जनार्दन द्विवेदी का बयान पार्टी नीति के खिलाफ : पीएल पुनिया

जनार्दन द्विवेदी का बयान पार्टी नीति के खिलाफ : पीएल पुनिया

जनार्दन द्विवेदी का बयान पार्टी नीति के खिलाफ : पीएल पुनियाकांग्रेस पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक पीएल पुनिया अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी के आरक्षण पर दिए गए बयान के बाद आरक्षण को लेकर बहस काफी तेज हो गई है और ये चर्चा हो रही है कि ओबीसी के क्रीमी लेयर में आने वाले लोगों को आरक्षण का फायदा मिलना चाहिए या नहीं। इन सभी मुद्दों पर इस बार सियासत की बात में ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक वासिंद्र मिश्र ने पीएल पुनिया से लंबी बातचीत की। पेश है इस बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-

वासिंद्र मिश्र : पुनिया जी पिछले 24 से 48 घंटों से एक कांग्रेसी नेता के बयान पर जो वबंडर मचा हुआ है , इस बयान के पीछे मंशा क्या है, वो कांग्रेस पार्टी के हितैषी हैं या इस तरह का बयान देकर कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं ?

पीएल पुनिया : ज़ाहिर तौर पर जनार्दन द्विवेदी जी ने जो बयान दिया है.... जाति के आधार पर आरक्षण खत्म हो जाना चाहिए केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण रहना चाहिए, उनका बयान कांग्रेस पार्टी की नीति के खिलाफ है, संविधान के खिलाफ है, संविधान में जो प्रावधान है उसके खिलाफ है और इस समाज को बराबरी पर लाने के लिए समाजिक और आर्थिक गैर बराबरी को खत्म करने के लिए जो अनेक उपाय हैं, उनको नकारने का काम है। कांग्रेस पार्टी की नीति सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की है, खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक जो आम नागरिकों के नीचे के स्तर पर हैं, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उनको बराबर लाने की हमारी नीति हमेशा से रही है... और वास्तव में इससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान है


वासिंद्र मिश्र : पुनिया जी, जनार्दन द्विवेदी गांधी परिवार के करीबी माने जाते है और ऐसा माना जाता है कि वो अपने मन से कुछ नहीं बोलते हैं, उनका कोई जनाधार नहीं है, वो कभी चुनाव नहीं जीते हैं न कभी चुनाव जीतने की स्थिति में हैं, बावजूद इसके उनको लगातार राज्यसभा में नामित करके भेजा जाता रहा है... तो इस तरह के बयान पर कहा जा रहा है कि ऐसा बयान कहीं जानबूझ कर confusion create करने के लिए कांग्रेस की तरफ से ही दिलवाया गया हो और बाद में देखा गया कि इस पर पार्टी के अंदर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया आई है और इससे नुकसान हो सकता है तो तुरंत जनार्दन द्विवेदी के बयान के बारे में कहा गया कि ये उनका निजी बयान है, पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

पीएल पुनिया : नहीं ऐसा नहीं है राहुल जी से व्यक्तिगत रुप से मुलाकात हुई, बात हुई...और वही मुझे कांग्रेस अध्यक्ष के पास लेकर गए और उनसे भी बात हुई। राहुल जी ने स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष के सामने प्रस्ताव रखा कि इस विषय पर बयान देना है तो या मैं खुद दूंगा या सोनिया गांधी देंगी। कांग्रेस पार्टी की नीति स्पष्ट है,
समें बदलाव होने का प्रश्न ही नहीं होता। 2009 election manifesto को अगर देखें तो उसमें अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण की बात कही गई है, उसको लागू करने की बात कही गई है। उसके आधार पर फिर आगे आरक्षण बिल लोकसभा में पेंडिग है, पदोन्नति में आरक्षण लोकसभा में पेंडिग है तो जो कांग्रेस पार्टी लोकसभा और राज्यसभा में बिल पारित कराने के कोशिश कर रही है उसी पर हम मुकर जाएं या हमारा नेतृत्व मुकर जाए, ये कभी नहीं हो सकता है... 2009 manifesto में स्पष्ट लिखा है कि हम आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की संभावनाओं को तलाशेंगे लेकिन बिना किसी अनुसूचित जाति जनजाति को नुकसान पहुंचाए, इसका मतलब अनुसूचित जाति, जनजाति का आरक्षण यथावत बरकरार रहेगा इसके अतिरिक्त यादि कोई संभावना है आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की तो उसको तलाशा जाएगा...तो नीति में कोई confusion नहीं है उस नीति पर हम आज भी कायम हैं... और उसके विपरीत कोई नेता बयान देता हो, वो जितना भी बड़ा हो वो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बयान दे रहा है।


