
भाजपा इसीलिए केंद्र की सत्ता में आ सकी क्योंकि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनते, अटल जी की छवि सेक्युलर है इसीलिए जनता ने भाजपा को वोट दिया लेकिन मोदी कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। ये कहना है महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा का। सियासत की बात में
शोभा ओझा से ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक
वासिंद्र मिश्र ने लंबी बात की। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश :-
वासिंद्र मिश्र : कांग्रेस पार्टी जो लगातार जनता के बीच में जाती है तो women empowerment की बात करती है, लेकिन जब महिलाओं के वाजिब हक़ और भागीदारी की बात आती है, तो उनको कानूनी दांवपेंच में उलझा के रख दिया जाता है।
शोभा ओझा : देखिए, मैं ये बिल्कुल मानने को तैयार नहीं हूं। अगर महिला सशक्तिकरण की बात किसी ने सोची और उसे किया तो वो कांग्रेस है। आजादी के पहले महिलाओं को आजादी के मूवमेंट में involve किया गांधी जी ने और आजादी के बाद लगातार चाहे इंदिरा जी रही हों, राजीव जी रहें हों, सोनिया जी रही हों अब राहुल जी, सबने महिलाओ को सशक्त किया है। जो राजीव जी का सपना था 33 फीसदी आरक्षण का, उस सपने को कांग्रेस की सरकार ने पूरा किया। स्थानीय निकायों में 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं को मिला और जो महिलाएं घूंघट में रहती थी जो कभी बाहर निकलने की सोच नहीं सकती थीं, वो पंचायती राज्य के माध्यम से इस आरक्षण के माध्यम से, गवर्नेंस में आईं, सरकार में आई। उन्होंने अपने गांव का अपने क्षेत्र का विकास किया।
वासिंद्र मिश्र : शोभा जी! राजीव जी का जो सपना था women empowerment का, ड्राफ्ट तैयार कराया था मौजूदा गवर्नर मारग्रेट अल्वा ने। women empowerment डॉफ्ट में जो सिफारिशें थीं, उसके बाद 33 फीसदी रिजर्वेशन की बात आई, लेकिन जो व्यवहारिक रूप में देखने में आता है जहां सही मायने में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए उसमें आप की कांग्रेस पार्टी भी सिर्फ लिप सर्विस करते हुए दिखाई देती है।
शोभा ओझा : ये बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं हूं। स्थानीय स्तर पर 33 फीसदी आरक्षण को पिछली सरकार ने, सोनिया जी के कहने पर 50 फीसदी कर दिया। विश्व में ऐसा कोई देश नहीं है जहां स्थानीय निकायों के चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण है जो कि हमारी बहुत बड़ी ताकत है। जहां आप बात कर रहे है विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण की तो वो बिल पेंडिंग है और अगर कांग्रेस की सरकार बहुमत में होती तो वो पास भी हो जाता।
वासिंद्र मिश्र : कांग्रेस की नीति और नीयत पर इसलिए शक पैदा होता है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी की इच्छा रहती है तो वो गठबंधन की सरकार हो या अकेले बहुमत की सरकार हो, बिल पास हो जाता है। महिला बिल कई दशकों से पेंडिंग है और 10 साल से लगातार आपकी सरकार है, परमाणु डील हो जाता है, आरटीआई आप पास करा लेते है, मनरेगा से लेकर रोजगार गारंटी, फूड सिक्योरिटी बिल आप पास करा लेते है, लेकिन जब महिला बिल पास कराने की बात आती है कहीं ना कहीं आप लोग इसे उलझा देते है, कहते हैं विपक्ष साथ नहीं है।
शोभा ओझा : नहीं...नहीं मैं इसे बिलकुल मानने को तैयार नहीं हूं। कांग्रेस की नीयत बिल्कुल साफ है। आप याद कीजिए इस देश को पहली महिला प्रधानमंत्री कांग्रेस ने दिया, पहली महिला राष्ट्रपति, पहली महिला स्पीकर भी कांग्रेस ने ही दिया, आप आंकड़े देख लें कहीं के भी, कांग्रेस बिना आरक्षण के भी महिलाओं को सबसे ज्यादा चुनाव लड़ाती है। जहां तक आरक्षण बिल का सवाल है, विपक्षी पार्टियां इसके लिए राजी नहीं थी, धीरे-धीरे दूसरी पार्टियों ने मन बनाया पर कुछ अभी-भी विरोध में खड़ी है। कुछ कह रही है कि इसमें ओबीसी का अलग कोटा होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस महिला आरक्षण बिल के मूल स्वरूप पर अड़ी हुई है। कई विपक्षी पार्टियों के विरोध के बावजूद हमने इसे राज्यसभा में पारित करा दिया।
वासिंद्र मिश्र : आपकी पार्टी महिला आरक्षण को मुद्दा बनाकर कितने चुनाव लड़ेगी ?
