Last Updated: Friday, January 6, 2012, 13:25
चेन्नई : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा अनुमान से अधिक हो सकता है। भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के कारण राजकोषीय घाटा 2008-09 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गया था जिसे 2009-10 में कम कर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर लाया गया।
उन्होंने कहा कि लेकिन 2011-12 में राजकोषीय घाटा अनुमान से अधिक रह सकता है। इस साल के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय एवं कुल राजस्व के बीच अंतर को बताता है। वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर पहले नौ प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत कम या ज्यादा रहने की उम्मीद लगाई गई थी। उन्होंने कहा कि यूरो क्षेत्र में ऋण संकट तथा दुनिया के अन्य देशों में धीमी आर्थिक वृद्धि का भारत पर भी असर पड़ सकता है।
मुखर्जी ने कहा कि मैं दावा नहीं कर सकता कि हम यूरोप के संकट से अछूते हैं। इसका असर विकसित और विकासशील दोनों तरह की अर्थव्यवस्थाओं पर है। वित्त मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में योग्य पेशेवर तथा प्रबंधक उपलब्धता के साथ 60 प्रतिशत युवा आबादी वाले देश भारत की बुनियाद मजबूत है। ऐसे में इसमें कोई संदेह नहीं कि हम 2020 तक फिर से मजबूत आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर होंगे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 6, 2012, 18:55