Last Updated: Tuesday, April 2, 2013, 14:26

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भारती सेल्यूलर लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुनील भारती मित्तल वह याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई कर रही अदालत के सम्मन को चुनौती दी गयी है।
मित्तल के खिलाफ मामला राजग के कार्यकाल में 2002 में अतिरिक्त 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है और उन्हें अदालत ने एक अभियुक्ति के रूप में सम्मन जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबील की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई पर सहमति जताई और सुनवाई की तारीख आठ अप्रैल तय की।
उच्चतम न्यायालय के सामने इस मामले में मित्तल की ओर से पेश हुए वकील ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की क्योंकि उन्हें 11 अप्रैल को सुनवायी ने पेशी का आदेश दिया है।
जांच एजेंसी सीबीआई ने दिल्ली की विशेष अदालत में जो आरोप-पत्र पेश किया था उसमें आरोपियों में मित्तल का नाम नहीं डाला गया था पर अदालत ने उन्हें प्रथम दृष्टया अभियुक्त मानते हुए सम्मन जारी किया है। अदालत का कहना है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। सीबीआई मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने एक अन्य कंपनी स्टरलाइट सेल्यूलर लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक और एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुइया तथा हचिसन मैक्स टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक असीम घोष को भी सम्मन जारी किया है।
सीबीआई ने इनको भी नामजद नहीं किया था। सीबीआई ने राजक के कार्यकाल में आवंटित अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के मामले की जांच के बाद 21 दिसंबर 2012 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों - भारती सेल्यूलर लिमिटेड, हचिसन मैक्स टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड (अब वोडाफोन इंडिया लिमिटेड) और स्टर्लिंग सेल्यूलर लिमिटेड ( अब वोडाफोन मोबाइल सर्विस लिमिटेड) - के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। उन सबको 11 अप्रैल को अदालत में बुलाया गया था।
अदालत ने कहा है कि मित्तल, रुइया और असीम घोष का उस समय अपनी अपनी उन कंपनियों पर नियंत्रण था जिनको सीबीआई के आरोप पत्र में नामजद किया गया है।
2जी अदालत ने अपने दो पन्ने के आदेश में कहा है कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के आवंटन के समय मित्तल भारतीय सेल्यूलर लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा रुइया स्टर्लिंग सेल्यूलर लिमिटेड के निदेशक थे और वे अपनी अपनी कंपनियों के निदेशक मंडलों की बैठकों की अध्यक्षता करते थे और कंपनियों के संचालन पर उनका पूरा नियंत्रण था।
विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि मुझे यह भी लगता है कि उस वक्त सुनील भारती मित्तल भारतीय सेल्यूलर लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक थे, असीम घोष हचिसन मैक्स टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक थे और रवि रुइया स्टर्लिंग सेल्यूलर लिमिटेट के निदेशक थे जो उसके निदेशक मंडल की बैठक की अध्यक्षता करते थे। इस तरह प्रथम दृष्टया अपनी अपनी कंपनी का नियंत्रण इनके ही हाथ में था। अदालत की राय में ये व्यक्ति ही अपने दिमाग से अपनी अपनी कंपनियों का निदेशन करते थे। इस लिए इनका दिमाग ही कंपनी का दिमाग था। इस तथ्य को देखते हुए कंपनी के कृत्य को उनका कृत्य माना जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 2, 2013, 14:26