शोभा ओझा : नहीं, मुद्दा बिल्कुल नहीं बनाती कांग्रेस, वही कहती है जो वो करती है। आसमानी, सुल्तानी कोई वादे कांग्रेस नहीं करती। लोकसभा के फरवरी में होने वाले सेशन में महिला आरक्षण बिल फिर टेबल होगा और मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार ये पास हो जाएगा। राजीव जी ने सोचा था, सपना देखा था...वो अधिकार हमें अवश्य मिलेगा।
वासिंद्र मिश्र : एक बहुत महत्वपूर्ण बात आपने चर्चा के दौरान कही है। कांग्रेस पार्टी महिलाओं को सबसे ज्यादा टिकट देती है लेकिन एक आरोप लगता है समान्य तौर पर। कांग्रेस पार्टी उन सीटों से चुनाव लड़ाती है जो वो मानकर बैठी रहती है कि ये हारने वाली सीटें हैं, महिलाओं को दे दो। कहने के लिए हो जाएगा कि women representation भी हो गया और credibility भी नहीं प्रभावित हुई।
शोभा ओझा : महिला सशक्तिकरण को लेकर सबसे ज्यादा कोई संवेदनशील है, सबसे ज्यादा कटिबद्ध कोई है, तो वो कांग्रेस पार्टी है। इसमे कोई दो राय नहीं, कोई शक नहीं और देश की महिलाओं ने कांग्रेस का साथ देकर समय-समय पर ये साबित किया है कि उनका विश्वास कांग्रेस पार्टी पर है।
वासिंद्र मिश्र : आधी आबादी आप लोगों का समय-समय पर साथ दे रही है, लेकिन आप लोग आधी आबादी का सिर्फ राजनैतिक इस्तेमाल कर रही हैं?
शोभा ओझा : ये बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं हूं मैं। कांग्रेस की वजह से ही आज हमारी बहनें गांवों में, ठेठ कस्बों में, कहीं नगरपालिका अध्यक्ष बनकर बैठी है तो कहीं मेयर बनकर बैठीं है, तो कहीं जिला पंचायत अध्यक्ष बनकर बैठी हैं, कहीं मंडी में बैठी हैं, तो कहीं सरपंच बनकर बैठी है, और काम कर रही है। ये कांग्रेस की ही सोच हो सकती है। राजीव जैसे अच्छे नेता की सोच हो सकती थी और अब राहुल जी ने वही बीड़ा उठाया है। उन्होंने इतना तक कहा है कि वो चाहते हैं कि आने वाले समय में इस देश के आधे राज्यों में महिला मुख्यमंत्री बने।
वासिंद्र मिश्र : शोभा जी, लेकिन क्या कारण है कांग्रेस शासित राज्यों में महिलाओं के विरुद्ध जुर्म, ज्यादती, अत्याचार की घटनाएं ज्यादा होती हैं?
