Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 20:47

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी ने आज कहा कि पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत हैं और उन्हें ‘सजा ए मौत’ या ‘उम्र कैद’ हो सकती है। अटार्नी जनरल मुनीर मलिक ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत सेवानिवृत जनरल को सजा ए मौत या उम्र कैद का सामना करना पड़ सकता है। इसी अनुच्छेद में देशद्रोह के प्रावधानों का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ के खिलाफ मामले में शीघ्र ही कोई फैसला आने की संभावना है।
मलिक ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया है कि कार्यवाही के दौरान मुशर्रफ को फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है। संघीय जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार करेगी। इससे जुड़े एक अन्य घटनाक्रम के तहत विधि सचिव जफरूल्ला खान ने बताया कि मुशर्रफ के खिलाफ मामले का सार मंजूरी के लिए राष्ट्रप्ति ममनून हुसैन को भेजा गया है।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विशेष अदालत के लिए कल तीन न्यायाधीशों के नामों की मंजूरी दे दी। यह अदालत संविधान का उल्लंघन करने और 2007 में आपातकाल लागू करने को लेकर 70 वर्षीय मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई करेगी। यह पहला मौका है जब नागरिक प्रशासन ने एक सैन्य शासक के आपराधिक अभियोजन की मांग की है।
मलिक ने बताया कि मुशर्रफ की दोबारा गिरफ्तारी होने की सूरत में विशेष अदालत के पास उनकी जमानत मंजूर करने का क्षेत्राधिकार होगा और सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही उन्हें क्षमा देने की शक्ति होगी। उन्होंने बताया कि साक्ष्य दर्ज करने में लंबा वक्त नहीं लगेगा और विशेष अदालत जल्द ही कोई फैसला सुना देगी। जैसे ही विशेष अदालत को एक औपचारिक शिकायत मिलेगी एफआईए को गिरफ्तारी करने का अधिकार मिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के बाहर मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि यदि आरोपी अपील करता है तो विशेष अदालत उसकी सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि मुशर्रफ को हाल ही में चार बड़े मामलों में जमानत मिली थी। इनमें से एक मामला पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 2007 में हत्या से जुड़ा है। मुशर्रफ के पाकिस्तान से बाहर जाने पर प्रतिबंध है क्योंकि उनका नाम गृह मंत्रालय की ‘एग्जिट कंट्रोल लिस्ट’ में है। मुशर्रफ के प्रवक्ता ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने संबंधी सरकार के फैसले को पाकिस्तान सेना को कमजोर करने का प्रयास बताया है।
पाकिस्तान के 66 साल के इतिहास में सेना ने करीब आधे समय तक शासन किया है और किसी शासक या शीर्ष सैन्य कमांडर को कभी आपराधिक अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ा है। वहीं, पीएमएल-एन सरकार के आलोचकों ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य रावलपिंडी सहित कई शहरों में पिछले हफ्ते हुई जातीय हिंसा को रोकने में नाकामी से ध्यान भटकाना है। मुशर्रफ स्वनिर्वासन से मार्च में स्वदेश लौटे थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 20, 2013, 20:44