Last Updated: Thursday, February 2, 2012, 13:24
नई दिल्ली : वर्ष 2008 में 122 लाइसेंस पाने वाली कम्पनियों में से कुछ कम्पनियों का दूसरी कम्पनी के द्वारा अधिग्रहण किया जा चुका है या कुछ कम्पनियों का दूसरी कम्पनियों में विलय हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में चार महीने बाद सभी 122 लाइसेंसों को रद्द करने का आदेश दिया। 122 लाइसेंस पाने वाली कम्पनियों की सूची इस प्रकार है-
यूनीटेक इंफ्रास्ट्रक्च र - 1
यूनीटेक बिल्डर्स - 1
अजारे प्रोपर्टीज - 1
हडसन प्रोपर्टीज - 1
नाहन प्रोपर्टीज - 6
एडोनिस प्रोजेक्ट्स - 6
आस्का प्रोजेक्ट्स - 3
वोल्गा प्रोपर्टीज - 3
(इन सभी कम्पनियों का आपस में विलय हो चुका है और ये 'यूनीनॉर' ब्रांड के तहत सेवा दे रही हैं। नॉर्वे की कम्पनी टेलीनॉर की इसमें बहुमत हिस्सेदारी है, जो उसने 22 लाइसेंसों सहित यूनीटेक से खरीदी थी।)
शिपिंग स्टॉप डॉट कॉम - 21 (लूप ब्रांड के तहत सेवा संचालित करती है।)
एलायंस इंफ्राटेक - 2
स्वान टेलीकॉम - 13 (ये दोनों कम्पनियां एटीसलैट ब्रांड के तहत सेवा संचालित करती हैं। इसमें अबू धाबी की कम्पनी एटीसलैट की बहुमत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी डायनामिक्स बलवाज समूह के पास है।)
डाटाकॉम सॉल्यूशंस - 21 (अब 'विडियाकॉन' ब्रांड से सेवा संचालित)
एसटेल - 6
टाटा टेलीसर्विसेज - 3
आईडिया सेल्यूलर - 9
स्पाइस - 4
श्याम टेलीकॉम -21 (अब 'एमटीएस' ब्रांड से सेवा का संचालन। रूसी दूरसंचार कम्पनी सिस्टेमा की इसमें बहुमत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी श्याम टेलीकॉम समूह के पास है।)
इनमें से कुछ कम्पनियों के पास मौजूद सभी लाइसेंसों पर विवाद नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 3, 2012, 16:12