Last Updated: Tuesday, April 23, 2013, 18:18

नई दिल्ली : देश की अर्थव्यवस्था में जो गिरावट होनी थी, हो चुकी है और अब यह ऊपर की ओर जा रही है। लिहाजा मौजूदा कारोबारी साल में आर्थिक विकास दर 6.4 फीसदी रह सकती है। यह बात मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक सलाहकार समिति ने कही। पिछले कारोबारी साल में अनुमानित विकास दर पांच फीसदी रही। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अर्थव्यवस्था में जो गिरावट होनी थी, हो चुकी है। अब यह ऊपर की ओर जा रही है और मौजूदा कारोबारी साल में हम 6.4 फीसदी विकास दर हासिल करेंगे।
रंगराजन ने कहा कि आलोच्य अवधि में कृषि विकास दर 3.5 फीसदी रह सकती है, जो पिछले कारोबारी साल में 1.8 फीसदी अनुमानित रही। विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर चार फीसदी रह सकती है, जो पिछले कारोबारी साल में 3.1 फीसदी अनुमानित रही।
सेवा क्षेत्र में पिछले कारोबारी साल में अनुमानित विकास दर 6.6 फीसदी की जगह मौजूदा कारोबारी वर्ष में 7.7 फीसदी रह सकती है। रंगराजन ने कहा कि यदि सरकार बड़ी परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी दे, तो विकास दर और अधिक रह सकती है। उन्होंने कहा कि यदि हम परियोजनाओं पर तेजी से अमल करने के लिए कदम उठाएं, तो हम निकट भविष्य में भी तेज विकास दर हासिल कर सकते हैं। रंगराजन ने ताजा आर्थिक हालात और प्रमुख आर्थिक सूचकांकों के अनुमानों पर एक रिपोर्ट जारी की।
समिति के अनुमानों के मुताबिक थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर मौजूदा कारोबारी साल में छह फीसदी रहने की सम्भावना है, जो 2012-13 के आखिर में 5.96 फीसदी थी। इससे भारतीय रिजर्व बैंक को मुख्य दरों में कटौती की काफी सुविधा मिल सकती है। रंगराजन ने कहा कि मौजूदा कारोबारी साल में प्राथमिक खाद्य महंगाई दर लगभग आठ फीसदी, ईंधन महंगाई दर लगभग 11 फीसदी और विनिर्माण वस्तुओं की महंगाई दर लगभग चार फीसदी रहने का अनुमान है। रंगराजन ने कहा कि छह फीसदी के आसपास की महंगाई दर से दरों में कटौती की सुविधा मिलती है। भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए पिछले तीन सालों से सख्त मौद्रिक नीति के रास्ते पर चल रहा है। रिजर्व बैंक तीन मई को मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है। रंगराजन ने हालांकि माना कि छह फीसदी महंगाई दर भी अधिक है और इसे कम किया जाना चाहिए। वित्तीय घाटा पर उन्होंने कहा कि यह फरवरी में वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत आम बजट में दिए गए अनुमान के मुताबिक ही रह सकता है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटा कम करने के तौर तरीके तय कर लिए गए हैं। सरकार ने वित्तीय घाटा कम करने के प्रति दृढ़ता भी दिखाई है। चालू खाता घाटा हालांकि चिंता का विषय है, हालांकि इस घाटे की फायनेंसिंग अभी तक समस्या नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि छोटी अवधि में हमें ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे पूंजी का प्रवाह बने, लेकिन मध्यावधि में चालू खाता घाटा को कम करना होगा। 2012-13 में केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है। संशोधित अनुमान के मुताबिक यह 2012-13 में 5,20,924 करोड़ रुपये था, जो मौजूदा कारोबारी साल में 5,42,499 करोड़ रुपये रह सकता है।
2012-13 में केंद्र सरकार ने 2,57,654 करोड़ रुपये (जीडीपी का 2.6 फीसदी) सब्सिडी दी। मौजूदा कारोबारी साल में इसके 2,31,084 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, क्योंकि हाल के वर्षो में वित्तीय घाटा में प्रमुख योगदान करने वाले पेट्रोलियम सब्सिडी को कुछ कम किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 23, 2013, 18:18