वासिंद्र मिश्र : एक और बयान जो उन्होंने पिछले दिनों ट्वीट करके दिया था कि 2009 में कांग्रेस पार्टी ने जो Coalition की सरकार बनाने का फैसला लिया, शायद यही कारण है कि आज 2014 में कांग्रेस की स्थिति 2009 से भी बुरी दिखाई दे रही है ?

पीएल पुनिया : देखिए 2009 से बुरी स्थिति में हम कतई नहीं हैं, किसी भी हालत में नहीं हैं, आज हमारे लगभग 14 चीफ मिनिस्टर हैं और बाकी दलों की बात कर लीजिए तो पूरे हिंदुस्तान में हमारा अस्तित्व है। हर स्टेट, हर Union Territory में हमारा अस्तित्व है... 2009 में सरकार क्यों बनाई है इसका जवाब हर व्यक्ति दे सकता है और हमारी पार्टी के सबसे ज्यादा 206 लोकसभा सदस्य हैं और हमारा जो मुख्य प्रतिपक्ष है वो हमसे लगभग 100 सीट कम है... तो कौन सरकार बनाएगा? सरकार भारतीय जनता पार्टी वाले बनाएंगे या हम बनाएंगे... हम सबसे ज्यादा सीट लेकर आए हैं... सही निर्णय लिया गया और बहुत अच्छे काम हुए। 2009 के बाद इस 5 साल में अनेक लैंडमार्क Legislation आए हैं... कई काम हुए हैं, जिनमें भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और आदिवासियों के लिए वन अधिकार भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री सड़क योजना, राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना और भारत निर्माण के अंतर्गत जितनी भी योजनाएं हैं वो इसी दौरान बनाई गई हैं। इतना काम हुआ है कि आम लोगों के जीवन में परिवर्तन हुआ है।


वासिंद्र मिश्र : तो फिर इस तरह की जो बयानबाजी हो रही है... संगठन में जो Indiscipline दिखाई दे रहा है.....ऐसे लोग जो Indiscipline बढ़ावा दे रहे हैं, उनके विरुद्ध पार्टी की तरफ से सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ?

पीएल पुनिया : देखिए मैं तो एक बहुत साधारण कार्यकर्ता हूं... वो वरिष्ठ नेता हैं। उनसे बड़े नेता लोग हैं, जिनका काम है ये सब देखना। मेरा ये मानना है कि ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगना चाहिए। ये अंदर रह कर जो लोग हमें नुकसान पहुंचाते हैं, वो बाहर वाला नहीं पहुंचा सकता। बाहरवाले को लोग मानेंगे कि ये विरोधी हैं, इनका काम है आलोचना करना... लेकिन अंदर बैठकर लोग आलोचना करने लगे तो लोग कहेंगे कि घर का होकर अगर ये ऐसी बातें कह रहा है, तो कोई न कोई बात ज़रूर होगी। ये गतिविधियां गलत हैं और इन पर अंकुश लगना चाहिए। जो लोग इस तरह की बात करते हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।


वासिंद्र मिश्र : एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा चर्चा में है और लगभग सभी राजनीतिक दल कुछ Directly कुछ Indirectly आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर अपने Manifesto में बातें कहते रहते हैं । उत्तर प्रदेश में या राष्ट्रीय स्तर पर बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कह रखा था कि अगड़ी जाति के लोग जोआर्थिक रूप से जो पिछड़े हैं उन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए, कांग्रेस पार्टी के भी MANIFESTO में था। 5 साल कांग्रेस की सरकार रही है, इस मुद्दे को लेकर कोई गंभीर पहल क्यों नहीं हुई कांग्रेस पार्टी की तरफ से।

