Last Updated: Tuesday, May 20, 2014, 21:59

बैंकॉक : थाईलैंड की सेना ने छह महीने तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आज तड़के मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की लेकिन इस बात से इनकार कर दिया कि यह तख्तापलट है। इस बीच, अंतरिम प्रधानमंत्री ने तीन अगस्त को नये सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की।
थाई सेना प्रमुख जनरल प्रयुत चान ओ चा ने कहा, सेना अब और लोगों की जान की हानि बर्दाश्त नहीं करेगी। सेना ने एक बयान में कहा, सेना का उददेश्य सभी समूहों और सभी दलों के लिए शांति व्यवस्था और लोक सुरक्षा बनाए रखना है। सेना ने कहा कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदार ली है और यह तख्तापलट नहीं है।
यह कहा गया, लोगों से दहशत में नहीं आने का अनुरोध किया जाता है और वे अपने कामकाज सामान्य तरीके से कर सकते हैं। मार्शल लॉ की घोषणा करना तख्तापलट नहीं है। सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि मार्शल लॉ लगने से कार्यवाहक सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह बनी रहेगी। इस घोषणा से सेना को अपने फैसले लागू करने के लिए व्यापक शक्तियां मिल गई है। प्रयुत ने मार्शल लॉ लगाने के कुछ घंटे बाद देश के दोनों प्रतिद्वंद्वी पक्षों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया।
प्रयुत ने संवाददाताओं से कहा, हम दोनों पक्षों को वार्ता के लिए आमंत्रित करने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं लेकिन इस वक्त स्थिति सामान्य नहीं है..यही वजह है कि मुझे मार्शल लॉ लगाना पड़ा। इस गतिविधि को ध्यान में रखते हुए, भारत ने आज थाईलैंड में मौजूद अपने नागरिकों को उनकी सुरक्षा के लिए ऐहतियात बरतने की सलाह दी।
भारतीय दूतावास ने यहां एक परामर्श जारी करते हुए कहा, थाईलैंड में रह रहे भारतीय लोगों और पर्यटकों को अपनी सुरक्षा के लिए ऐहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। वहीं, कार्यवाहक प्रधानमंत्री नीवात्तुम्रोंग बूनसांगपैसान ने आज कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से तीन अगस्त को आम चुनाव कराने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने थाईलैंड के चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनावों के लिए नई तारीख का प्रस्ताव दिया है और उन्होंने राष्ट्रीय चुनाव की नई तारीख पर नरेश की मंजूरी के लिए अगले सप्ताह उन्हें आवेदन देने की आशा जताई।
लेकिन सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे चुनावों को संकट से उबरने का तरीका नहीं मानते। थाईलैंड की विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स कमेटी के प्रदर्शनकारियों ने मार्शल लॉ के बावजूद सरकार गिराने का अपना अभियान जारी रखने का संकल्प लिया।
पीडीआरसी नेता सुथेप थागसुबान ने संवाददाताओं से कहा, हम लड़ाई जारी रखेंगे। सेना के फैसले को प्रयुत ने मंजूरी देते हुए 1914 के उस कानून का जिक्र किया है जो इसे संकट के समय हस्तक्षेप करने की इजाजत देता है। बीबीसी की खबर के मुताबिक प्रयुत ने प्रतिद्वंद्वी पक्षों को एक दूसरे से वार्ता करने और इस राजनीतिक संकट का हल करने को कहा। शांति व्यवस्था बहाल होने तक मार्शल लॉ लगा रहेगा।
लंबे समय के राजनीतिक संकट और सरकार तथा विपक्ष के बीच महीनों तनाव बढ़ने के बाद मार्शल लॉ लगाया गया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सरकार को अपदस्थ करने के लिए हाल के दिनों में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किया है। देश की राजधानी में राजनीतिक हिंसा बढ़ने के बाद सेना प्रमुख के एक सख्त चेतावनी जारी करने के कुछ दिनों बाद यह नाटकीय घोषणा की गई।
अधिकारों के दुरूपयोग को लेकर यिंगलक शिनवात्रा को प्रधानमंत्री पद से एक संवैधानिक अदालत द्वारा हटाए जाने के बाद यह संकट गहरा गया। यिंगलक के साथ उनकी कैबिनेट के नौ मंत्रियों को भी हटाया गया था। यिंगलक द्वारा संसद के निचले सदन को भंग किए जाने के बाद सरकार बजट तैयार करने में भी नाकाम रही। 1932 में राजतंत्र के खात्मे के बाद से सेना ने 11 सफल तख्तापलट किये हैं। थाईलैंड के सभी टीवी चैनल अब सेना द्वारा निर्देशित हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारी यिंगलक की फीयू थाई पार्टी द्वारा संचालित कार्यवाहक प्रशासन को हटाना चाहते हैं और एक अनिर्वाचित परिषद का गठन करना चाहते हैं जो चुनाव से पहले सुधार की प्रक्रिया चलाए। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी जुलाई में चुनाव कराना चाहती है।
प्रदर्शनकारियों ने यिंगलक पर अपने भगोड़े भाई एवं पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा के इशारों पर शासन करने का आरोप लगाया है। थाकसिन को 2006 के तख्तापलट में अपदस्थ कर दिया गया था और फिलहाल वह स्वनिर्वासन में हैं। हाल के महीनों की राजनीतिक अशांति में 28 लोगों की जानें गई हैं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 20, 2014, 20:00