Last Updated: Saturday, March 10, 2012, 18:58

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक सौ बाइस 2 जी लाइसेंसों को रद्द करने के शीर्ष अदालत के आदेश पर राष्ट्रपति के शीर्ष अदालत से परामर्श मांगने के प्रस्ताव पर शनिवार को चर्चा की और विचार-विमर्श के लिए सॉलीसीटर जनरल को बुलाने का फैसला किया।
चर्चा से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल की अगले हफ्ते की शुरूआत में एक बार फिर बैठक होगी जिसमें इस तरह का परामर्श मांगने में उनसे कानूनी पहलुओं के बारे में प्रस्तुतीकरण देने को कहा जाएगा।
सरकार पहले ही समीक्षा याचिका दायर कर चुकी है जिसमें शीर्ष अदालत के दो फरवरी के फैसले के कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
एक सूत्र ने बताया कि हमने 122 लाइसेंसों को रद्द करने को चुनौती नहीं दी है। कानून के तहत आप परामर्श के जरिए फैसले को चुनौती नहीं दे सकते।
सूत्र ने बताया, परामर्श का मतलब फैसले को पलटना नहीं है क्योंकि परामर्श देने वाली अदालत अपीलीय अदालत नहीं है। उच्चतम न्यायालय अंतिम अदालत है। इसलिए, परामर्श देने वाली अदालत अपीलीय अदालत नहीं है लेकिन फैसले से उपजने वाले कुछ मुद्दे, जो जन मुद्दों की प्रकृति के हैं, उसपर हम परामर्श मांग सकते हैं। दूरसंचार विभाग का मानना है कि फैसले का कई अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव है।
सूत्र ने बताया, हम फैसले को चुनौती नहीं दे रहे हैं लेकिन हम उन मुद्दों पर परामर्श मांग रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने मंत्रिमंडल को फैसले के प्रयोग के बारे में समझाया। सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने हालांकि राष्ट्रपति के शीर्ष अदालत से परामर्श मांगने पर फैसला टाल दिया और सॉलीसीटर जनरल की राय जानने के बाद अंतिम फैसला किया जाएगा। कानून के अनुसार शीर्ष अदालत राष्ट्रपति द्वारा मांगे गए सभी परामर्श पर जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 11, 2012, 00:28