RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा आज, दरों में कटौती संभव

RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा आज, दरों में कटौती संभव

RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा आज, दरों में कटौती संभव ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

मुंबई : रिजर्व बैंक ने ऊंची मुद्रास्फीति तथा चालू खाते के बढ़ते घाटे (सीएडी) का हवाला देते हुए मौद्रिक नीति की मंगलवार को होने वाली समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती को लेकर मुश्किलें गिनाईं हैं। हालांकि, शीर्ष बैंक ने यह कहकर विकल्प खुला भी रखा है कि सुधारों को बढ़ाने की दिशा में सरकार के हाल के कदमों को देखते हुए आर्थिक वृद्धि को गति देने के उपायों पर ज्यादा गौर करना संभव होगा। ऐसे में इस बात की संभावना है कि दरों में कटौती की जा सकती है।

भारत की आर्थिक वृद्धि अगले साल आने वाले सुधार से पहले चालू वित्त वर्ष के दौरान घटकर 5.5 फीसद रह जाने की आशंका है। यह बात रिजर्व बैंक द्वारा प्रायोजित सर्वेक्षण में सोमवार को कही गई। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा से एक दिन पहले आया यह आंकड़ा सरकार के सालाना वृद्धि के 5.7 फीसद के संशोधित अनुमान से कम है।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा की पूर्व संध्या पर वृहत आर्थिक तथा मौद्रिक विकास पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसे माहौल में जहां उंची मुद्रास्फीति, चालू खाते का बढ़ता घाटा और राजकोषीय घाटे के जोखिम बरकरार है, मौजूदा आर्थिक सुस्ती के माहौल के पीछे गैर मौद्रिक कारकों की वजह ही ज्यादा है, ऐसे में समर्थनकारी मौद्रिक नीति की दिशा में कदम उठाने में कई तरह की अड़चनों हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह कहकर विकल्प खुला रखा है कि सरकार आर्थिक सुधार को बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही है, ऐसे में मौद्रिक नीति में आर्थिक वृद्धि को गति देने के उपायों पर गौर करना संभव होगा।

मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा से पूर्व केंद्रीय बैंक का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार तथा उद्योग जगत आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये नीतिगत ब्याज दरों में कटौती को लेकर टकटकी लगाये हुए है।

इधर, रिजर्व बैंक के पेशेवर अनुमान सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.6 प्रतिशत से कम कर 5.5 प्रतिशत कर दिया गया है। साथ ही अगले वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को पूर्व के 6.6 प्रतिशत से कम कर 6.5 प्रतिशत किया गया है। जारी मुद्रास्फीति के बारे में केंद्रीय बैंक ने कहा कि मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत रहने का जो अनुमान है, जिसमें और नरमी की संभावना है। लेकिन छुपी-दबी मुद्रास्फति 2013-14 में मुद्रास्फीति के लिए प्रमुख खतरा बनी रहेगी। सरकार द्वारा हाल में सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि जो तत्काल जोखिम था, उसे कम किया गया है लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को निरंतर आर्थिक वृद्धि की पटरी पर लाने के लिए आगे लंबा रास्ता तय किया जाना है।

सुधारों की दिशा में पहल के बावजूद कारोबारी धारणा और उपभोक्ता का विश्वास कमजोर बना हुआ है। वृहत आर्थिक स्थिति का आकलन करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति को देखते हुए मौद्रिक कदम सोच-विचारकर उठाया जाएगा। मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.18 प्रतिशत रही जो केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है।

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के बारे में केंद्रीय बैंक ने कहा कि 2012-13 में इसके 7.5 प्रतिशत के औसत से अगले वित्त वर्ष 2013-14 में नरम होकर 7.0 प्रतिशत पर आने का अनुमान है। केंद्रीय बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि 5.8 प्रतिशत के अनुमान से कम रह सकती है। निवेश तथा खपत मांग में कुछ वृद्धि से 2013-14 में उत्पादन का जो अंतर है वह घटेगा हालांकि, इसकी रफ्तार धीमी होगी। रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि में तेजी आने में कुछ और समय लगेगा क्योंकि सरकार ने जो नीतिगत पहल की है, उसका पूर्ण रूप से असर दिखना बाकी है। लगातार पांच तिमाही से आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कम रही है।

First Published: Tuesday, January 29, 2013, 09:26

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