2013 तक बढ़ सकती कृषि मुद्रास्फीति: राबोबैंक

2013 तक बढ़ सकती कृषि मुद्रास्फीति: राबोबैंक

मुंबई: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कृषि जिंसों के बढ़ते दाम और वर्ष 2013 में खाद्य पदार्थों के दाम रिकार्ड उंचाई तक पहुंचने की भविष्यवाणी आने वाले समय में कृषि मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा कर सकते है। यह चेतावनी कृषि क्षेत्र से जुड़े राबोबैंक ने दी है।

राबोबैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008 में प्रमुख खाद्य पदार्थ की कमी की तरह इस साल पशुचारे से जुड़ी फसलें प्रभावित हो सकती हैं। इसका मांस और डेयरी उद्योग पर गंभीर असर पड़ सकता है।

यहां कृषि मुद्रास्फीति से तात्पर्य कृषि जिंसों के मूल्यों से जुड़ी मुद्रास्फीति से है। ऐसी स्थिति जिसमें कृषि जिंसों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढती है।

रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा मूल्य मुद्रास्फीति बड़े निर्यातक देशों में मौसम में परिवर्तन का परिणाम है। अमेरिका में सूखा, रूस और दक्षिण अमेरिका में पानी की कमी जैसी स्थितियां इसकी प्रमुख वजह हैं।

अनाज और तिलहन के दाम में तेजी का आपूर्ति श्रंखला पर सीधा प्रभाव होगा। विशेषकर मांस उद्योग पर इसका असर होगा परिणामस्वरुप मीट के दाम बढ़ेंगे। हालांकि रिपोर्ट कहती है, ‘सबसे गरीब उपभोक्ता पर इस बार इसका असर कम किया जा सकता है, खरीदार पशु प्रोटीन से वापस चावल और गेहूं जैसे प्रमुख अनाजों में खपत बढ़ा सकते हैं। इन जिंसों के दाम इस समय 2008 की उंचाई के मुकाबले 30 प्रतिशत तक सस्ते हैं।’ (एजेंसी)

First Published: Monday, September 24, 2012, 13:27

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