Last Updated: Monday, April 30, 2012, 10:06
जालंधर : 2जी स्पेक्ट्रम मामले में ‘जीरा लॉस’ (कोई राजस्व हानि नहीं) की अपनी बात दोहराते हुए केंद्रीय दूर संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि नीलामी के संबंध में जब कोई नीति ही नहीं थी तो इसमें नुकसान होने का सवाल ही नहीं उठता। हमने पूववर्ती सरकार के नियमों का ही पालन किया।
पंजाब के जालंधर में रविवार को शहीदों के परिजनों की मदद के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आये केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने समारोह से कहा, मैं 2जी स्पेक्ट्रम के मामले में ‘जीरो लॉस’ के बयान पर अभी कायम हूं। इसमें कोई घाटा नहीं हुआ। इस बारे में जब कोई नीति बनी ही नहीं थी तो घाटा कैसे हो सकता है।
सिब्बल ने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर वितरित किये गए और यह नीति पूर्ववर्ती राजग सरकार की है। हमने उसी नीति का पालन किया है। इसमें घाटा होने का कोई सवाल ही नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने भाजपा की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती राजग सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो यह घाटा पहले से हो रहा है जब राजग सरकार ने ऐसी नीति बनायी थी। इसके लिए पिछली सरकार भी जिम्मेदार है।
गौरतलब है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार परीक्षक ने कहा था कि वर्ष 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी न होने से सरकार के खजाने को अधिकतम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के संभावित राजस्व से वंचित होना पड़ा। इस रिपोर्ट के बाद सिब्बल ने कैग के आंकड़े को आधारहीन करार देते हुए ‘जीरो लॉस’ की बात कही थी।
स्पेक्ट्रम की नयी नीलामी के बारे में भारतीय टेलिकॉम रेगुलेटरी अथारिटी की हाल की सिफारिशों के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ट्राई की सिफारिश आयी है। अभी यह प्रस्ताव टेलिकॉम अथॉरिटी के पास जाएगा। इसके बाद कैबिनेट में आएगा। पहले हम देखेंगे। इसके बाद सरकार में इस पर चर्चा होगी, तब तय करेंगे कि इस संबंध में क्या करना है।
उन्होंने हालांकि तल्ख लहजे में कहा, हर बात में मीडिया हल्ला मचाता है। जब स्पेक्ट्रम सस्ता दे दिया तो पूछा कि सस्ता क्यों। ट्राई की सिफारिश आ गयी है तो आप पूछ रहे हैं कि स्पेक्ट्रम महंगे क्यों दिये जायेंगे। या तो सरकार को तय करने दीजिए अथवा मीडिया ही तय कर ले। ट्राई ने प्रस्तावित नई नीलामी में 1800 मेगा हर्त्ज बैंड में पांच मेगा हर्त्ज स्पेक्ट्रम नीलाम करने की सिफारिश की है और प्रत्येक मेगा हर्त्ज स्पेक्ट्रम के लिए न्यूनतम बोली 3,622.18 करोड़ रुपए रखने की सिफारिश की है। यह 2008 में सरकार द्वारा रखी गयी आवंटन कीमत से 13 गुना उंची है। दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि अगर सरकार ने यह सिफारिश लागू की तो मोबाइलफोन की कॉल दर में लगभग तीस फीसदी महंगी हो जाएगी।
गौरतलब है कि टूजी मामले में उच्चतम न्यायालय ने इस साल फरवरी में 122 लाइसेंस रद्द कर दिये थे जिसे पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा ने पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित किया था । इसके साथ ही न्यायालय ने ट्राई को स्पेक्ट्रम नीलामी के बारे में फिर से सिफारिश करने का भी निर्देश दिया था ।
इससे पहले सरकार और कांग्रेस में कथित ‘विश्वसनीयता संकट’ के बारे में पूछे जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सिब्बल ने कहा, सबसे अधिक संकट उनके समक्ष है जो ऐसी बात कर रहे हैं । किसने कहा है कि कांग्रेस में विश्वास का संकट है । दरअसल यह संकट कांग्रेस में नहीं भारतीय जनता पार्टी में है और यही कारण है कि भाजपा कहीं भी नहीं टिक पा रही है। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 30, 2012, 15:36