जब तक भारत को मंजूर ना हो कश्मीर पर मध्यस्थता नहीं : अमेरिका

जब तक भारत को मंजूर ना हो कश्मीर पर मध्यस्थता नहीं : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि वह कश्मीर पर तब तक मध्यस्थता नहीं करेगा जब तक भारत इस तरह की पेशकश को मंजूर नहीं करता। अमेरिका ने साथ ही पाकिस्तान से सरकारी नीति के औजार के रूप में आतंकवाद के इस्तेमाल से बचने को कहा।

अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जेम्स डोबिन्स ने पाकिस्तान के सरकारी टीवी चैनल पाकिस्तानी टेलीविजन (पीटीवी) से कहा, ‘जब तक भारत किसी तरह की वास्तविक मध्यस्थता को मंजूर नहीं करता हम विशेष रूप से इसे लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।’ हाल में पाकिस्तान दौरे पर गए डोबिन्स ने कहा, ‘भारत लगातार किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता रहा है और उसका कहना है कि इस मुद्दे (कश्मीर) पर बिना किसी तीसरे पक्ष की हिस्सेदारी के सीधी बातचीत की जरूरत है। इसलिए उन्होंने मध्यस्थता को खारिज किया है।’

डोबिन्स ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जब तक वह मध्यस्थता को खारिज करते रहेंगे, अमेरिका या कोई दूसरा पक्ष एक सीमा तक ही कुछ कर पाएगा। हम निश्चित रूप से पाकिस्तान और भारत के साथ अपनी बातचीत में बेहतर संबंधों, बेहतर व्यापारिक संबंधों, रणनीतिक एवं सैन्य मुद्दों पर बेहतर बातचीत को बढ़ावा देते हैं। साथ ही दोनों देशों को अलग करने वाले क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत एवं चर्चा को भी बढ़ावा देते हैं।’

सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत निश्चत रूप से सीमा पार आतंकवाद एवं अपने यहां होने वाले आतंकी हमलों को लेकर चिंतित है जिसके लिए वह पाकिस्तानी क्षेत्र स्थित आतंकी तत्वों को जिम्मेदार मानता है, अफगानिस्तान को लेकर डोबिन्स ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अफगानिस्तान का मामला सभी के के हित से जुड़ा है। मुझे लगता है कि क्षेत्र के सभी देशों को सरकारी नीति के औजार के रूप में आतंकवाद के इस्तेमाल से बचना चाहिए।’ भारत में जारी लोकसभा चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि भारत में जल्द ही नयी सरकार आएगी।

डोबिन्स ने कहा, ‘यह एक नया अवसर होगा। पाकिस्तान में अब एक ऐसी सरकार है जिसके पास स्पष्ट राजनीतिक जनादेश के साथ लंबा कार्यकाल पड़ा है।’ विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि उन्हें लगता है कि स्पष्ट जनादेश वाली दोनों सरकारों को आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए कुछ जोखिम उठाने होंगे एवं राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना होगा। अमेरिका निश्चित रूप से दोनों पक्षों को इस तरह के कुछ जोखिम उठाने के लिए उत्साहित करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 1, 2014, 18:37

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