पीएल पुनिया : इसमें यही था कि विकल्प को तलाशेंगे उसमें कांग्रेस अध्यक्ष के बयान को पढ़ें उसी में लिखा है ‘deliberations are on...’ उस पर चर्चा चल रही है या किसी भी राजनीतिक दल का Manifesto देख लीजिए, नीति को देख लीजिए किसी ने ये नहीं कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए, लेकिन उसके साथ कांग्रेस पार्टी की जो नीति है, जो पार्टी के घोषणा पत्र में लिखा है उसके जैसे ही आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की बात, संभावना तलाशने की बात हर एक ने कही है । मैं एक चीज आपको बताना चाहूंगा जो लोग अक्सर कह देते हैं कि दलितों में भी गरीब हैं वो इसका लाभ पाएंगे ....क्रीमी लेयर तो already introduced है, जो पिछड़ा वर्ग के लिए क्रीमी लेयर इंद्रा साहिनी केस में ही निर्धारित है कि क्रीमी लेयर फिक्स की जाएगी । क्या क्रीमी लेयर फिक्स की जाएगी, क्या इसकी सीमा होगी, ये सरकारें तय करेगी ये न्यायालय ने नहीं किया है ... लेकिन जो सामाजिक उत्पीड़न और सामाजिक गैर बराबरी जाति के आधार पर, वर्ण व्यवस्था के आधार पर है उसका क्या समाधान होगा ? अगर एतिहासिक परिपेक्ष्य में देखा जाए तो दलितों की तरफ से बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने आरक्षण की मांग नहीं की थी, उन्होंने तो Separate electorate की मांग की थी, जब ये देखा कि इससे समाज बंटेगा तो गांधी जी ने विरोध किया, कांग्रेस ने विरोध किया । पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने पहल की और कहा कि इन वर्गों को भागदीरी हम देंगे, सेवा में भागीदारी देंगे, लोकसभा और विधान सभा में प्रतिनिधित्व देंगे... सरकारी सेवाओं में , सार्वजनिक सेवाओं में प्रतिनिधित्व देंगे और उसमें ये भी साफ किया गया कि ये समझौता दो व्यक्तियों के बीच का समझौता नहीं है बल्कि दो वर्ग के बीच का समझौता है और इसमें अगर कोई संशोधन होगा तो दोनों पक्षों की सहमति से होगा तो जाहिर है कि परिस्थितियां बदलेगी । जब आर्थिक और सामाजिक गैर बराबरी खत्म होगी तो उसके बाद ये व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी ये कोई perpetual नहीं है, लेकिन जो condition जिसकी वजह से ये आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई वो तो खत्म होने दीजिए, अभी समय नहीं आया है, आज भी आरक्षण का कोटा पूरा नहीं है, कहते है कि suitable candidate नहीं है, आज भी यही स्थिति है ।


वासिंद्र मिश्र : पुनिया जी....क्रीमी लेयर को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। ये कहा जा रहा है कि आरक्षण की सुविधा ज़रूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच रही है... एससी-एसटी और ओबीसी की क्रीमीलेयर ही आरक्षण का फायदा उठा रही है... इसकी हक़ीकत क्या है और आंकड़े इस पर क्या कहते हैं ?

