एशियाई देशों में सैन्य दखल देने पर अमेरिका को चीन ने दी चेतावनी!

एशियाई देशों में सैन्य दखल देने पर अमेरिका को चीन ने दी चेतावनी!

 एशियाई देशों में सैन्य दखल देने पर अमेरिका को चीन ने दी चेतावनी!शंघाई : क्षेत्रीय विवादों और एशिया में अमेरिका के सैन्य दखल के मद्देनजर चीन के राष्ट्रपति शी जिनिपिंग ने एशियाई देशों के बीच सुरक्षा मुद्दों के हल के लिए आज एक आचार संहिता का विचार दिया। साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तेज करने का भी संकल्प लिया।

जापान, वियतनाम और फिलीपीन के साथ बीजिंग के संबंधों में तनाव बने रहने के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनके देश को रोकने के लिए सैन्य गठजोड़ किए जाने को लेकर अमेरिका और इसके एशियाई सहयोगियों को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी भी दी है। जिनपिंग ने क्षेत्र में आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ को तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने का संकल्प लिया। उन्होंने एशियाई देशों से एक नया ‘सतत’ एवं ‘टिकाउ’ सुरक्षा सहयोग ढांचा बनाने की अपील की।

‘एशिया में परस्पर संवाद एवं विश्वास बहाली उपायों पर सम्मेलन’ (सीआईसीए) में जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि एशिया में सुरक्षा मुद्दों का हल खुद एशियाइयों द्वारा किया जाना चाहिए। जिनपिंग ने कहा कि एशियाई देशों को अपने अपने देशों में और समूचे क्षेत्र में वार्ता एवं सहयोग के जरिए सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।

सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के अलावा नौ अन्य देशों के शासनाध्यक्ष तथा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी शामिल हुए। जिनपिंग ने कहा कि हम सिर्फ एक या कुछ देशों की ही सुरक्षा पर गौर नहीं कर सकते, जबकि शेष देशों को असुरक्षित छोड़ दें।

चीनी राष्ट्रपति ने एक मुहावरे का हवाला देते हुए कहा, जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। किसी का नाम लिए बगैर जिनपिंग ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाने के लिए सैन्य गठजोड़ करना साझा सुरक्षा कायम रखने के लिए सौहार्दपूर्ण नहीं है।

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख जिनपिंग ने कहा, हमें अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सहयोग मजबूत करना चाहिए और ‘तीनों ताकतों’ के खिलाफ लड़ाई तेज करनी चाहिए ताकि क्षेत्र के लोगों के जीवन में खुशी और स्थिरता आ सके। ग्यारह देशों के शासनाध्यक्ष और भारत सहित 40 देशों के अधिकारियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया जहां चीन ने तुर्की से सीआईसीए की अध्यक्षता ग्रहण की।

सीआईसीए का 1999 में गठन हुआ था इसके 26 सदस्य देश और जापान एवं अमेरिका सहित सात पर्यवेक्षक हैं। भारत इस संगठन का पूर्ण सदस्य देश है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिमी) दिनकर खुल्लर ने सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। जिनपिंग ने कहा कि चीन अन्य पक्षों के साथ सुरक्षा वार्ता और सहयोग मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाएगा तथा क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक आचार संहिता बनाने के लिए संयुक्त रूप से संभावना तलाशेगा। एशियाई देशों को अच्छा साझेदार बनाएगा जो एक दूसरे पर विश्वास करें और समानता के आधार पर सहयोग करें।

गौरतलब है कि दो दिन पहले अमेरिका ने साइबर सुरक्षा के उल्लंघन और व्यापार से जुड़ी खुफिया जानकारी चुराने के मद्देनजर पांच चीनी सैन्य अधिकारियों को अ5यारोपित किया था। क्षेत्रीय एवं कई पड़ोसी देशों के साथ समुद्री विवादों में चीन के उलझने के बीच जिनपिंग का यह प्रस्ताव आया है। पूर्वी चीन सागर को लेकर वियतनाम और जापान के साथ उसका विवाद है जबकि दक्षिण चीन सागर को लेकर फिलीपीन, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ उसका विवाद है। वहीं, भारत के साथ सीमा विवाद है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अप्रैल में एशिया की अपनी यात्रा के दौरान जापान और फिलीपीन जैसे सहयोगी देशों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि अमेरिका का एशिया की ओर रणनीतिक झुकाव बहुत हद तक सही है। अमेरिका के इस कदम को चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा गया।

हालांकि, जिनपिंग ने कहा कि चीन 14 में 12 पड़ोसी देशों के साथ भूमि सीमा मुद्दे का पूरी तरह से हल कर चुका है और उन्होंने भूक्षेत्र को लेकर अन्य देशों के साथ विवादों का शांतिपूवर्क हल करने का संकल्प लिया।

जिनपिंग ने कहा कि ‘पंचशील सिद्धांत’ कहे जाने वाले शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच सिद्धांत, जिन्हें चीन ने भारत और म्यामां के साथ संयुक्त रूप से पेश किया था वह विभिन्न देशों के बीच संबंधों का एक बुनियादी नियम बन गया है। उन्होंने कहा कि स्वार्थी हितों के लिए तनाव भड़काने और उकसाने जैसी चीजों का भी विरोध होना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि चीन आपसी विश्वास, पारस्परिक फायदा, समानता एवं तालमेल की विशेषता वाली एक नयी सुरक्षा अवधारणा की हिमायत करता है। जिनपिंग ने कहा कि आसियान, दक्षेस और अरब लीग द्वारा क्षेत्रीय मामलों में एक सकारात्मक भूमिका निभाए जाने का समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि रेशम मार्ग और 21 वीं सदी के समुद्री रेशम मार्ग पर एक आर्थिक क्षेत्र का विकास तेज करने के लिए चीन अन्य देशों के साथ काम करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक जल्द ही खुल जाएगा।
(एजेंसी)

First Published: Wednesday, May 21, 2014, 21:44

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