Last Updated: Monday, June 18, 2012, 22:26

नई दिल्ली : वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने सोमवार को भारत के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर से घटाकर 'नकारात्मक' कर दिया और कहा कि यदि देश की शासन व्यवस्था और नीति निर्माण में सुधार नहीं हुआ तो देश के विकास का परिदृश्य खराब हो सकता है।
फिच ने कहा कि परिदृश्य में संशोधन किए जाने का मतलब यह है कि यदि संरचनागत सुधार नहीं किए गए तो मध्यकालीन से दीर्घकालीन विकास की सम्भावना धीरे-धीरे खराब हो सकती है।
फिच ने भ्रष्टाचार, अपर्याप्त सुधार, ऊंची मुद्रास्फीति और वृद्धि दर में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि देश की वित्तीय आने वाले समय में और बिगड़ सकती है। रेटिंग एजेंसी ने सार्वजनिक क्षेत्र की गेल, इंडियन आयल, एनटीपीसी एवं चार अन्य कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग का परिदृश्य भी घटा दिया है। हालांकि, उसने कहा कि भारत की रेटिंग परिदृश्य से निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रभावित नहीं होगी। फिच ने अपने बयान में कहा कि भारत को सुस्त विकास और उच्च महंगाई दर की विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
फिच की रेटिंग संशोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि फिच ने देश में हाल में हुए संरचनागत सुधारों पर ध्यान नहीं दिया। मुखर्जी ने एक बयान में कहा कि आर्थिक विकास और महंगाई के दबाव पर फिच की चिंता पुराने आंकड़ों पर आधारित है। सरकार ने इन चिंता पर पहले ही कदम उठा लिया है। उसने अर्थव्यवस्था में हाल ही में आए सकारात्मक रुख को नजरअंदाज किया है।
मुखर्जी ने एक बयान जारी कर कहा कि जहां बाजार पहले ही यह अनुमान लगा चुका था कि फिच परिदृश्य में संशोधन करेगी। इसलिए, इस घोषणा में कोई चौकाने वाली बात नहीं है। यह देखने वाली बात है कि फिच ने पुराने आंकड़ों पर भरोसा किया और भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के सकारात्मक रुखों को नजरअंदाज किया। वित्त मंत्री ने कहा कि फिच ने हाल ही में सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों पर ध्यान नहीं दिया।
मसलन, फर्टिलाइजर सब्सिडी सुधार, नयी विनिर्माण व दूरसंचार नीतियां आदि। इसने (फिच) भारत में लोक वित्त की मजबूती की प्रक्रिया पर ध्यान नहीं दिया। साथ ही इसने सरकारी ऋण.जीडीपी अनुपात में हाल ही में आई कमी को भी नजरअंदाज किया।
फिच की इस तरह की साख से वैश्विक बाजार में भारत के सरकारी गैर सरकारी प्रतिष्ठानों के लिए कर्ज की दर महंगी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह पहले एक अन्य रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने कहा था कि भारत निवेश श्रेणी दर्जा खोने वाला ब्रिक्स का पहला देश हो सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने फॉरेन कॉरेसपोंडेंट्स क्लब में संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए फिच द्वारा रेटिंग घटाए जाने को भेड़ चाल बताया।
फिच ने मौजूदा कारोबारी साल में 6.5 फीसदी आर्थिक विकास दर का अनुमान जताया, जो पहले जताए गए अनुमान 7.5 फीसदी से कम है। रेटिंग एजेंसी ने साथ ही 2012-13 में महंगाई दर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया, जो पहले जताए अनुमान से अधिक है। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 18, 2012, 22:26