Last Updated: Friday, August 9, 2013, 18:12

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल में मौद्रिक रख को कड़ा करने के उपायों से देश की आर्थिक वृद्धि दर के नीचे जाने का जोखिम बना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये उपाय लंबे समय तक जारी रहते हैं, तो इससे आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत से नीचे आ सकती है।
विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच के मुताबिक, कर्ज महंगा करने के लिए हाल में किए गए उपायोंसे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और चालू वित्त वर्ष में यह फिसलकर 4.8 प्रतिशत पर आ सकती है।
वहीं मॉर्गन स्टेनले के एक अनुसंधान नोट में कहा गया है कि हाल में मौद्रिक रख में की गई कड़ाई तथा वैश्विक पूंजी बाजारों की अनिश्चित स्थिति की वजह से अगली दो तिमाहियों में वृद्धि दर नीची बनी रहेगी। इससे जीडीपी की वृद्धि दर के 3.5 से 4 फीसद पर आने का जोखिम है। वित्त वर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर एक दशक के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई थी।
मॉर्गन स्टेनले ने कहा कि दिसंबर, 2012 और मार्च, 2013 में समाप्त तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत से नीचे आ गई है।
डीएसपी मेरिल लिंच के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रानिल सेनगुप्ता ने कहा कि यदि रिजर्व बैंक अपने कड़े रुख को अक्तूबर-मार्च के व्यस्त सत्र से पहले वापस नहीं लेता है, तो ऐसे में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ जाएगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 9, 2013, 18:12