Last Updated: Tuesday, May 8, 2012, 18:02
नई दिल्ली : केंद्र सरकार
ने 2जी स्पेक्ट्रम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दायर पुनरीक्षा याचिका वापस लेने का मंगलवार को निर्णय किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि प्राकृतिक संसाधनों का निजी कंपनियों को आबंटन केवल ‘नीलामी’ के जरिए किया जाना चाहिए न कि पहले आओ, पहले पाओ नीति के आधार पर। इसके लिये मामले से संबद्ध पक्षों को एक पत्र जारी कर कहा गया कि 2 फरवरी के उच्चतम न्यायालय के फैसले की पुनरीक्षा याचिका वापस लेने के लिए 10 मई को एक अर्जी दी जाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में आबंटित 122 टूजी लाइसेंसों को रद्द करते हुए पहले आओ, पहले पाओ की नीति को असंवैधानिक करार दिया था। विभिन्न पक्षों को जारी केन्द्र के पत्र में कहा गया है कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि केवल सीमित नोटिस जारी किया गया है, याचिकाकर्ता पुनरीक्षा याचिका पर जोर नहीं देना चाहते और इस याचिका को वापस लेने के लिए अनुरोध करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने 13 अप्रैल को सरकार की पुनरीक्षा याचिका स्वीकार की थी लेकिन प्रभावित दूरसंचार कंपनियों का पक्ष सुनने से मना कर दिया था। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की एक पीठ ने एनजीओ. सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन और जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यन स्वामी को नोटिस जारी कर सरकार की पुनरीक्षा याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
उल्लेखनीय है कि पुनरीक्षा याचिका दायर करने के बाद सरकार ने 12 अप्रैल को राष्ट्रपति के संदर्भ के साथ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। इसमें न्यायालय से जानना चाहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में उसके फैसले को देखते हुये क्या सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन में नीलामी अनिवार्य होगी और क्या न्यायालय का फैसला वर्ष 1994 से आवंटित रेडियो तरंगों पर भी लागू होगा।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 9, 2012, 10:23