Last Updated: Friday, October 11, 2013, 17:02
इस्लामाबाद : तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि किशोरी मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई की पुस्तक ‘आई एम मलाला’ बिक्री करते पाये गए लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
मौका मिलने पर मलाला पर हमले की शपथ लेने वाले तालिबान ने दावा किया है कि उसने वीरता का कोई काम नहीं किया है बल्कि अपने धर्म इस्लाम को धर्मनिरपेक्षता से बदल लिया है और इसके लिए उसे पुरस्कृत किया जा रहा है।
समाचार पत्र डान के अनुसार प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीके तालिबान पाकिस्तान के प्रवक्ता शाहीदुल्ला शाहिद ने कहा कि उन्हें पता है कि 16 वर्षीय मलाला को ‘इस्लाम के दुश्मन’ पुरस्कृत करेंगे।
उसने कहा, ‘मलाला ने धर्मनिरपेक्षता के लिए इस्लाम छोड़ दिया जिसके लिए उसे पुरस्कृत किया जा रहा है।’ उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मीडिया को ध्यान रखना चाहिए कि जामिया हफसा (लाल मस्जिद विवाद) के छात्रों को उनकी ‘अपार वीरता’ के बावजूद कभी कोई पुरस्कार नहीं दिया गया।
तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने गत वर्ष अक्तूबर में मलाला की हत्या करने के प्रयास में उस पर हमला किया था लेकिन वह इसमें चमत्कारिक रूप से बच गई। मलाला बचने के बाद सभी बच्चों (लड़के और लड़कियों) के विद्यालय जाने के अधिकार की वैश्विक अंबेसेडर बन गईं।
मलाला ने बीबीसी के साथ साक्षात्कार में अपने जीवन को उत्पन्न खतरों को खारिज करते हुए ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटने की अपनी इच्छा जतायी। हमले के बाद उसे इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया था और वह अब वहीं पर स्कूल में पढ़ने जाती है।
मलाला वर्ष 2007-2009 में पश्चिमोत्तर पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान के शासन के दौरान बीबीसी उर्दू सेवा के लिए ब्लाग सेवा से चर्चा में आयी जिसमें इस्लाम मानने वालों के शासनकाल में दैनिक जीवन की मुश्किलों के बारे में बताया गया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 11, 2013, 17:02