शोभा ओझा : अगर आप आंकड़े उठा के देखें तो मध्यप्रदेश कांग्रेस शासित नहीं है, पिछले दस साल से मध्यप्रदेश महिला अत्याचार के मामलों में नंबर एक पर है। मैं समझ रही हूं, आपका आशय दिल्ली की शीला दीक्षित की सरकार थी, उसको लेकर कह रहे होंगे। क्योंकि दिल्ली राजधानी है इसलिए यहां जो कुछ होता है तो उसका असर पूरे देश में होता है और हंगामा पूरे देश में होता है। जब शीला दीक्षित की सरकार थी तब जो आप पार्टी सबसे ज्यादा कूदती थी कि महिला अत्याचार बहुत है, निर्भया केस में सबने बहुत ज्यादा शोर मचाया लेकिन आज देखने में आ रहा है कि आप की सरकार है, तब भी वो सारी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कई वादे किए थे, इतना गन्दा नारा दिया कि अगर आप भ्रष्टाचारियों को वोट देंगे तो आप रेप को ज्यादा बढ़ावा देंगे, ऐसे पोस्टर तक उन्होंने दिल्ली में लगाए थे लेकिन चुनाव के दौरान और आज क्या ऐसे मामलों में कमी आई है कहीं। कोई कमी नहीं आई है। शीला सरकार में जितने रेप और अत्याचार महिलाओं के साथ हुए थे, आज भी हो रहे हैं, इसलिए ये मानने को तैयार नहीं हूं।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन दिल्ली में जो कानून व्यवस्था कि जिम्मेदारी है वो तो आपके केंद्र सरकार के हाथ में है, तो आप ये मानती है न कि जितना दुराचार, दुर्व्यवहार शीला सरकार के टाइम में दिल्ली में हुआ वो अभी भी बरकरार है, क्योंकि दिल्ली में आपकी सरकार है केंद्र में?
शोभा ओझा : देखिए इसमें महिला अत्याचार को हम किसी भी सीमाओं में न बांधे, मैं हमेशा ये कहती हूं कि महिला अत्याचार एक ऐसा मुद्दा है, जहां पूरे समाज को सजग होने की जरूरत है। सिर्फ नियम कानून बनाने से नहीं होगा, कानून तो हमने बनाए हैं, कुछ हमारे देश में पहले से ही हैं, महिला अत्याचार के खिलाफ, घरेलू हिंसा के खिलाफ रेप के खिलाफ कानून रहे हैं पर कानून लागू करने वाली इम्पलीमेंटिंग एजेन्सीज जो हैं, चाहे वो पुलिस हो, समाज हो.. दोनों को सजग होने की जरूरत है। साथ ही पुलिस अगर अपना दायित्व नहीं निभा रही है तो उसे सज़ा दी जाए। आज हम देखते हैं कि थानों में रेप हो जाते हैं, महिला थाने में रेप के एफआईआर दर्ज नहीं होते, पुलिस सजग नहीं है इसलिए भी रेप होते हैं, कई क्षेत्रों में जहां पुलिस को ड्यूटी पर होना चाहिए वो नहीं होती। बहुत जरूरी है कि हम पूरे समाज को सजग करें।
वासिंद्र मिश्र : इससे हटकर और एक अहम मसला है आपके जो विरोधी हैं, वो अक्सर आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस पार्टी में जो महिलाएं राजनीति में हैं, वो बड़े अमीर elite क्लास की महिलाएं हैं, गांव-गरीब किसान परिवारों से जो महिलाएं हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी में कोई जगह नहीं मिलती है। इसका क्या कारण है?
शोभा ओझा : नहीं...ये आरोप गलत हैं
वासिंद्र मिश्र : आप पांच नाम बताइए जो मिडिल क्लास, लोअर मिडिल क्लास से उठकर आईं हैं, आपके संगठन में ऊंचे पदों पर हैं, सिर्फ पांच नाम बताइए।
शोभा ओझा : पांच नाम...देखिए मैं खुद एक मिडिल क्लास फैमिली की हूं.. तो ना मेरी...