पीएल पुनिया : क्रीमी लेयर कॉन्सेप्ट ओबीसी पर लागू होता है, सुप्रीम कोर्ट के भी अनेक जजमेंट हुए हैं, जिनमें एससी-एसटी के लिए क्रीमी लेयर लागू नहीं है। इसके पीछे कॉन्सेप्ट ये है कि शिड्यूल कास्ट-शिड्यूल ट्राइब, ये सोशली बैकवर्ड हैं। समाज में उन्हें निम्न दृष्टि से देखा जाता है और उनके साथ भेदभाव होता है। बहुत से कामों के लिए उन्हें अनुमति नहीं दी जाती। सदियों से उन्हें सामाजिक दृष्टि से नीचे रखा गया। जब संविधान लागू हो रहा था तभी बाबा साहेब डॉ.भीम राव अंबेडकर ने कहा था कि सामाजिक और आर्थिक गैरबराबरी हमारे देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जितनी जल्दी इस गैरबराबरी को समाप्त कर दिया जाए, उतना ही अच्छा है। अभी 2013 में नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल की बैठक में डॉ. मनमोहन सिंह ने भी यही कहा । मैं मानता हूं कि जितनी भी सरकारें रही हैं, उन्होंने काफी काम किया, लेकिन, उसका implementation सही ढंग से नहीं हो सका, अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षण को व्यक्तिगत आरक्षण लाभ की दृष्टि से नहीं देखा गया, बल्कि उसको प्रतिनिधित्व की दृष्टि से देखा गया। उसका एक demonstrative effect होता है, जब अनुसूचित जाति-जनजाति का व्यक्ति सही स्थान पर जाता है, अच्छे स्थान पर जाता है तो उसका प्रभाव पड़ता है। ये सही है कि बहुत से वर्ग ऐसे हैं जो कि उपेक्षित हैं और उन्हें फायदा नहीं मिला... लेकिन ये भी हमें समझना पड़ेगा कि क्यों ऐसा नहीं हो सका... क्या जिन लोगों को लाभ मिला है, उनके रिश्तेदार ऐसे स्थानों पर बैठे थे, फर्क सिर्फ इतना है कि जिस व्यक्ति, परिवार और बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे दिया गया, वो आगे बढ़ गए। ज़रूरत इस बात की है कि हर वर्ग को... ख़ास तौर पर जो नीचे वंचित वर्ग है, उनको शिक्षा की दृष्टि से आगे बढ़ाया जाए। हमने नेशनल कमीशन ऑफ शेड्यूल कास्ट की तरफ से सजेस्ट किया है कि सफाई कर्मचारियों के परिवारों के लिए अलग से रेजिडेंशियल स्कूल खोले जाएं, इंटरमीडिएट तक मुफ्त शिक्षा दी जाए, फ्री ट्यूशन फीस हो, फ्री कपड़े और खाना हो। हॉस्टल की सुविधा समेत सभी चीजें फ्री हों... फिर 12 साल बाद देखिएगा कि समाज की स्थिति बदल जाएगी...


वासिंद्र मिश्र : आपने भी माना इस बात को कि 1949-50 में जो भाषण का मुख्य मुद्दा था वही बात फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोहराई, 1950-2013 में इतना लंबा समय गुजर गया, पर इस वर्ग की जो सामाजिक और शैक्षिक स्थिति है शायद उसमें उतना सुधार और तरक्की नहीं हुई जितनी अपेक्षित थी, इसका कोई आंकड़ा है सरकार के पास या किसी विभाग के पास ?

पीएल पुनिया : सीधा-सीधा आंकड़ा है, जो 15 फीसदी आरक्षण दिया जाता है केंद्र सरकार की नौकरियों में वो कहां पूरा है... केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय हैं उनमें पूरा नहीं है...जितनी राज्य सरकारें हैं वहां कोटा पूरा नहीं है। क्या वजह है, लोग कहते हैं कि सही उम्मीदवार नहीं मिले... दूसरी तरफ कहते हैं कि जो पढ़े-लिखे हैं, जो आगे बढ़ रहे हैं उनको हटा दिया जाए... इसका मतलब है जो आरक्षण का लाभ अभी मिल भी रहा है, उसको भी खत्म करना चाहते हैं। बाबा साहब ने भी कहा था कि संविधान हमारा बहुत अच्छा है...अगर ये फेल होगा तो इसलिए फेल नहीं होगा कि संविधान खराब है बल्कि इसको लागू करने वाले खराब हैं।
जनार्दन द्विवेदी का बयान पार्टी नीति के खिलाफ : पीएल पुनिया

वासिंद्र मिश्र : इसका मतलब ये है कि implementation की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है...उनकी नीयत में खोट है कहीं ना कहीं... बीच-बीच में इस तरह की भी शिकायतें आती हैं कि जो बजट एससी.एसटी और ओबीसी के वेलफेयर के लिए दिया होता है उसका किसी और मद में इस्तेमाल कर लिया जाता है ...

