Last Updated: Monday, October 14, 2013, 19:35
सुधीर चौधरीप्रिय सचिन,
मैं तीन सितंबर को मुंबई में आपसे मिला था तो आपकी शख्सियत की जिन दो बातों ने मुझे बहुत ज़्यादा प्रभावित किया था, वो थी सादगी और ईमानदारी। उस वक़्त मेरे मन में ख्याल आया था कि सत्ता में बैठे लोग आपकी तरह ही ईमानदार, सादगीपसंद और काम के प्रति ज़ुनूनी हो जाएं तो देश का चेहरा बदल सकता है। आपने 24 साल में क्रिकेट का चेहरा बदल दिया और अब वक़्त है देश का चेहरा बदलने का।
सचिन, आप वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में अपना 200वां टेस्ट खेलने उतरोगे तो करोड़ों हिन्दुस्तानियों की नज़रें सिर्फ और सिर्फ आप पर होंगी। क्रीज पर बल्ला गढ़ाते सचिन, बेहद सहजता से गेंद को बाउंड्री के बाहर भेजते सचिन और मुमकिन हुआ तो एक हाथ में बैट और दूसरे में हैलमेट को लहराकर अपने आखिरी शतक का जश्न मनाते सचिन की तस्वीरों को लोग अपने जेहन में हमेशा के लिए कैद करना चाहेंगे। लेकिन, आपके दिमाग में क्या सिर्फ खेल चल रहा होगा? क्या आपकी निगाहें सिर्फ विरोधी गेंदबाजों की गेंद पर होंगी या उस खालीपन पर, जिसकी कल्पना भी कुछ दिनों पहले तक आपने नहीं की थी।
सचिन, आप सिर्फ क्रिकेट के नहीं बल्कि देश के ब्रांड एम्बेसेडर हो। भारतीय संस्कृति एवं पारिवारिक मूल्यों के ब्रांड एम्बेसेडर हो। भारतीय क्रिकेट अब तीन युगों में बंट गया है। पहला, सचिन से पहले का युग। दूसरा, सचिन के बाद का युग और तीसरा सचिन युग। बीते 24 साल से आपने हिन्दुस्तानियों को एक अजीब सम्मोहन में बांध कर रखा है कि उन्हें अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि 18 नवंबर के बाद आप कभी मैदान पर नहीं उतरोगे।
सचिन, क्रिकेट आपका जीवन रहा है। हम नहीं कहते कि आप कभी क्रिकेट से दूर हो। लेकिन, क्या सचिन को सिर्फ क्रिकेट के प्रति समर्पित रहना चाहिए? आपके भीतर नामुमकिन को मुमकिन करने की विराट क्षमताएं हैं। आपके सामने हर रास्ता खुला है, क्योंकि आपकी स्वीकार्यता अद्भुत है। लेकिन, सवाल है कि सचिन ख़ुद अपने लिए क्या रास्ता चुनते हैं? आप चाहो तो कोच बन सकते हो, सिलेक्टर बन सकते हो, कमेंन्टेटर बन सकते हो अथवा बीसीसीआई में कोई भी बड़ा पद लेकर प्रशासनिक भूमिका में आ सकते हो। ऐसा करते हुए अपनी मार्केट वैल्यू के हिसाब से करोड़ों रुपए रिटायरमेंट के बाद कमा सकते हो। इसके पीछे तर्क हो सकता है कि आप क्रिकेट की सेवा कर रहे हो। क्रिकेट से मिली अपार लोकप्रियता का कर्ज उतार रहे हो।
सचिन ! मेरी तरह लाखों हिन्दुस्तानी आपको इस भूमिका में नहीं देखना चाहते। ऐसा हुआ तो आपमें और उन औसत क्रिकेटरों में क्या फर्क रह जाएगा, जो आज बीसीसीआई से जुड़कर सिर्फ रुपए कमा रहे हैं। सचिन, आप लोगों की सोच बदल सकते हो। आप इस देश की दिशा बदल सकते हो। हाशिए पर पड़े मसलों को बहस का मुद्दा बना सकते हो। आज देश को एक नायक की तलाश है। राष्ट्र नायक की जगह खाली है, और देश नायक तलाश रहा है। वो नायक, जो तमाम वर्ग, जाति, पार्टी से ऊपर उठकर देश के हर हिस्से का नेता बन सके। वो चेहरा आप बन सकते हो। आप चाहो तो बिना किसी दल में शामिल हुए देश को बदलने की कोशिश कर सकते हो। आप राजनीति कर सकते हो...। हां...सचिन आप राजनीति में भी आ सकते हो। राजनीति सिर्फ राज करने की नीति नहीं है, देश को बदलने की नीति है। और आपमें राजनीति की सामान्य परिभाषा बदलने की काबिलियत है।

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सचिन, आप कह सकते हो कि आपको राजनीति नहीं आती और राज्यसभा की सदस्यता मानद है। यह बात सच है। लेकिन, यही आपकी सबसे बड़ी योग्यता भी है। आखिर, आज हर बात पर तो राजनीति हो रही है। टोपी पहनने में राजनीति है, तो टोपी उतारने में राजनीति है। ऑर्डिनेंस लाने में राजनीति है, ऑर्डिनेंस फाड़ने में राजनीति है। आज हमें ऐसे राजनेता की ज़रुरत है जो नॉन अलाइंड पॉलिटिक्स का ब्रांड एम्बेसेडर बने। जनता में जिसकी आवाज़ कुछ ऐसे सुनी जाए कि बाकी दलों को उसके उठाए मुद्दों पर सहमत होना पड़े।
रामायण में हनुमान को उनकी शक्ति का अहसास नहीं था। हनुमान को शक्ति का अहसास कराया गया तो वह पूरा मंदार पर्वत ही उठा लाए। आप भी अपनी शक्ति को पहचानो। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हर बड़ा मैच देखने स्टेडियम जाते हैं। यानी दोनों क्रिकेट के दीवाने हैं और आप चाहो तो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को एक साथ एक मंच पर ला सकते हो। आप चाहो तो देश में घूम घूमकर शिक्षा, जातिवाद समेत कई मुद्दों पर नयी अलख जगा सकते हो।
सचिन, याद है न 1996 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल। श्रीलंका के 251 रनों के मुकाबले भारतीय टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। नाराज़ लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी तो मैदान पर शांतिदूत की तरह आपको उतारा गया था। लोगों के गुस्से को सिर्फ आपने शांत कराया था। उस वक्त आपने देश की प्रतिष्ठा को भी तार-तार होने से बचाया था। अब आपको नए सिरे से राष्ट्र को गौरवान्वित करना है। सचिन, आपको अब राष्ट्रनिर्माण के मैदान पर एक बड़ी पारी खेलनी है। इस राष्ट्र को सर्वस्वीकार्य सचिन की सख्त जरूरत है।
सचिन, पूरे राष्ट्र को आपके फैसले का इंतज़ार है। राष्ट्र में बदलाव की व्यापक लहर लाने का मौका 125 करोड़ के इस देश में 125 साल में 125 लोगों को भी ठीक तरह से नहीं मिला। सोचो और फैसला करो सचिन ! यह बड़े फैसले की घड़ी है।
(लेखक ज़ी न्यूज के एडिटर हैं और आप उन्हें ट्विटर पर फॉलो कर सकते हैं- @sudhirchaudhary)
First Published: Monday, October 14, 2013, 15:05