Last Updated: Saturday, April 13, 2013, 19:23
बर्लिन : अक्षय उर्जा में सहयोग के लिए जर्मनी आसान शर्तो पर भारत को छह साल के लिए एक अरब यूरो (करीब 1.3 अरब डालर) का ऋण उपलब्ध कराएगा। यह अवधि अगले साल से शुरू होगी। भारत के साथ विकास कार्यों में सहयोग के रुप में जर्मनी की यह पेशकश दोनों देशों के बीच सहयोग के संयुक्त आशय पत्र में की गई है जिसपर नवीन एवं नवीकरण उर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला और जर्मनी की आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री गुडरुन कॉप ने हस्ताक्षर किये। दोनों देशों के बीच दूसरी अंतर.सरकारी स्तर की बातचीत के दौरान यह हस्ताक्षर किये गये।
मंत्रालय ने यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, पावर ग्रिड के एकीकरण में आने वाली समस्याओं के तकनीकी निदान एवं उनके लिये संयुक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की इसमें इच्छा व्यक्त की गई है। इसके अलावा अक्षय उर्जा स्रोतों से तैयार की जानी वाली बिजली के कुशल परिवहन के काम में भी इससे तेजी लाई जा सकेगी। जर्मनी के विकास सहयोग में भारत पिछले पांच दशकों से भागीदार रहा है। दोनों देश वर्तमान में पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की चुनौती पर गौर कर रहे हें। इसके अलावा अक्षय उर्जा संवर्धन और उर्जा कुशलता के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं।
कॉप ने कहा कि अक्षय उर्जा का विकास भारत और जर्मनी दोनों का ही साझा लक्ष्य है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये अक्षय उर्जा से बेहतर विकल्प और कोई नहीं है। पर्यावरण सुरक्षा के साथ विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिये अक्षय उर्जा बेहतर महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों ने अंतर.सरकारी विचार विमर्श बैठक की सह अध्यक्षता की। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 13, 2013, 19:23