पारी खत्‍म...फिर भी सचिन तो `सचिन` ही रहेंगे । End of inning...But Sachin will always remain 'Sachin'

पारी खत्‍म...फिर भी सचिन तो `सचिन` ही रहेंगे

पारी खत्‍म...फिर भी सचिन तो `सचिन` ही रहेंगेबिमल कुमार

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट की पारियां तो खत्म हो सकती हैं लेकिन क्रिकेट के बादशाह आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे और दुनिया के लिए एक हमेशा आदर्श बने रहेंगे। क्रिकेट की दुनिया के सरताज सचिन ने हाल में ऐलान किया कि वह नवंबर में वेस्टइंडीज के साथ अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्‍यास ले लेंगे। हालांकि, इस खबर से क्रिकेट प्रेमी चौंके, उनके करोड़ों प्रशसंक मायूस भी हुए पर क्रिकेट के पिच पर मास्‍टर बलास्‍टर की पारी का अंत तो एक दिन होना ही था। पर सचिन की जगह शायद ही कोई ले पाएगा और सचिन के बिना क्रिकेट कभी पूरा भी नहीं हो सकता।

क्रिकेट के मैदान पर करीब ढाई दशक की लंबी पारी के बाद भी सचिन तो वही सचिन ही रहेंगे, जिस रूप में उन्‍होंने क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे कारनामे किए जिसकी कल्‍पना कुछ साल पहले तक कोई नहीं कर सकता था। यानी सचिन ने सपने को हकीकत में बदला। ऐसा माद्दा विरले ही किसी क्रिकेटर में नजर आता है। जब कभी ब्रेडमैन, ब्रायन लारा आदि का नाम लिया जाएगा सचिन में निश्चित तौर पर उसमें सर्वोपरि होंगे। उनकी तुलना खेल के कई महान खिलाड़ियों से की गई, पर आधुनिक क्रिकेट में उन्हें ‘आधुनिक युग का डान ब्रैडमैन’ कहा जाता है।

सचिन की गाथा जीवंत क्रिकेट में हमेशा के लिए बनी रहेगी। मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने अपने क्रिकेटीय जीवन में रिकार्डों की ऐसी झड़ी लगाई है, जिसे तोड़ पाना फिलहाल असंभव सरीखा प्रतीत होता है। क्रिकेट के भगवान, साथी खिलाड़ियों के पाजी और विपक्षी टीम के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन ने 24 साल पुरानी क्रिकेट पारी में अनेक कीर्तिमान अपने नाम किए हैं। इतने रिकार्ड अपने नाम किए कि उन्हें `कीर्तिमान पुरुष`, `रिकार्ड पुरुष` कहा जाने लगा।


इतने लंबे समय तक खेलने के लिए क्रिकेट फैंस निश्चित तौर पर उनके शुक्रगुजार हैं। आखिर हो भी क्‍यों न, भारतीय क्रिकेट को उन्‍होंने अपने क्रिकेटीय पारी में एक नई ऊंचाई प्रदान की। पूरा देश आज यह उम्‍मीद कर रहा है कि पारी के अंत होने के बाद भी उनकी जिंदगी वैसे ही खुशी में बीते, जैसी खुशी उन्‍होंने बीते सालों में देशवासियों को दी। सचिन का संन्‍यास भले ही खेल के मैदान से है मगर वह हमेशा क्रिकेट के आइकन और महान खिलाड़ी बने रहेंगे। संभवत: इसलिए वह क्रिकेट की दुनिया के महान आदर्श हैं।

वैसे कहते हैं कि एक पारी का अंत हमेशा दूसरी पारी की शुरुआत करता है। मैदान पर सचिन की पारियां खत्म हो गईं पर अब मैदान से बाहर उनकी पारी की शुरुआत जरूर होंगी। उनमें पीढ़ियों को प्रेरित करने की ऊर्जा है। उनकी खेल के प्रति एकाग्रता, प्यार और उत्साह उनकी उपलब्धियों की प्रेरक शक्ति रही हैं। क्रिकेट की दुनिया में उनकी बादशाहत ही ऐसी थी कि विपक्षी टीम के खिलाड़ी भी उनके कायल हैं। क्रिकेट खेलने वाले सभी देश मुक्‍त कंठ से उनकी प्रशंसा करते हैं।

करीब दो साल पहले सचिन के भविष्य को लेकर लगाई जा रही थी कि अब शायद उनका क्रिकेटीय जीवन अंत मोड़ पर आ गया है, हालांकि उन्‍होंने हार नहीं मानी। बीच में आई कई मौकों पर उन्‍होंने अपनी उपयोगिता बखूबी साबित भी की। लगातार खराब फार्म के कारण सचिन पर युवा खिलाड़ी के लिए जगह छोड़ने का दबाव था और ऐसे में उनका संन्यास का फैसला हैरानी भरा नहीं है। इस फैसले के साथ ही अटकलों का दौर भी अब समाप्त हो गया। जिक्र योग्‍य है कि सचिन वनडे क्रिकेट से बीते साल दिसंबर में संन्यास ले चुके हैं और उन्होंने हाल में खत्‍म हुए चैंपियंस लीग के साथ पेशेवर ट्वेंटी-20 क्रिकेट से भी संन्यास की घोषणा कर दी थी।

