Last Updated: Sunday, December 8, 2013, 15:50
वासिंद्र मिश्रसंपादक, ज़ी रीजनल चैनल्सजो चुनाव परिणाम आ रहे हैं, इन परिणामों ने मंडल-कमंडल, जाति और संप्रदाय की राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों को करारा जवाब दिया है। इन परिणामों से जाहिर है कि अब देश के मतदाताओं को जज्बाती, सांप्रदायिक और जातीय मुद्दों को उछालकर गुमराह नहीं किया जा सकता ना हीं ऐसे मुद्दों पर वोट हासिल किया जा सकता है। इन राज्यों के परिणाम गुड गवर्नेंस, स्वच्छ प्रशासन और डेवलपमेंट की ज्यादा तस्दीक करते हैं। देश में बढ़ती महंगाई भ्रष्टाचार और कुशासन के चलते कांग्रेस पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है।
अब जब पार्टी को इसका अहसास भी हो चुका है तो पार्टी मंथन करने के बारे में सोच रही है तो वहीं बीजेपी पहले ही बड़ी सावधानी से अपनी रणनीति में बदलाव कर चुकी है, पार्टी कमंडल की राजनीति से दूर सुशासन के मुद्दे को लेकर सत्ता की राह पर है। कांग्रेस पार्टी जो अभी तक समाज को जातियता, सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता के खांचों में बांटकर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचती रही है, उसे अब इन परिणामों से सबक लेकर 2014 की अपनी चुनावी रणनीति का निर्धारण करना होगा।
दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम देश के दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए खतरे की घंटी हैं, इन परिणामों ने भ्रष्टाचार, पूअर गवर्नेंस और राजनैतिक-सामाजिक जीवन में पारदर्शिता के मुद्दों को पॉलिटिकल एजेंडे में सबसे ऊपर ला दिया है। महंगाई के दंश ने समाज के 90 फीसदी लोगों को इस हद तक प्रभावित किया है कि उसकी प्रतिक्रिया के रूप में दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ करके ज़ाहिर कर दिया है। उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और मनमोहन सिंह की सरकार लोकसभा चुनाव में जाने से पहले इस कड़वी सच्चाई को समझकर आने वाले समय के लिए अपना पॉलिटिकल एजेंडा तय करेंगे।

|
---|
दिल्ली के चुनाव परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को भले ही नंबर एक की पार्टी बना दिया हो लेकिन आम आदमी पार्टी की शानदार कामयाबी ने इसके लिए भी मजबूत चुनौती पेश की है। जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण आंदोलन के बाद अन्ना हज़ारे की अगुआई में सबसे बड़ा जनआंदोलन कुछ साल पहले दिल्ली में देखने को मिला था और इस आंदोलन की अपज अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी दिल्ली की जनता के मन में अपनी विशेष जगह बनाने में कामयाब रही है। इससे लगता है कि देश की जनता रोटी-रोजी, विकास, स्वच्छ प्रशासन सरीखे मुद्दों को ज्यादा तरजीह देने का मन बना चुकी है।
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी से ज्यादा शिवराज सिंह चौहान को मिलना चाहिए। शिवराज सिंह चौहान ने जिस सादगी, साफगोई और सहज सुलभता के रास्ते पर चलकर दस साल तक अपनी सरकार चलाई उसी का नतीजा है कि उस राज्य की जनता ने उनको तीसरी बार भी सरकार बनाने का जनादेश दिया है। शिवराज सिंह चौहान ने इतनी शानदार कामयाबी के बावजूद अपनी सादगी का परिचय दिया है। साथ ही उन्होंने 2014 की चुनौति को स्वीकार करते हुए दावा किया है कि दिल्ली में जब बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनाने की स्थिति होगी तो अनुपात के आधार मध्यप्रदेश से लोकसभा की सर्वाधिक सीटें जीतकर देंगे।
वहीं छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ बीजेपी को कांग्रेस की कड़ी चुनौती मिली है लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मजबूती उस सहानुभूति का परिणाम मानी जा रही है जो जीरम घाटी में प्रदेश कांग्रेस के काफिले पर हुए वहशियाना हमले से उपजी थी।
आप लेखक को टि्वटर पर फॉलो कर सकते हैं
First Published: Sunday, December 8, 2013, 15:49