Last Updated: Wednesday, February 12, 2014, 19:00
वाशिंगटन : हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण उठाई गई आपत्तियों के बाद वापस ले ली गई किताब ‘द हिंदूज़: ऐन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ की अमेरिकी लेखिका वेंडी डोनिजर बेहद ‘नाराज और निराश’ हैं। भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने वाली इस अमेरिकी लेखिका का कहना है कि ‘असल खलनायक’ भारतीय कानून है।
एक ईमेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डोनिजर ने कहा, ‘‘ऐसा होता देखकर जाहिर तौर पर मैं नाराज और निराश हूं। मैं इस बात से बहुत परेशान हूं कि इससे भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति और लगातार बिगड़ते राजनैतिक परिदृश्य के क्या संकेत मिलते हैं।’’ पेंग्विन इंडिया बुक्स प्राइवेट लिमिटेड ने उसके खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की अदालत को सूचित किया है कि उसने याचिकाकर्ताओं के साथ अदालत के बाहर इस मामले का हल निकाल लिया है और वह ‘द हिंदूज़: ऐन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ की सभी प्रतियों को वापस मंगवाकर उन्हें नष्ट कर देंगे।
डोनिजेर ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि इंटरनेट के जमाने में किसी किताब को रोक पाना संभव नहीं है। हिंदूज़ किंडल पर उपलब्ध है। अगर प्रकाशन के वैध माध्यम विफल रहते हैं तो किताब को प्रचलन में बनाए रखने के और भी तरीके हैं।’’ डोनिजेर ने कहा, ‘‘भारत में लोग हमेशा हर तरह की किताबें पढ़ सकेंगे। इनमें कुछ किताबें कुछ हिंदुओं के प्रति थोड़ी आक्रामक भी हो सकती हैं।’’ लेखिका ने कहा कि वे इस मुद्दे पर ‘‘एक लंबा लेख लिखना चाहती हैं।’’
शिकागो विश्वविद्यालय में धर्मों के इतिहास की प्रोफेसर डोनिजर ने कहा कि वे वर्ष 2009 में प्रकाशित हुई उनकी इस किताब की सभी प्रतियों को वापस मंगवाने और हटा लेने के फैसले के लिए प्रकाशक पेंग्विन बुक्स इंडिया को दोष नहीं देती। उन्होंने कहा कि दूसरे प्रकाशकों ने बिना किसी कोशिश के चुपचाप दूसरी किताबें हटाई हैं लेकिन पेंग्विन ने उनकी किताब बचाने का प्रयास तो किया।
उन्होंने कहा, ‘‘पेंग्विन, इंडिया ने यह जानते हुए इस किताब को लिया कि इससे हिंदुत्व से जुड़े नेताओं में रोष पैदा हो सकता है। उन्होंने चार साल तक दीवानी और फौजदारी मामलों में अदालतों में जाकर इसका बचाव भी किया।’’ डोनिजेर ने कहा, ‘‘आखिरकर वे इस पूरे प्रकरण के असल खलनायक से हार गए। यह असल खलनायक है- भारत का कानून, जिसने किसी हिंदू को आहत करने वाली किताब के प्रकाशन को दीवानी अपराध की जगह फौजदारी का मामला बना दिया। एक ऐसा कानून जो किसी प्रकाशक की शारीरिक सुरक्षा को जोखिम में डालता है फिर चाहे किताब के खिलाफ लगाए गए आरोप कितने ही हास्यास्पद क्यों न हों।’’ किताब के खिलाफ लगाए आरोपों को ‘हास्यास्पद आरोप’ बताते हुए उन्होंने उस याचिका के उन आरोपों की ओर इशारा किया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने ‘रामायण को काल्पनिक’ बताकर लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 12, 2014, 18:41