वासिंद्र मिश्र : अगर शोभा जी मीडिल क्लास की हैं, तो शोभा जी के जो हम कह सकते हैं फादर इन लॉ जज थे, शोभा जी के पति बिजनेस मैन हैं, अगर ये मिडिल क्लास है तब तो मोटेंक सिंह अहलूवालिया का प्लानिंग कमीशन का जो डेटा है उसको फिर नए सिरे से पैरामीटर तय करने पड़ेगा।
शोभा ओझा : नहीं...नहीं... अच्छा ठीक है। आप मुझे न माने भले। वैसे मैं मानती हूं कि मैं मिडिल क्लास की हूं, देखिए जज होने का मतलब ये नहीं कि आप इलीट क्लास में पहुंच गए, जज अगर मानदार है तो मिडिल क्लास में ही रहता है जीवन भर, मिडिल क्लास के संघर्षों से ऊपर नहीं उठ पाता, दूसरी बात है कि आप मीनाक्षी नटराजन को देखिए, सर्विस क्लास घर की लड़की, जिनका परिवार राजनीति में नहीं है.. जो Independent खड़ी हुईं हैं.....
वासिंद्र मिश्र : बड़े पदों पर हैं आपके संगठन में... मीनाक्षी के अलावा और कोई नाम ?
शोभा ओझा : मीनाक्षी के अलावा मैं आपकों ढेरों ...मध्यप्रदेश में ....
वासिंद्र मिश्र : चार नाम और बता दीजिए।
शोभा ओझा : बिल्कुल आपको नाम गिना देती हूं। इसी तरह से आपको मैं एक ज्ञानवती सिंह का बता रही हूं जो जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं है मध्यप्रदेश में। ट्राइबल लड़की है। एकदम गरीब परिवार की।
वासिंद्र मिश्र : वो तो रिजर्वेशंस के नाते... उनको बनाना पड़ा होगा आपको...
शोभा ओझा : वो एक नेता बन गई थीं। वो एक बड़ी... मतलब जिला पंचायत अध्यक्ष तीन बार जीतीं।
वासिंद्र मिश्र : मैं संगठन में महिलाओं की मौजूदगी के बारे में पूछ रहा हूं आपसे...
शोभा ओझा : संगठन में ही वो जिला अध्यक्ष रहीं महिला कांग्रेस की ...
वासिंद्र मिश्र : जिला पंचायत अध्यक्ष हैं ना ...
शोभा ओझा : जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं। जिला अध्यक्ष कांग्रेस भी रहीं वो। इसी तरह मैं आपको पूरे राज्यों में दिखाऊं तो आपको दिल्ली में कई महिलाएं। ऐसा कहना बिल्कुल गलत होगा क्योंकि हमारा संगठन शहर में है, तो गांव में भी हमारा संगठन है। हमारा संगठन पंचायत लेवल तक भी है तो हमारा संगठन नीचे से लेकर ऊपर तक है। इसलिए तो मुझे हंसी आ रही है आपके इस आरोप पर।
वासिंद्र मिश्र : जो महिलाओं की स्थिति है देश में। लोकसभा चुनाव देश के सामने खड़ा है। आपके प्रिय नेता राहुल गांधी ने ढेर सारे वायदे कर डाले हैं। अभी पिछले तीन-चार दिन के दौरान। तो ऐसे में किस तरह से महिलाओं को आगे ले जाने के बारे में सोचना है। हमलोग बात कर रहे थे महिलाओं की जो माली हालत है, महिलाओं की जो राजनीतिक स्थिति है, महिलाओं की जो आर्थिक स्थिति है, इसके बारे में आपने बताया। राहुल गांधी के बारे में जो उनके विचार है वो भी आपने संक्षिप्त में बताया। सबसे बड़ा जो सवाल है Women Empowerment का वो है चाहे वो dowry केस हो या फिर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं उसमें रुकावट नहीं आ रही है। तमाम कोशिशों के बावजूद इसके पीछे आप किन ताकतों को जिम्मेदार मानती हैं?