पीएल पुनिया : 1979 में इंदिरा जी ने स्पेशल कंपोनेंट प्लान, ट्राइबल प्लान शुरु किया...वो इसी लिए कि योजनाओं का लाभ मिले...लेकिन योजनाओं का लाभ इस वर्ग तक नहीं पहुंचा। जिन योजनाओं में हम पैसा खर्च कर रहे हैं उनका इस समाज के लोगों से कोई वास्ता ही नहीं है... एग्रीकल्चर में खर्च करते है, एग्रीकल्चर के improvement की बात करते हैं, green revolution की बात करते हैं...
नके पास जमीन ही नहीं है तो उसका लाभ क्या मिलेगा । इसलिए उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से जो प्लान फंड है वो अलग रखा जाएगा और उस फंड को उस वर्ग के विकास के लिए खर्च किया जाएगा। इस वर्ग की आवश्यकता के हिसाब से योजनाएं बने, उन योजनाओं को लागू किया जाए ताकि उसका लाभ उन तक पहुंचे... तभी तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होगी। ये कानून बनाने की मांग थी कि जो जानबूझकर इसमें खुराफात करते हैं, इसको सही ढंग से लागू नहीं करते हैं...उनको दंड देने का प्रावधान हो, जेल भेजने का प्रावधान हो, जुर्माना करने का प्रावधान हो...तब उनको डर लगेगा और सही ढंग से योजनाओं को लागू करेंगे...


वासिंद्र मिश्र : लेकिन अभी तक तो इस तरह का कोई कानून बन नहीं पाया...

पीएल पुनिया : आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में कानून बना...केंद्र सरकार में इसका प्रस्ताव है...कैबिनेट में जाने वाला है...और फिर हिंदुस्तान में लागू होगा...


वासिंद्र मिश्र : केंद्र में तो कांग्रेस की 10 साल से सरकार चल रही है...तो इसी से लग रहा है कि कांग्रेस कितनी गंभीर है?

पीएल पुनिया : समय के हिसाब से, परिस्थितियों के हिसाब से कोई निर्णय होता है...आप कहेंगे भोजन का अधिकार आपने 1952 में क्यों नहीं दिया....मैं समझता हूं बहुत अच्छी पहल है....


वासिंद्र मिश्र : एजेंसी के माध्यम से जानकारी आती है कि फंड का दुरुपयोग कांग्रेस शासित राज्यों में ज्यादा हुआ है....

पीएल पुनिया : नहीं ऐसा नहीं है, पंजाब में वो कहते हैं हमारे पास पैसा ही नहीं है...हम कहां से करें। वहां पर 10 फीसदी भी नहीं है, 30 फीसदी आबादी है.... 30 फीसदी प्लान फंड का पैसा खर्च होना चाहिए पर नहीं हो रहा। गुजरात में आबादी के हिसाब से खर्च नहीं हो रहा है। किसी भी राज्य ने उस गहराई से इसको नहीं देखा जिस गहराई से इस योजना को लागू किया गया था...


वासिंद्र मिश्र : हाल ही में आपके दल के दो जिम्मेदार नेताओं पी चिदंबरम और जर्नादन द्विवेदी ने विवादास्पद बयान दिए हैं उससे लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े रहे बहुत बड़े तबके के मन में फिर एक आशंका पैदा हो गई है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अगर इनको हमने तीसरी बार सत्ता दी तो ये आरक्षण की नीति में बदलाव कर देंगे

पीएल पुनिया : हमारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जो बयान आया है उससे पूरी तरह से ये मामला खत्म हो गया है, उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता जताई...हम पूरी तरह से दलित समाज के साथ हैं और किसी भी हालत में उनको जो लाभ मिल रहा है, उसमें बदलाव नहीं होने देंगे। अगर कोई बयान देता है तो उससे कतई सहमत नहीं हैं और ये हमारा कमिटमेंट है। नरेंद्र मोदी कहते हैं कि 5T...टूरिज्म,ट्रेड, ट्रेडीशन, टेक्नोलॉजी और टेलेंट है...ये 5T बताए...उसमें ट्रेडीशन भी है। हमने कहा ये hindutva tradition की बात कर रहे हैं....कि जो गरीब लोगों को दबा कर रखो...उनके साथ छुआछूत रखो...यही उनका tradition है ... अगर उड़ीसा में जाकर देखिए...आज भी ग्रामीण इलाकों में दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने देते....आप तमिलनाडु में जाकर देखिए, वहां पर ग्रामीण इलाकों में जो होटल हैं, वहां गिलास अलग से रखा जाता है अनुसूचित जाति के लिए...तो इनसे तो मैं समझता हूं कि दलित समाज अच्छी तरह जानता है कि खतरा ही खतरा है...और दलित समाज इनके झांसे में आने वाला नहीं है। कांग्रेस पार्टी के निरंतर सालों साल के अनुभव के आधार पर सब लोग जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी हमारे साथ है, उनके हाथ में हमारा भविष्य सुरक्षित है।


