Last Updated: Tuesday, April 29, 2014, 21:55

लाहौर : वर्ष 1928 में लाहौर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की हत्या के मामले में भगत सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की प्रति यहां मांगी गई ताकि इन महान स्वतंत्रता सेनानी को निर्दोष साबित किया जा सके। याचिकाकर्ता भगत सिंह मेमोरियल के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जॉन पी सांडर्स की कथित रूप से की गई हत्या को लेकर सिंह, सुखदेव और राजगुरू के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी की सत्यापित प्रति की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने 11 अप्रैल को पुलिस को इस प्राथमिकी की प्रति कुरैशी को देने का आदेश दिया था।
कल सुनवाई के दौरान कुरैशी ने अदालत से कहा कि उन्होंने पुलिस को अदालत का आदेश दिखाया था लेकिन उसने उन्हें प्राथमिकी की प्रति देने से इनकार कर दिया। सत्र अदालत ने लाहौर पुलिस के प्रमुख चौधरी शफीक को अदालत के आदेश अनुपालन के सिलसिले में नोटिस जारी किया। न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
कुरैशी ने कहा कि पंजाब पुलिस के कानूनी मामले विभाग के पास सन् 1895 से 1928 तक के रिकॉर्ड हैं लेकिन पुलिस ने 1928 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की हत्या के सिलसिले में दर्ज की गई प्राथमिकी उन्हें देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सिंह के मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधिकरण ने 450 गवाहों को सुने बगैर ही उन्हें (सिंह को) मृत्युदंड सुनाया। सिंह के वकीलों को उनसे जिरह करने का मौका नहीं दिया गया।
कुरैशी ने सिंह के मामले को फिर से खोलने की मांग करते हुए लाहौर उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा, मैं इस हत्याकांड में उन्हें निर्दोष साबित करना चाहता हूं। लाहौर उच्च न्यायालय ने इस सिलसिले में वृहतर पीठ बनाने के लिए मामले को मुख्य न्यायालय को भेज दिया है। मार्च, 1931 में, लाहौर साजिश कांड में सिंह की कथित संलिप्तता को लेकर सुनवाई के बाद ब्रिटिश सरकार ने सिंह को 23 साल की उम्र में फांसी पर लटका दिया था।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 29, 2014, 21:36