंत्री ने कहा कि दिल्ली की सत्ता में आने के कुछ ही हफ्तों के भीतर ‘आप’ की पोल खुलने लगी है और यह देखना बाकी है कि दिल्ली के चुनावों में मुख्यधारा की पार्टियों को शहरी तबके ने खारिज किया क्या वह देश के दूसरे हिस्सों में भी दोहराया जाएगा। चिदंबरम ने कहा, एक समय श्रीमती इंदिरा गांधी ने भूल की और एक तानाशाही मॉडल लेकर आयीं जिससे आपातकाल लगाया गया, वह नाकाम रहा और उन्हें वापस जाना पड़ा।

चिदंबरम ने कहा कि दिल्ली के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों को खारिज किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य सरकार चला रही थी और भाजपा दिल्ली के नगर निगमों पर शासन कर रही थी। उन्होंने कहा, पर अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं और हम आम आदमी पार्टी की पोल खुलते देख रहे हैं। ‘आप’ को समर्थन देने के बाबत कांग्रेस की दिल्ली इकाई में हुई चर्चा में खुद के शामिल न होने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ‘आप’ को बाहर से समर्थन देने को लेकर विभाजित थी और उसमें एक तबका समर्थन दिए जाने के पक्ष में था जिसकी बात मानी गयी।

यह पूछे जाने पर कि आप भाजपा की आर्थिक नीति की आलोचना कैसे कर सकते हैं जब गुजरात में कारखाने बर्बाद नहीं हुए हैं और व्यापारी खुश हैं, इस पर चिदंबरम ने कहा कि इसका कारखानों के बर्बाद होने से कोई लेना-देना नहीं है। उदाहरण पेश करते हुए चिदंबरम ने कहा कि भाजपा नौकरियां खत्म हो जाने की दलील देकर मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध कर रही है जबकि तथ्य ठीक इसके उलट है।

चिदंबरम ने कहा कि भाजपा तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सुधारों का भी विरोध कर रही थी जबकि भारत में अनाज का विशाल भंडार होने के बावजूद देश की एक बड़ी आबादी को एक वक्त का खाना नसीब नहीं हो पा रहा था। वित्त मंत्री ने सवाल किया, ऐसा क्यों है कि भाजपा और उसके शुभंकर इन सुधारों का विरोध कर रहे हैं। चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि पार्टी निश्चित तौर पर मजबूत होनी चाहिए और कोई भी व्यक्ति पार्टी से मजबूत नहीं हो सकता। पार्टी की इकाइयां सरकार और जनता के बीच की कड़ी के तौर पर काम करती हैं क्योंकि सरकार हर वक्त सीधे तौर पर या नौकरशाही के जरिए जनता से संपर्क नहीं कर सकती।

विनिवेश के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा कहती है कि यह घर में सहेज कर रखी गयी चांदी बेचने की तरह है पर तथ्य यह है कि इससे सरकारी कंपनियों की माली हालत सुधरेगी और कॉरपोरेट प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (भाजपा की) नीतियां पीछे ले जाने वाली हैं ।’’सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए विनिवेश कार्यक्रम के जरिए 40,000 करोड़ रूपए जुटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय कर रखा है।

अपने गृह राज्य तमिलनाडु की बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि जिस वक्त तक वह राजनीति में आए, कांग्रेस पार्टी हार चुकी थी और द्रमुक सत्ता पर काबिज हो गयी थी। उन्होंने कहा कि बाद में पार्टी दो धड़ों में बंट गयी और उन्होंने ही ज्यादातर समय तक राज्य में शासन किया ।

चिदंबरम से जब पूछा गया कि उन्हें कौन सा नेता सबसे ज्यादा पसंद है, ‘‘भारत के बाहर जॉन कैनेडी (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति) और ली लुआन येव (सिंगापुर)।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता उनमें जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस शामिल हैं जबकि जिन्हें वह जानते हैं उनमें इंदिरा गांधी हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, January 22, 2014, 18:28

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