वासिंद्र मिश्र : आज आप लोगों की मीटिंग हुई थी, जो मीडिया में जाएंगे पार्टी की तरफ से अपनी बात रखेंगे... कांग्रेस पार्टी की बात रखेंगे...कोई खास मुद्दा जो हमसे शेयर करना चाहें आप...

पीएल पुनिया : वो इंटरनल मीटिंग थी...जैसे कि अगर कोई जानकारी चाहिए तो किस माध्यम से मिलेगी....जो हमारी वेबसाइट है, उसको किस तरह से access किया जाए...


वासिंद्र मिश्र : आपको लगता नहीं है जितने बेहतर तरीके से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बीजेपी कर रही है....उतने प्रभावी तरीके से आपकी पार्टी और आप लोग नहीं कर पा रहे हैं...

पीएल पुनिया : देखिए मोदी कॉरपोरेट जगत को साथ लेकर चल रहे हैं...और बुरी तरह से पैसे का इस्तेमाल हो रहा है, रैलियों में 20-20 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, बड़े-बड़े मंच बनाए जाते हैं, मीडिया के लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है, किस तरह से लोगों को गाड़ियों से लेकर आते हैं, जाते हैं...ये एक शो प्रजेंट करते हैं। इनका मुद्दा है 274+... सत्ता ही इनके लिए सबकुछ है। हम चाहते हैं कि सबका उत्थान हो...भारत का निर्माण हो...आधा भारत जो गरीब है...उसका भी उत्थान हो। ये अलग-अलग गुजरात मॉडल की बात करते हैं....हम भी कहते हैं कि इनका गुजरात मॉडल 2002 का मॉडल है जो कत्लेआम किया था, उसी मॉडल की ये बात करते हैं। 1992 में बीजेपी और संघ के लोगों ने बाबरी मजिस्द को ध्वस्त किया था...ये उसी मॉडल की बात करते हैं...और अगर ये सत्ता में आएंगे तो उसी मॉडल के साथ लौटेंगे.....


वासिंद्र मिश्र : 2014 के चुनाव में आप किन 5 मुद्दों के साथ जनता के बीच जाने वाले हैं....

पीएल पुनिया : धर्मनिरपेक्षता की अगर कोई ध्वजवाहक पार्टी है तो वो कांग्रेस है। बीजेपी पर सांप्रदायिकता का दाग है...उनके ऊपर कत्लेआम का दाग है। सांप्रादियकता विरोधी और धर्मनिरपेक्षता के साथ हम हैं, 10 साल में गरीब और आम आदमी को जो अधिकार देने की बात हमने की है...वो आजाद हिंदुस्तान में कभी नहीं हुआ, हमने भोजन का अधिकार दिया है, हमने शिक्षा का अधिकार दिया है, हम ये भी कहते हैं...हमारी उपस्थिति राज्य और केंद्र दोनों में है। दूसरे पक्ष के लोग उनकी उपस्थिति 10-12 राज्यों में ही है, हम तो हमेशा उनसे बेहतर हैं...आज भी हमारे 14 मुख्यमंत्री हैं...


वासिंद्र मिश्र : लग रहा है आप लोग defensive ज्यादा हैं...?

पीएल पुनिया : हम लोग defensive कतई नहीं हैं...हम लोग 10 साल से सरकार में हैं...हम से सवाल पूछे जाएंगे...उनका जवाब तो देना ही होगा, आप अगर उसको defensive होना कहेंगे तो आप कह सकते हैं ...लेकिन हम defensive नहीं हैं...हम अपनी बात दमदारी के साथ कहते हैं।

First Published: Friday, February 7, 2014, 19:42

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