Last Updated: Wednesday, May 7, 2014, 23:18

बैंकाक : थाईलैंड में तख्तापलट जैसे घटनाक्रम के तहत एक अदालत ने प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा को अपने परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए पद का दुरूपयोग करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया, जिससे देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है। इस घटनाक्रम के बाद कैबिनेट ने फौरन एन. बूनसंगपैसान को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।
संवैधानिक अदालत ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि थाविल प्लेंश्री को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद महासचिव के पद से तबादले की मंजूरी में यिंगलक की भूमिका थी। यिंगलक की फीयू थाई पार्टी ने कहा कि अदालत का फैसला एक लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ तख्तापलट के समान है और यह पार्टी को सत्ता से हटाने की साजिश है।
पार्टी ने एक बयान में कहा कि फीयू थाई के खिलाफ यह एक साजिश है क्योंकि संवैधानिक अदालत और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी आयोग ने यिंगलक के खिलाफ मामलों में निष्कर्ष पर पहुंचने में असमान्य रूप से जल्दबाजी की और उन्हें तथा सरकार को बचाव पक्ष की ओर से पर्याप्त गवाह पेश करने की इजाजत नहीं दी गई।
यिंगलक (46) बाद में राष्ट्रीय टीवी पर नजर आईं और उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। यिंगलक ने कहा, ‘हमने देश चलाने में ईमानदार सिद्धांतों का पालन किया है और कभी भी भ्रष्ट आचरण नहीं किया, जैसा कि हम पर आरोप लगाया गया है।’ अदालत ने यिंगलक की कैबिनेट के नौ मंत्रियों का भी तबादले में सांठगांठ पाया और उन्हें भी अपने अपने पदों से बर्खास्त कर दिया।
अदालत ने कहा कि यह स्थानांतरण असामान्य तरीके से आनन-फानन में सिर्फ चार दिनों में किया गया और स्थानांतरण संबंधी दस्तावेजों की तिथियों में विसंगति थी इसलिए यह प्रक्रिया अनियमित थी। पीठासीन न्यायाधीश चारून इंताचान ने टीवी पर प्रसारित अपने आदेश में कहा, ‘इसलिए उनका प्रधानमंत्री का दर्जा समाप्त हो गया है। यिंगलक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में अपने पद पर अब बनी नहीं रह सकती हैं।’
यिंगलक पर अपने भगोड़े भाई थाकसिन के हाथों की कठपुतली के तौर पर शासन चलाने का आरोप लगाने वाले प्रदर्शनकारियों ने अदालत के बाहर खुशी जाहिर की। वे पिछले कई महीनों से यिंगलक को हटाए जाने की मांग कर रहे थे। हालांकि, 46 वर्षीय यिंगलक ने दलील दी थी कि उन्होंने यह मामला अपने उप मंत्री को सौंपा था इसलिए उन्होंने इसमें भूमिका नहीं निभाई है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘एक छिपे हुए मकसद के साथ तबादला करना स्वीकार्य नहीं होगा। संवैधानिक अदालत सर्वसम्मति से आदेश जारी करती है कि यिंगलक ने अपने और अन्य लोगों के फायदे के लिए एक सरकारी अधिकारी के तबादले में हस्तक्षेप करने को लेकर अपने प्रधानमंत्री पद के ओहदे का इस्तेमाल किया।’
अदालत ने कहा कि थाविल के तबादले में भूमिका निभाने वाली सिर्फ यिंगलक और नौ अन्य को कैबिनेट से अवश्य हटाया जाए और शेष मंत्री अपने पद पर बने रहेंगे। यिंगलक ने 5 अगस्त 2011 को थाईलैंड में प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। गौरतलब है कि बौद्ध धर्म बहुसंख्यक थाईलैंड महीनों से राजनीतिक हिंसा से जूझ रहा है जिसमें कई लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं जिनमें सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं। देश में शिनवात्रा परिवार सबसे धनी और प्रभावशाली परिवारों में शामिल है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 7, 2014, 20:03