Last Updated: Thursday, May 1, 2014, 21:32
वासिंद्र मिश्रसंपादक, ज़ी रीजनल चैनल्स विदेशों में ब्लैक मनी रखने वालों के नाम जल्दी ही सामने आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो तीन दिन के भीतर विदेशों में पैसा रखने वालों की लिस्ट याचिकाकर्ता राम जेठमलानी को सौंप दें। कोर्ट ने कहा कि वो जांच पूरी हो चुकने वाले मामलों में सभी सूचनाएं याचिकाकर्ता को सौंप दे। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ब्लैक मनी पर स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी गठित करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा है कि सरकार तीन हफ्ते के भीतर एसआईटी गठित करने का नोटिफिकेशन जारी कर दे। कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एमबी शाह को एसआईटी का चेयरमैन बनाया है। वहीं, अरिजीत पसायत को वाइस चेयरमैन बनाया गया है। रिटायर्ड जस्टिस एमबी शाह ने पहले ही एसआईटी की अध्यक्षता करने पर सहमति दे दी है। रिटायर्ड जस्टिस शाह ने ही उड़ीसा, झारखंड जैसे राज्यों में माइनिंग घोटाले की जांच की थी।
दरअसल कालेधन को लेकर मुहिम की नींव कुछ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स और रिटायर्ड जजेज की सस्था आईआरआई ने डाली थी, जब इस संस्था से जुड़े 16 लोगों की टीम की ओर से पूरे रिसर्च वर्क और तथ्यों को जुटाने के बाद जनवरी 2010 में याचिका दायर की थी। आइए नजर डालते हैं इस पूरी लड़ाई के सफरनामे पर यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह और उनकी टीम ने याचिका दायर करने से पहले बड़े पैमाने पर रिसर्च किया। पहली बार पूरी तरह तथ्यात्मक और शोधपरक तरीके से याचिका को तैयार किया गया। 2008 से शुरु हुआ रिसर्च वर्क दो साल में पूरा हुआ, जिसके बाद अब लड़ाई की बुनियाद तैयार हो चुकी थी।
याचिका दायर करने से पहले इस याचिका में हार्ड रिसर्च वर्क के जरिए विदेशी बैंकों और संस्थाओं में जमा कालेधन की पड़ताल की गई। साथ ही पुणे में गिरफ्तार हसन अली मामले को भी उठाया गया। याचिका का फाइनल ड्राफ्ट 11 दिसंबर 2009 को तैयार हो गया जिसके बाद 9 जनवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी गई।

याचिकाकर्ता के तौर पर इसमें 16 लोगों के नाम थे इनमें मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर जूलियो एफ रिबेरो, पूर्व चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह, पूर्व अधिकारी वीके संधू, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन डा. हरि गौतम, पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल एस कृष्णास्वामी, योजना आयोग के पूर्व सचिव एनसी सक्सेना, यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह, आईआईटी खड़गपुर के पूर्व डायरेक्टर प्रो. एसके दुबे का नाम शामिल था इसके अलावा 6 और लोग भी याचिकाकर्ता के तौर पर शामिल थे।
याचिका में मांग की गई थी कि कालेधन की जांच एसआईटी से कराई जाए। इसी बीच वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की तरफ से भीयाचिका दायर की गई लेकिन सरकार अदालत में इसे लेकर हीलाहवाली करती रही। सरकार ने तीन चार साल जांच लटकाई। साथ ही उन अधिकारियों को दागी बनानेकी कोशिश हुई तो कालेधन की मुहिम में शामिल थे खासकर दो अधिकारियों विजय शंकर पाण्डेय और जसबीर सिंह को घेरा गया। जब हसन अली का मामला उजागर हुआ तो सरकार ने कुछ अधिकारियों के जरिए इन दोनों अधिकारियों को टारगेट किया। साथ ही IRI के दूसरे सदस्यों को भी टारगेट किया गया, लेकिन अदालत को इनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला।
सरकार की तरफ से हर बार मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई लेकिन विदेशी बैंको में जिन 65 लाख करोड़ रुपए जमा होने के शोधपरक दावों के साथ आईआरआई ने मुहिम शुरु की थी वो रुकी नहीं और आखिरकार इस मुहिम की जीत हुई है।
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First Published: Thursday, May 1, 2014, 21:08