Last Updated: Friday, February 21, 2014, 14:54

इस्लामाबाद : सांसत में पड़े पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ को आज एक बडा झटका तब लगा जब एक विशेष अदालत ने सैन्य अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का आग्रह करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी और उन्हें 11 मार्च को अदालत में पेशी के लिए तलब किया।
बचाव पक्ष ने यह कहते हुए तीन सदस्यीय विशेष अदालत के गठन पर एतराज किया था कि पूर्व सैन्य प्रमुख होने के नाते 70 वर्षीय मुशर्रफ पर सिर्फ किसी सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है। न्यायमूर्ति फैसल अरब की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत ने 18 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। उसने आज अपना फैसला सुनाया।
अदालत ने यह कहते हुए मुशर्रफ की याचिका खारिज कर दी कि उसके पास पूर्व सैनिक तानाशाह के खिलाफ मुकदमा चलाने की शक्ति है। मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी। उसने मुशर्रफ को 11 मार्च को अदालत में पेश होने को कहा है।
मुशर्रफ पर संविधान निलंबित करने और उसके प्रावधानों को दरकिनार करने, देश में आपात स्थिति लगाने और उच्चतर न्यायालयों के न्यायाधीशों को हिरासत में लेने के आरोप हैं।
अगर मुशर्रफ के खिलाफ ये आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें उम्रकैद या सजा-ए-मौत हो सकती है। मुशर्रफ के वकीलों में शामिल अहमद रजा कसूरी ने पत्रकारों से कहा, ‘उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में नहीं, सेना प्रमुख के रूप में (आपात स्थिति लगाने के) आदेश पर दस्तखत किए थे। न्यायाधीशों को इस मामले से खुद को हटा लेना चाहिए क्योंकि वे मुशर्रफ के खिलाफ पूर्वग्रह से ग्रस्त हैं। उन्हें मुशर्रफ ने बर्खास्त किया था और उन्होंने उनके (मुशर्रफ के) खिलाफ आंदोलन किया था।’ कसूरी ने आरोप लगाया कि तथ्य और कानूनों को ‘तोड़ा-मरोड़ा’ गया है।
इससे पहले, जब फैसला पढ़ा जा रहा था तो मुशर्रफ के एक और वकील राना इजाज अहमद ने न्यायाधीशों पर आरोप लगाया था कि न्यायाधीश ‘भाड़े के हत्यारे’ की तरह काम कर रहे हैं। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई पूर्व सैन्य प्रमुख राजद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 21, 2014, 14:54