Last Updated: Friday, July 13, 2012, 23:36

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मोबाइल फोन सिम से व्यक्तिगत संचार के लिए प्रतिदिन 200 एसएमएस भेजने की सीमा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी मानते हुए इसे दरकिनार कर दी।
हालांकि, न्यायालय ने अवांछित व्यावसायिक एसएमएस पर लगी रोक को यह कहते हुए सही ठहराया कि ये एसएमएस ऐसे संदेशों के अनिच्छुक व्यक्यिों की निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। अदालत ने निजता के इस अधिकार को भी व्यक्तियों के अभिव्यक्ति के अधिकार के ही समान महत्व का बताया ।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की पीठ ने कहा, ‘ इसलिए हमारा विचार है कि गैर यूसीसी (असीमित अनचाहा व्यावसायिक संचार) एसएमएस के लिए ट्राई का प्रावधान नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है।’
हालांकि, अनचाही व्यावसायिक कल्स पर ट्राई द्वारा लगाई गई रोक वैध है। पीठ ने कहा, ‘ हम पहले ही संकेत दे चुके हैं यूसीसी काल्स व एसएमएस व्यक्तियों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं क्योंकि अक्सर टेलीमार्केटिंग कंपनियां अपने उत्पाद बेचने के लिए फोन करती हैं। इस तरह के सभी काल्स अवांछित हैं और इसे प्राप्त करने वाला पक्ष ऐसा काल्स व संदेश प्राप्त नहीं करना चाहता।’ टेलीकाम वाचडाग नाम के एक एनजीओ के सचिव अनिल कुमार की याचिका आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए न्यायालय ने हालांकि ट्राई को अनचाही गैर यूसीसी व एसएमएस के नियमन के लिए और उचित नियमन लाने की स्वतंत्रता दी। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 13, 2012, 23:36