Last Updated: Tuesday, September 17, 2013, 14:47
न्यूयार्क : सत्यम कंप्यूटर कॉरपोरेट घोटाले के करीब पांच साल बाद अमेरिका की एक अदालत ने इस भारतीय कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी संबंधी दवों पर नई सुनवाई का आदेश दिया है।
सत्यम के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष बी रामलिंग राजू ने जनवरी 2009 में स्वीकार की थी कि कंपनी में लंबे समय से धोखाधड़ी चल रही थी। बाद में सरकार ने कंपनी ला बोर्ड के आदेश से उस कंपनी पर रिसीवर बिठा कर उसको नीलाम कराया। नीमाली में कंपनी को महिंद्रा एण्ड महिंद्रा समूह की कंपनी टेक महिंद्रा ने अधिग्रहण कर लिया और इस साल इसके पूरे कारोबार को नए स्वामित्व के तहत एकीकृत कर दिया गया।
अमेरिका की अपीलीय अदालत का यह आदेश मिशिगन जिला अदालत के निर्देश के बाद आया है। निचली अदालत ने उक्त संयुक्त उद्यम में सत्यम के खिलाफ एक युक्त उद्यम को लेकर ग्लोबल इंजीनियरिंग नाम की फर्म के दावों को खारिज कर दिया था। सितंबर 13 के आदेश में अपीलीय अदालत ने जिला अदालत का फैसला पलट दिया और इस मामले में आगे सुनवाई करने का आदेश दिया है।
वेंचर ग्लोबल और लैरी जे विंगेट लिविंग ट्रस्ट ने अपनी अपील में आरोप लगाया था कि सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज ने अपनी वित्तीय स्थिरता व सामान्य उपयुक्तता के बारे में गलत आंकडे पेश कर उन्हें एक संयुक्त उद्यम बनाने के लिए प्रेरित किया। सत्यम की दलील है कि वेंचर ग्लोबल को अपना दावा 2005 के मध्यस्थ निर्णय की कार्रवाई के समय ही प्रस्तुत करना चाहिए था।
पंचनिर्णय करने वालों ने सत्यम वेंचर इंजीनियरिंग सर्विसेज (एसवीईएस) में वीजीई की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी सत्यक को हस्तांतरित कर दी जाए। उस समय वीजीई ने वह निर्णय मान कर उस पर अमल कर दिया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 17, 2013, 14:47