Last Updated: Monday, October 28, 2013, 20:40
लंदन : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यह राज्य हमेशा भारत की संप्रभुता के अंतर्गत रहेगा, हालांकि उनका मानना है कि ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड की शांति प्रक्रिया और स्कॉटलैंड में अधिकारों का हस्तांतरण जम्मू कश्मीर में भविष्य में होने वाले समाधान को ‘प्रेरित’ कर सकता है। उमर ने ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘टेलीग्राफ’ को दिए साक्षात्कार में इस बात का उल्लेख किया कि क्यों जम्मू-कश्मीर पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह राज्य चारों तरफ से घिरा हुआ और वहां संसाधनों का अभाव है।
उन्होंने कहा, उत्तरी आयरलैंड में शांति प्रक्रिया और स्कॉटलैंड में विकेंद्रीकरण भविष्य के (जम्मू-कश्मीर) ऐसे समाधान को प्रेरित करने का काम कर सकता है जिसमें संप्रभुता को कोई खतरा नहीं हो, लेकिन आप उस राष्ट्रवादी भावना को स्वीकार करते हों जो अस्तित्व में है और जिसे आपने विकसित किया है। उमर 1998 में उत्तरी आयरलैंड में हुए समझौते का हवाला दे रहे थे। उस समझौते के तहत साझा सरकार पर सहमति बनी थी जबकि स्काटलैण्ड में संसद की स्थापना करके सत्ता को विकेंद्रित किया गया था।
उमर ने इस बात पर नाराजगी जताई कि पाकिस्तानी सेना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच पिछले महीने न्यूयॉर्क में हुई शांति वार्ता को ‘नुकसान पहुंचाने’ का प्रयास कर रही है। उन्होंने इस साल सीमा पर हमलों में हुई बढ़ोतरी के लिए पाकिस्तान की सेना को जिम्मेदार ठहराया और जम्मू में चार आतंकवादियों की घुसपैठ कर थाने पर हमला करने और सेना के शिविर में एक वरिष्ठ अधिकारी तथा तीन सैनिकों की हत्या करने का हवाला दिया।
जब अखबार ने उमर को याद दिलाया कि उनका जन्म ब्रिटेन के एसेक्स में हुआ है तो उन्होंने कहा कि उनकी ब्रिटिश पृष्ठभूमि ने उन्हें जिंदगी में व्यापक दृष्टिकोण दिया, हालांकि इसके कुछ नुकसान भी है।
उमर ने कहा, मेरे कार्यक्षेत्र में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो मेरे खिलाफ इसका इस्तेमाल करते हैं और सुझाव देते हैं कि ब्रिटेन में पैदा होने के कारण मेरा यहां (कश्मीर) की राजनीति में कोई काम नहीं है। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार उमर यह नहीं मानते कि कश्मीर में जेहाद को लेकर अलकायदा की ओर से की गई अपील से घाटी में आतंकवाद में इजाफा होगा।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका पाकिस्तान को अफगानिस्तान के जेहादियों को कश्मीर में भेजने की इजाजत नही देंगे। उन्होंने कहा कि ‘वह इसको (कश्मीर समाधान) लेकर बहुत आशावान हैं और यह भी मानते हैं कि उनके जीते जी इसका समाधान हो सकता है।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, October 28, 2013, 20:40