Last Updated: Wednesday, November 27, 2013, 12:53

लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 35 लापता लोगों को कल तक पेश करने या ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने के लिए अदालत में स्वयं पेश होने का आदेश दिया है।
उच्चतम न्यायालय लाहौर रजिस्ट्री में लापता लोगों के एक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी, न्यायमूर्ति जवाद एस ख्वाजा और न्यायमूर्ति आमिर हानी मुस्लिम ने कल ‘लापता लोगों’ को पेश करने में रक्षा अधिकारियों के नाकाम रहने के बाद यह आदेश दिया।
ऐसा बताया जा रहा है कि लापता लोग खुफिया एजेंसियों की हिरासत में हैं। उन्हें आंतकी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के कारण हिरासत में रखा गया है। अदालत ने इस संबंध में पहले रक्षा सचिव को समन जारी किया था।
अतिरिक्त महाधिवक्ता तारिक खोखर ने अदालत को बताया कि रक्षा सचिव को चिकित्सकीय आराम करने की सलाह दी गई है इसलिए वह अदालत में पेश नहीं हो सके। उन्होंने लापता लोगों को पेश करने के लिए अधिकारियों को और समय दिए जाने की मांग की।
खंडपीठ ने इसके बाद पूछा, ‘रक्षा मंत्री कौन है।’ कानून अधिकारी ने उत्तर दिया कि प्रधानमंत्री ही इस पद का कार्यभार संभाल रहे हैं। न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा, ‘सेना के 35 लोगों को हिरासत में रखने के संबंध में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं इसलिए सेना उन्हें अदालत के समक्ष पेश करने के लिए बाध्य है और किसी के पास उन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखने का अधिकार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ये लोग अब ‘लापता’ नहीं हैं क्योंकि उनकी हिरासत का पता लग गया है।
अतिरिक्त रक्षा सचिव ने जब लापता लोगों को पेश करने के लिए और समय मांगा तो अदालत ने कहा, ‘हम यहां बैठे हैं, जाओ और लोगों को शाम तक लेकर आओ। सेना अघोषित नजरबंद लोगों को पेश न करके अपनी छवि खराब कर रही है।’ न्यायमूर्ति चौधरी ने 28 नवंबर तक मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए निर्देश दिया कि या तो हिरासत में बंद लोगों को पेश करो या रक्षा मंत्री से ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने के लिए अदालत में पेश होने को कहो। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि शरीफ के पास लापता लोगों को अदालत में पेश करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 27, 2013, 12:53