बीजेपी नहीं रही पार्टी विद ए डिफरेंस...

बीजेपी नहीं रही पार्टी विद ए डिफरेंस...

बीजेपी नहीं रही पार्टी विद ए डिफरेंस...वासिंद्र मिश्र
संपादक, ज़ी रीजनल चैनल्स

पार्टी विद ए डिफरेंस का नारा देने वाली बीजेपी में अब कुछ भी अलग नहीं रहा...यहां भी सत्ता के लिए संघर्ष शुरु हो चुका है..पिछले कुछ दिनों में टिकट को लेकर बीजेपी में जो मारामारी दिखाई दे रही है उसने ये साबित कर दिया है कि पार्टी हर कीमत पर सत्ता के लिए ही लड़ रही है...अब बीजेपी के लिए सत्ता ही धर्म है और सत्ता ही उनका कर्म बन चुका है...लेकिन इन सबके बीच पार्टी में बढ़ रहा असंतोष भी सतह पर आ गया है...चाहे वो गाज़ियाबाद में वीके सिंह को लेकर हुआ हंगामा हो या फिर वाराणसी-लखनऊ सीटों पर विवाद...चाहे लखनऊ में बीजेपी के दफ्तर पर कार्यकर्ताओं का जगदंबिका पाल के विरोध में किया गया हंगामा हो या फिर देवरिया सीट को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं का विरोध के रूप में राजनाथ सिंह का पुतला फूंका जाना...यहां तो पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ना बेहतर समझा है...।

बीजेपी का ये विवाद उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है...ताजा मामला चंडीगढ़ में अभिनेत्री किरन खेर को टिकट दिए जाने के विरोध का है.... चंडीगढ़ में भी पार्टी के लिए काम करते आ रहे स्थानीय नेताओं को हाशिए पर रखकर किरन खेर को टिकट दिए जाने को लेकर कार्यकर्ता नाराज हैं...बीजेपी के आला नेता ये बखूबी जानते रहे होंगे कि इस तरह टिकट बांटे जाने को लेकर कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना होगा लेकिन जिताऊ फॉर्मूले पर चल रही बीजेपी ने जब सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी की परवाह नहीं की तो कार्यकर्ताओं के विरोध का पार्टी पर क्या असर होगा...कर्नाटक में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने पर एक बार पार्टी से बाहर हो चुके येदियुरप्पा की पार्टी में वापसी पर आडवाणी नाखुश थे तो कर्नाटक में दागी नेता श्रीरामुलु की पार्टी बीआरएस कांग्रेस के बीजेपी में विलय का विरोध सुषमा स्वराज ने सोशल मीडिया पर किया था...लेकिन दोनों ही आज पार्टी में हैं...।बीजेपी नहीं रही पार्टी विद ए डिफरेंस...

बीजेपी जोर-शोर से भ्रष्टाचार और वंशवाद का विरोध करती रही है... कांग्रेस के खिलाफ पार्टी ने दिन मुद्दों पर मोर्चा खोल रखा है उनमें से वंशवाद और भ्रष्टाचार बड़े मुद्दे हैं...नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में इसकी चर्चा करते रहे हैं लेकिन सत्ता तक पहुंचने की जुगत में धीरे धीरे बीजेपी खुद इसका शिकार होती नज़र आ रही है...येदियुरप्पा, श्रीरामुलू, राम विलास पासवान जैसे नेताओं के पार्टी में आने, प्रमोद महाजन, यशवंत सिन्हा और कैप्टन जयनारायण निषाद के बेटे-बेटियों को टिकट देकर पार्टी ने वंशवाद के विरोध को खुद ही खोखला साबित कर दिया है..।

हरियाणा में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ बीजेपी का गठबंधन है... कुलदीप बिश्नोई भजनलाल के बेटे हैं... भजनलाल के सक्रिय रहते हरियाणा की राजनीति में दलबदलू नेताओं का बोलबाला था और आयाराम-गयाराम की पॉलिटिक्स अपने चरम पर थी... आज कुलदीप विश्नोई भजनलाल की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं... लेकिन बीजेपी को हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई परहेज नहीं है...बीच बीच में हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से भी बीजेपी के गठबंधन की बातें सुनाई दे रहीं थीं... फिलहाल ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला टीचर भर्ती घोटाला मामले में जेल की हवा खा रहे हैं। इनकी पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन आखिरी रूप नहीं ले पाया लेकिन बीजेपी को INLD के साथ आने से परहेज़ नहीं था...सत्ता को अपना एकमात्र लक्ष्य बना चुकी बीजेपी के तेजी से उठ रहे इन कदमों को उनके कार्यकर्ता ही नहीं पचा पा रहे...पार्टी कार्यकर्ता उन लोगों को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे जो अपनी अपनी पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं या फिर अपना राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए पार्टी में आए हैं, जिनका पार्टी के सिद्धांतों से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि कार्यकर्ताओं की इस कशमकश से पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा...तभी तो पार्टी हर भ्रष्ट और जिताउ नेताओं का भी रेड कार्पेट वेलकम कर रही है जो सत्ता दिलाने में उनके मददगार साबित हो सकते हैं... पार्टी इसके लिए दीन दयाल उपाध्याय के इंटेग्रेटेड ह्यूमेनिज्‍म के सिद्धांतों को भुला चुकी है... बीजेपी के लिए अब सिद्धांत, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, ईमानदारी और भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं रहा।

आप लेखक को टि्वटर पर फॉलो कर सकते हैं

First Published: Tuesday, March 18, 2014, 17:02

comments powered by Disqus