शोभा ओझा : देखिए भाई साहब! पुरुष प्रधान देश है और पुरुष प्रधान इस देश में महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक हैं। पर अब 21वीं शताब्दी में बदलाव आ रहे हैं, सरकार के द्वारा बहुत सारे ऐसे initiative लिए गए हैं जहां महिलाओँ को सशक्त करने की बात ही नहीं हुई। प्रयास हुए हैं। राहुल जी और सोनिया जी की साफ सोच है कि अगर महिलाओं को हम आर्थिक रूप से सशक्त नहीं करते हैं तो कहीं ना कहीं महिला सशक्तिकरण की परिभाषा अधूरी रह जाती है और उसी सोच के तहत भारतीय महिला बैंक की शुरूआत अभी कांग्रेस के initiative पर पिछले दिनों हुई, जिसमें महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा लोन देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया जाएगा। स्वंयसेवी सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को ताकत देने की कोशिश की जा रही है । महिला कोष भी पहले था, जिसके माध्यम से भी गांव से लेकर शहर तक की महिलाओं को लोन और सुविधाएं दी जाती थी अब तो महिला बैंक की स्थापना कर दी गई है ...जिससे बहुत बड़ी ताकत महिलाओं को मिलेगी, तो एक तरफ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। आर्थिक रूप से सशक्त रहेंगी तो उससे उनकी अपनी ताकत बढ़ेगी, वो किसी भी अत्याचार के खिलाफ खड़ी हो पाएंगीं, लड़ाई लड़ पाएंगी।
वासिंद्र मिश्र : आपकी पार्टी की अगुवाई में अभी जो सरकार चल रही है.. लगभग साढ़े नौ साल उसमें अक्सर पॉलिसी पैरलिसिस देखने को मिला है। दिल्ली में हुई घटना के बाद आपकी सरकार ने निर्भया फंड का ऐलान किया लेकिन उसको फंक्शनल बनाने में एक साल से ज्यादा का वक्त लग गया। इसीलिए कहा जाता है कि आप लोग घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन वो घोषणाएं महज तभी तक रहती है जब तक जनता का आक्रोश बरकरार रहता है आपके खिलाफ और उसमें कहीं न कहीं रेड टेपिज्म, पॉलिशी पैरलिसिस दिखती है। हम कह सकते हैं कि नीयत हमेशा doubtful दिखती है।
शोभा ओझा : नहीं बिल्कुल भी नहीं भाई साहब! हमने जितने भी अधिकार दिए, जितने भी कार्यक्रम बनाए चाहे मनरेगा देखें आज वहां भी 30 फीसदी आरक्षण महिलाओँ को दिया है। हमारी ग्रामीण महिलाओं के लिए आज वो एक बड़ी ताकत है। हमने राइट टू एजुकेशन इसलिए बनाया था कि शिक्षा का अधिकार हमारी बच्चियों को मिले। हमारे समाज में देखा जाता है कि बेटे को तो पढ़ने भेज देते हैं पर बेटियों को पढ़ाने में कहीं न कहीं कंजूसी करते हैं या तब माता-पिता को लगने लगता है कि हम afford नहीं कर सकते। इतना पैसा नहीं है कि हम बेटियों को पढ़ा सके। ऐसे में बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और वो अच्छे स्कूल में पढ़ सके हम राइट टू एजुकेशन लेकर आए। सरकारी स्कूल में तो मुफ्त सुविधा है पढ़ाई की... पर प्राइवेट स्कूलों तक में उनको अच्छी शिक्षा मिल सके इसका अधिकार कांग्रेस की सरकार, कांग्रेस की सोच ने ही दिया है। फिर राइट टू ......
वासिंद्र मिश्र : अब थोड़ा महिलाओं से हटकर बात करते हैं, आपके जो स्टार कैंपेनर हैं आने वाले चुनाव के लिए और आपकी पार्टी के हम कह सकते हैं कि नए राजनैतिक उत्तराधिकारी राहुल गांधी। आपको लगता है कि राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं पॉलिटिकली...?
