Last Updated: Sunday, November 11, 2012, 21:35

नई दिल्ली : प्रमुख भारतीय कम्पनियों के मुख्य वित्त अधिकारियों के अनुसार, देश की आर्थिक विकास दर छह प्रतिशत से कम होगी, जबकि महंगाई अगले वर्ष छह से आठ प्रतिशत के बीच बनी रहेगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और मैक्किं से एंड कम्पनी द्वारा अन्य भारतीय कम्पनियों के मुख्य वित्त अधिकारियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार, यूरोजोन संकट, अमेरिका में मंदी और तेल कीमतों में वृद्धि का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर हुआ है।
सर्वेक्षण में शामिल मुख्य वित्त अधिकारियों में से आधे से अधिक का मानना है कि आने वाले वर्ष में वैश्विक आर्थिक विकास सपाट रहेगा, जबकि 67 प्रतिशत महसूस करते हैं कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद छह प्रतिशत से कम रहेगा।
देश का आर्थिक विकास जनवरी-मार्च 2012 की तिमाही में नौ वर्षो के निम्नतम स्तर 5.3 प्रतिशत पर आ गया था। जून में समाप्त हुई तिमाही में 5.5 प्रतिशत के साथ इसमें मामूली सुधार तो हुआ, लेकिन पिछले आठ वर्षो में दर्ज की गई 8.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर से यह काफी नीचे रहा।
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विकास दर का सरकार का बजटीय अनुमान 7.6 प्रतिशत है। लेकिन विश्लेषकों व नीतिनिर्माताओं ने इस विकास दर को हासिल होने को लेकर संदेह व्यक्त किया है।
लगभग आधे वित्त अधिकारियों ने अनुमान जताया है कि 2013 में महंगाई दर छह से आठ प्रतिशत के बीच बनी रहेगी।
सर्वेक्षण में शामिल 86 प्रतिशत मुख्य वित्त अधिकारियों का मानना है कि 2013 में भारतीय रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर की तुलना में 50-55 रुपये के बीच बना रहेगी।
विनिर्माण, आईटी, सेवा, कंसल्टेंसी और वित्तीय सेवा सहित विभिन्न सेक्टरों की 32 प्रमुख भारतीय कम्पनियों के मुख्य वित्त अधिकारियों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 11, 2012, 21:35