पापुआ नागरिकों ने बाली में ऑस्ट्रेलियाई वाणिज्यिक दूतावास पर किया कब्जा

पापुआ नागरिकों ने बाली में ऑस्ट्रेलियाई वाणिज्यिक दूतावास पर किया कब्जा

सिडनी : इंडोनेशियाई द्वीप पर ‘एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग’ (एपीईसी) की बैठक से पहले जकार्ता पर मानवाधिकारों के लिए दबाव डालने की मांग करते हुए पापुआ के तीन कार्यकर्ताओं ने बाली में ऑस्ट्रेलियाई वाणिज्यिक दूतावास पर रात में कब्जा कर लिया। ऑस्ट्रेलिया की वाम झुकाव वाली ग्रीन्स पार्टी ने इन तीनों का नाम माकरुस जेरेवोन, युवेन्सीयुस गू और रोफिनस यागम बताया है। ये तीनों वाणिज्य दूतावास की दीवारें लांघकर अंदर घुसे।

ग्रीन्स के सीनेटर और संसदीय समूह फ्रेंड्स ऑफ वेस्ट पापुआ के अध्यक्ष रिचर्ड डी नाताले ने कहा, वे सिर्फ इतनी मांग कर रहे हैं कि स्वतंत्र पत्रकारों को उस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी जाए और पश्चिमी पापुआ के राजनैतिक बंदियों को रिहा किया जाए। वे स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय ने कहा, इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत से आए तीन लोगों ने बाली में ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूतावास में एक अधिकारी को आज सुबह विरोध प्रदर्शन का एक पत्र भेजा था। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, तीनों लोग आज सुबह 7 बजे अपने आप ही दूतावास से चले गए।

यह घटना आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी अबोट के बाली में कल से शुरू होने वाले एशियान प्रशांत आर्थिक सहयोग के नेताओं के शिखर बैठक में पहुंचने से पहले हुई है। अलायंस आफ पापुआ स्टूडैंट्स के इन तीनों छात्रों द्वारा दिए गए हस्तलिखित पत्र में मांग की गई है कि अबोट जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी पापुआ अधिकारों के लिए इंडोनेशिया पर दबाव डालें।

राजनैतिक बंदियों की रिहाई की मांग करते हुए इस पत्र में कहा गया, हम चाहते हैं कि ये नेता इंडोनेशियाई सरकार पर दबाव डालें कि वह पापुआ के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करे। इसमें कहा गया, इन राजनैतिक बंदियों ने कोई अपराध नहीं किया है। वे अहिंसा में यकीन रखते हैं। इंडोनेशियाई सरकार ने इन्हें गिरफ्तार करके इसलिए जेल में डाल दिया क्योंकि वे अपने राजनैतिक मानवाधिकारों पर चर्चा कर रहे थे। इन लोगों ने यह भी मांग उठाई कि अंतर्राष्ट्रीय प्रेस को पापुआ के अंदर प्रवेश की अनुमति दी जाए, जहां कई दशकों से हथियार बंद उग्रवादी सक्रिय हैं। इंडोनेशियाई सुरक्षा बलों पर तनावग्रस्त प्रांत में राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर प्रताड़ना के आरोप कई बार लग चुके हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 6, 2013, 15:43

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