शोभा ओझा : देखिए...राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की कोई तुलना नहीं है। मैं कहती हूं कि राहुल गांधी कहां हैं और नरेंद्र मोदी कहां? कोई तुलना नहीं है?
वासिंद्र मिश्र : बिल्कुल यही हम भी कह रहे हैं। यही पब्लिक भी कह रही है
शोभा ओझा : नहीं... बिल्कुल मैं ये कहूंगी राहुल गांधी एक सच्चे व्यक्ति हैं, राहुल गांधी एक युवा हैं और उनकी एक युवा सोच है। वो इस देश को आगे बढ़ना चाहते हैं। एक अच्छी सोच के साथ देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक ऐसा व्यक्ति जिसका एक विजन है, एक अच्छी, पॉजीटिव सोच है और वो एक ऐसी पार्टी को रिप्रेजेन्ट कर रहे हैं, जिसने इस देश को आजादी के साथ विकास की राह पर चलाया। राहुल गांधी उस राजीव गांधी के बेटे हैं जिसने इस देश को 21वीं शताब्दी में पहुंचाया। अगर आज हिंदुस्तान विश्व के किसी मैप में दिखाई दे रहा है तो वो राजीव जी की सोच थी और उसी सोच को आगे बढ़ाने का काम राहुल गांधी कर रहे हैं।
वासिंद्र मिश्र : राजीव जब राजनीति में आए थे, तब एक हादसे के बाद आए थे और उनकी जो इमेज थी मिस्टर क्लीन की इमेज थी। लेकिन सरकार के पांच साल पूरा होते-होते उनकी जो मिस्टर क्लीन की इमेज थी.. वो एक टेंटेज लीडर की इमेज बन गई और देश की जनता ने वीपी सिंह की बात पर भरोसा किया। राजीव को सत्ता से बाहर जाना पड़ा। राहुल गांधी के बारे में आप लोग कह रहे है वो सबसे दिल से बात करते हैं, नौजवान उनके साथ है। आपको लगता है कि राजनीति में बगैर छल-कपट के कोई नेता कामयाब होता है?
शोभा ओझा : देखिए...राजीव गांधी की मिस्टर क्लीन की इमेज थी और आखिरी में वीपी सिंह और उनकी चौकड़ी ने उनकी छवि खराब करने की कोशिश की लेकिन आज आप देखिए राजीव गांधी को किस तरह से देश याद करता है। आज राजीव गांधी को याद करते हैं... पंचायती राज के लिए, टेलीकम्यूनिकेशन के लिए, कंप्यूटराइजेशन के लिए। और वीपी सिंह को किस तरह से हम याद करते हैं। वीपी सिंह और उनकी चौकड़ी ने जो भी किया आज इस हिन्दुस्तान की दस प्रतिशत आबादी ये नहीं कह सकती... ये नहीं बता सकती कि वीपी सिंह हैं या नहीं है?
वासिंद्र मिश्र : तो आप मानसिक रूप से तैयार हैं कि आने वाला जो लोकसभा का चुनाव है....?
शोभा ओझा : जो सच्चा व्यक्ति होता है उसको फरेब की जरूरत नहीं, उसे कोई तिकड़म की जरूरत नहीं, उसको कोई तोड़फोड़ की जरुरत नहीं। उसकी नीयत साफ है, उसकी इस देश के लिए नीयत साफ है और इसके लिए देश उसे हमेशा याद करता है, यही राहुल जी और मोदी जी में फर्क है ....
वासिंद्र मिश्र : माने तो आप लोग मानसिक रूप से तैयार हैं?
