Last Updated: Thursday, November 8, 2012, 21:16
नई दिल्ली : 2जी स्पेक्ट्रम मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच और अभियोजन इकाईयों के बीच मतभेद होने के कारण उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह यह निर्णय करेगा कि इस मामले में अटार्नी जनरल या फिर विशेष लोक अभियोजक में से किसकी राय अंतिम होगी।
न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन ने इस मुद्दे पर विचार करने का निश्चय किया है क्योंकि जांच एजेन्सी का कहना है कि राजग के शासन में प्रमोद महाजन के कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में दर्ज प्राथमिकी में नामित अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के सवाल पर दोनों इकाईयों के बीच मतभेद है। इस सवाल पर न्यायालय 19 नवंबर को विचार करेगा।
न्यायाधीशों ने जांच एजेन्सी से जानना चाहा कि वह अटार्नी जनरल की राय क्यों लेना चाहती है जब सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की जांच से उपजे मामलों में मुकदमा चलाने के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर रखा है।
जांच एजेन्सी ने पूर्व दूरसंचार मंत्री प्रमोद महाजन के कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्राथमिकी में नामित आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के बारे में जांचकर्ताओं से सीबीआई के अभियोजन निदेशक सहमत नहीं है। इस वजह से यह मामला अटार्नी जनरल के पास राय के लिए भेजा गया है।
न्यायाधीशों ने इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल से जानना चाहा, ‘इस मामले में सीबीआई विशेष लोक अभियोजक की राय क्यों नहीं ली जा रही है।’
इस पर उन्होंने कहा कि सीबीआई की मैनुअल और शीर्ष अदालत के फैसले इस मामले में कोई अन्य रास्ता अपनाने में बाधक हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 8, 2012, 21:16