Last Updated: Wednesday, August 8, 2012, 00:02

न्यूयार्क : वैश्विक बैंकों द्वारा बैंको के जरिए धन के अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण की निगरानी जैसे महत्वपूर्ण काम को भारत जैसे देशों से करवाने यानी ‘आउटसोसिंग कराने’ का मामला एक माह में दूसरी बार अमेरिकी जांच के घेरे में आ गया है।
अमेरिका का मानना है कि आउटसोसिंग में लापरवाही से उसकी वित्तीय प्रणाली के लिए आतंकवादियों, नशीले पदार्थों की तस्करी और कालेधन को कानूनी जामा पहने वालों से खतरा पैदा हो सकता है। दूसरा मामला ब्रिटेन के स्टैंडर्ड चार्टर्ड के ईरानी ग्राहकों के सौदों से जुड़ा है। आरोप है कि इस बैंक ने दस साल में 60,000 बैंकिंग सौदों को गुप्त रखा और वैश्विक हस्तांतरण पर जो निगरानी का काम भारत से करवाया था उसमें मनीलांडरिंग रोधी नियमों के अनुपालन में लापरवाही की गई।
इससे पहले अमेरिकी सीनेट की स्थायी समिति की एक जांच रिपोर्ट में एचएसबीसी इंडिया के कर्मचारियों के कामकाज में बड़ी गड़बड़ियों का उल्लेख किया जा चुका और भारत भी इस मामले की जांच कर रहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड द्वारा भारत में महत्वपूर्ण बैंकिंग नौकरियों की आउटसोर्सिंग भी अमेरिकी जांच के घेरे में आ गई है। न्यूयार्क के बैंकिंग नियामक वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि स्टैनचार्ट द्वारा भारत को कार्य की आउटसोर्सिंग करते समय मनी लांड्रिंग को रोकने के इंतजामात पुख्ता नहीं थे। इससे अमेरिकी वित्तीय तंत्र का आतंकवाद के वित्त पोषण का जोखिम पैदा हो गया है।
इन दो अलग-अलग जांच के तथ्य ऐसे समय सामने आए हैं जबकि अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले भारत तथा अन्य देशों को नौकरियों की आउटसोर्सिंग के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। जारी डीएफएस ने कल एक आदेश में स्टैनचार्ट पर ईरान के साथ 250 अरब डालर के गोपनीय लेनदेन का खुलासा नहीं करने का आरोप लगाया। इससे अमेरिकी वित्तीय तंत्र के आतंकवाद, हथियारों के सौदागार, मादक पदाथरें के अवैध धंधे में शामिल लोगों द्वारा इस्तेमाल का जोखिम बढ़ेगा।
डीएफसी की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने मई 2010 में यह भरोसा दिलाया था कि वह अमेरिकी विदेशी परिसंपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के प्रतिबंधों का अनुपालन करने के लिए तत्काल कदम उठाएगा। हालांकि, 2011 में एक अन्य नियामकीय जांच में यह बात सामने आई कि मनी लांड्रिंग रोधक मोर्चे पर अभी भी काफी खामियां व्याप्त हैं।
इनमें से एक खामी यह थी कि बैंक ने अपने समस्त ओएफएसी अनुपालन की प्रक्रिया को न्यूयार्क शाखा से चेन्नई के एक केंद्र से करवाया। ओएफएसी एक प्राधिकृत अमेरिकी सरकार की एजेंसी है, जो उन इकाइयों की सूची तैयार करती है जिनके साथ अमेरिकी नागरिकों के किसी तरह का कारोबार करने पर प्रतिबंध है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को लगता है कि ईरान पर प्रतिबंधों से संबंधी अमेरिकी नियमन उसके कारोबारी विस्तार को प्रभावित कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 8, 2012, 00:02