शोभा ओझा : बिल्कुल तैयार हैं, राहुल गांधी सच्चे व्यक्ति हैं और इस देश की एकता, अखंडता को बनाते हुए, इस देश के फाइबर को समझते हुए inclusive politics में विश्वास रखते हैं, हर हाथ शक्ति, हर हाथ उन्नति देना चाहते हैं। वहीं मोदी जी की क्या इमेज है, किसी को बताने की जरूरत नहीं, क्या गुजरात में फासीज्म का राज है, किस तरह से उनके ही पार्टी के लोग घुटन महसूस कर रहे हैं, चाहे केशुभाई हों, गुजरात के अंदर केशुभाई की क्या स्थिति हुई, संजय जोशी की क्या स्थिति हुई, उनके पार्टी के जो नेता गुजरात में रहे, उनकी क्या स्थिति हुई। मोदी ने उनकी स्थिति गुजरात के अंदर क्या की यही कहना काफी है। मोदी का गुजरात का राजपाट दिखाता है कि किस तरह के फासीज्म उनके राज्य में है। वो किस तरह के autocrat हैं। संविधान में उनका कितना विश्वास है ये सब गुजरात के उनके राज से लगता है।
वासिंद्र मिश्र : आपको लगता नहीं कि जो इस समय देश की आंतरिक स्थिति है उसमे एक सशक्त मजबूत, committed, visionary, leadership की जरूरत है?
शोभा ओझा : बिल्कुल जरूरत है।
वासिंद्र मिश्र : और वो चीज जनता मोदी में देख रही है?
शोभा ओझा : बिल्कुल भी नहीं। पहली बार हिन्दुस्तान में एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है। हिन्दुस्तान ने प्रधानमंत्री अपने आप चुने हैं। कोई भी इसके पहले इतिहास उठाकर देख लीजिए। किसी व्यक्ति ने डेढ़-दो साल कैंपेन नहीं किया, अपनी इमेज बिल्डअप करने की कोशिश नहीं की, अपना भाषण कैसा होना चाहिए? कपड़े कैसे पहनने चाहिए? उनको किसी एजेंसी को बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी है। इसके पहले भी इस देश में प्रधानमंत्री बने है। मैं कहती हूं इस देश का मतदाता बहुत जागरूक है और वो इस देश की अनेकता में एकता की जो ताकत है उसे बचाए रखना चाहता है। इसलिए आडवाणी जी जैसे कट्टर व्यक्ति को इस देश ने नकारा। मुझे पूरा विश्वास है कि मोदी की कट्टरता को भी ये देश नकारेगा। अगर हम विपक्ष की बात करें आरएसएस, भाजपा की विचारधारा की बात करें तो केवल अटल जी को इस देश ने accept किया, क्योंकि उनका एक सेक्युलर फेस था, वो भाजपा के जरूर थे पर उसके बावजूद उनका एक सेक्युलर फेस था इसलिए उनकी....
वासिंद्र मिश्र : अटल जी के प्रति आपका बड़ा सॉफ्ट कॉर्नर है, इसलिए नहीं कि वो आपके होम स्टेट के हैं?
शोभा ओझा : नहीं...मैं कहूंगी वो ठीक है। वो भाजपा के थे। वो उस विचारधारा के थे लेकिन उनका एक सेक्युलर फेस था। पर जहां तक आडवाणी जी या मोदी जी की बात है, उनके चेहरे को सब जानते हैं। कुछ बताने की जरूरत नहीं, जितना कम बोला जाए उनके बारे में, उतना अच्छा है... तो मैं समझती हूं कि देश का मतदाता बहुत जागरूक है, वो सही निर्णय लेगा...
वासिंद्र मिश्र : शोभा जी लगता है कि 2014 के बजाय आप लोग 2019 के चुनाव की तैयारी कर रहे हैं?
शोभा ओझा : बिल्कुल भी नहीं। हम 2014 की ही तैयारी कर रहे हैं और बहुत अच्छा है कि अभी जो एक...AAP पार्टी आई है, लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं .. क्या हाल हो रहा है ये जनता भी देख रही है। इसी तरह मोदी जी आए। बड़ी-बड़ी बातें कीं। बड़े-बड़े वादे करे, बड़े-बड़े क्लेम किए पर समय आने पर सबको पता लग जाएगा कि इस देश का हितैषी कौन है, और किस तरह का नेतृत्व इस देश को चाहिए। वो देश की जनता चुन लेगी।
First Published: Thursday, January 30, 2014, 21:33