सचिन के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के फैसले से भारतीय क्रिकेट के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के क्रिकेट के ‘स्वर्णिम युग’ का अंत हो गया। उन्होंने क्रिकेट पर बादशाह की तरह राज किया और उनकी लंबी पारियों ने खुद उनके और खेल के लिए कई उपलब्धियां अर्जित की हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि उनकी उपलब्धियां सभी क्रिकेटरों के लिए प्रेरणादायी हैं और वह भविष्य में भी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। एक खिलाड़ी के तौर पर सचिन ने मैदान के अंदर और बाहर जो जज्बा दिखाया है, वह काबिलेतारीफ है।

सचिन ने अब तक 198 टेस्ट मैच में पिच पर कदम रखा है। इन मैचों में उन्‍होंने 53.86 की औसत से 15837 रन अब तक बनाए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सचिन ने किस तरह क्रिकेट के प्रति समर्पित होकर इतने लंबे समय तक अपने लय को कायम रखा और कीर्तिमान दर कीर्तिमान गढ़ते चले गए। तभी तो सचिन यह कहने को मजबूर हो गए कि क्रिकेट खेले बिना जीवन की कल्पना करना उनके लिए मुश्किल है।

23 साल की उम्र में सचिन कप्तान के रूप में पहली बार दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में उतरे थे। हालांकि रिकार्डों के बादशाह सचिन कप्तान के रूप में सफल नहीं हो पाए। उन्हें दो बार भारतीय टीम की कमान सौंपी गई लेकिन वह टीम को कभी वैसी सफलता नहीं दिला पाए जैसी कि उनसे उम्मीद थी। सचिन की अगुवाई में भारत ने 25 टेस्ट मैच खेले लेकिन इनमें से भारत केवल चार मैच में जीत दर्ज कर पाया जबकि नौ मैच में उसे हार मिली। एकदिवसीय क्रिकेट में सचिन ने 73 मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की पर वह केवल 23 मैचों में ही जीत का स्वाद चख पाए। इस बीच उनके जीवन में ऐसा भी क्षण आया, जब सचिन ने खुद माना कि वह बल्लेबाजी की तरह कप्तानी में सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे।

सचिन के शब्‍दों में, उनके लिए क्रिकेट के बगैर रहना नामुमकिन सा लगता है क्योंकि 11 साल की उम्र से मैं इस खेल के साथ रचा बसा हूं। मैं अपने घरेलू मैदान पर 200वां टेस्ट मैच खेलते हुए इस महान खेल को अलविदा कहना चाहता हूं। सचिन के ये बोल क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और दीवानगी दर्शाते हैं।


सचिन ही एकमात्र ऐसे बल्‍लेबाज हैं, जिन्‍होंने दुनिया के गेंदबाजों पर विजय पाई। उनके रिकॉर्डो को तोड़ पाना बहुत मुश्किल है। सचिन ने अपना पहला टेस्ट 15 नवंबर, 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला और अंतिम टेस्ट (जो प्रस्‍तावित है) मुंबई में 15 नवंबर, 2013 को वेस्टइंडीज के साथ खेलेंगे। अब तक उन्‍होंने सर्वाधिक 463 एकदिवसीय मैच खेले हैं। सचिन ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ गुजरावाला में खेला। अंतिम एकदिवसीय मैच 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला। वनडे मैचों में सर्वाधिक 18426 रन बनाए हैं। वनडे में सचिन के नाम सर्वाधिक 49 शतक और 96 अर्धशतक दर्ज हैं। उन्‍होंने अब तक टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 15837 रन बनाए। टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 51 शतक बनाने का रिकार्ड उनके नाम पर है। वनडे मैच में सबसे पहले 200 रनों का व्यक्तिगत आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज भी हैं। इसके अलावा, सचिन के नाम रिकार्डों की पूरी फेहरिस्‍त है, जिसे महज कुछ पन्‍नों में समेट पाना मुश्किल है।

इन्‍हीं उपलब्ध्यिों के चलते सचिन को देश के दूसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा सबसे बड़े खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार, विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड, विजडन क्रिकेटर ऑफ द इअर, राजीव गांधी पुरस्कार आदि से नवाजे गए।

सचिन ने नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को खासा प्रेरित किया जो उसकी तरह बनना चाहते थे। कई मौकों पर उन्‍होंने टीम इंडिया के खिलाडि़यों को एक नई दिशा देने का भी काम किया, जिसका लोहा कई क्रिकेटर आज भी मानते हैं और उसे अपने लिए यादगार पल मानते हैं। सचिन की खूबी ही ऐसी है कि वो आज तक बेपरवाह और आलोचनाओं को परे रखकर क्रिकेट की दुनिया में रमे रहे। जिसे देखकर लगता भी था कि वाकई ये सचिन ही कर सकते हैं। तभी तो क्रिकेट जगत में अब तक दो ही महानतम बल्लेबाज माने गए (सर डान ब्रैडमेन और सचिन तेंदुलकर)। हालांकि, सचिन का कैरियर अविश्वसनीय रूप से लंबा रहा पर उनके समकालीन क्रिकेटरों में से किसी को भगवान की तरह दर्जा नहीं मिला जो उन्हें मिला। सही मायने में सचिन भारतीय क्रिकेट के दूत हैं और उनके बिना भारतीय क्रिकेट की कल्पना करना बेमानी लगता है।

First Published: Monday, October 14, 2013, 17:09

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