Last Updated: Wednesday, July 18, 2012, 15:00
नई दिल्ली : मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने आज दूरसंचार विभाग से कहा कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रस्तावित नीलामी के संदर्भ में आरक्षित मूल्यों और उसका सरकारी राजस्व तथा कॉल दरों पर उनके संभावित प्रभाव का खाका खींचकर प्रस्तुत करे। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग से कहा गया है कि वह आरक्षित मूल्य में उच्चतम दर क्रमश: 1,000-1000 करोड़ रुपए की संभावित कमी से सरकारी खजाने और मोबाइल सेवाओं की खुदरा दरों पर प्रभाव का खाका तैयार करे। दूरसंचार पर ईजीओएम की अगली बैठक 20 जुलाई को होगी। दूरसंचार विभाग को उसी में इस विषय में अपने आंकलनों को पेश करने को कहा गया है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने अखिल भारतीय स्तार पर एक मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य 3,622 करोड़ रुपए रखने का सुझाव दिया है। इस आधार पर नई कंपनियों को अखिल भारतीय परिचालन के लिए पहले के स्तार के स्पेक्ट्रम के लिए 18,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा। गृहमंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले पुनर्गठित ईजीओएम के बारे में यह भी माना जाता है कि उसने दूरसंचार परिचालकों को भुगतान किश्तों में करने की छूट देने के विकल्प को लागू किए जाने पर बल दिया।
सेवा नेटवर्क के विस्तार के दायित्व के बारे में ईजीओएम ने पहले 10 फीसदी, चार साल में 20 फीसदी और पांच साल में 30 फीसदी ब्लॉक मुख्यालयों में सेवा शुरू कर देने की शर्त लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सूत्रों ने बताया कि पुरानी कंपनियों के लिए सेवा शुरू करने की शर्त उनके लाइसेंस समझौते में लिखी शर्तों के अनुरूप ही बनी रहेगी। वे यदि नीलामी के जरिए नया स्पेक्ट्रम हासिल करते हैं तो उन पर नया प्रावधान लागू होगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 18, 2012, 15:00