अमेरिकी खर्च कटौती से लुढ़क सकते हैं शेयर बाजार

अमेरिकी खर्च कटौती से लुढ़क सकते हैं शेयर बाजार

अमेरिकी खर्च कटौती से लुढ़क सकते हैं शेयर बाजारमुंबई : अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा सरकारी खर्च में कटौती का आदेश जारी किए जाने के कारण देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह धुआंधार बिकवाली का दौर देखा जा सकता है। निवेशक हालांकि पिछले सप्ताह लोकसभा में रेल बजट, आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट प्रस्तुत होने के बाद इनसे प्रभावित होने वाले शेयरों में सतर्कता बरतते हुए निवेश कर सकते हैं।

ओबामा ने खर्च कटौती पर कांग्रेस में सुलह की संभावना नहीं दिखने के कारण शुक्रवार को मध्य रात समय सीमा समाप्त होने से पहले 85 अरब डॉलर खर्च कटौती का आदेश जारी कर दिया। इसके तहत 30 सितंबर को समाप्त होने वाले कारोबारी साल में सभी क्षेत्रों में अमेरिका के सरकारी खर्च में कुल 85 अरब डॉलर की कटौती होगी। आदेश के प्रभाव से गैर-रक्षा क्षेत्रों के मौजूदा कारोबारी साल के बजट में नौ फीसदी और रक्षा बजट में 13 फीसदी कटौती होगी।

विश्लेषकों ने इस कटौती से अमेरिका की रक्षा, घरेलू निवेश और सरकारी गतिविधियों के परिचालन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई है, जिसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इससे भारत के निर्यात में काफी गिरावट दर्ज की जा सकती है और देश में कई कारोबारी क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।

बाजार में उछाल की संभावना कम है, क्योंकि आने वाले महीने में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति होने वाली है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शेयर बाजार में सूचीबद्ध निजी कंपनियों में आम लोगों की न्यूनतम हिस्सेदारी 25 फीसदी और सरकारी कंपनियों में न्यूनतम 10 फीसदी होनी चाहिए। इस स्थिति को हासिल करने के लिए सेबी ने निजी कंपनियों को 13 जून, 2013 तक का और सरकारी कंपनियों को 13 अगस्त 2013 तक का समय दिया है।

इसके अलावा सरकार ने 2013-14 कारोबारी साल में सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 40 हजार करोड़ रुपये और गैर-सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके कारण निवेश लंबी अवधि के लिए लिवाली से बच सकते हैं।

मार्किट इकनॉमिक्स मंगलवार को देश के सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन का मासिक जायजा प्रस्तुत करेगी। बैंक से लेकर अस्पताल तक सेवा क्षेत्र की 400 कम्पनियों के सर्वेक्ष्ण पर आधारित एचएसबीसी मार्किट सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जनवरी में उछल कर 57.5 पर पहुंच गया था, जो दिसम्बर 2012 में 55.6 पर था। उल्लेखनीय है कि सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में 60 फीसदी योगदान करता है।

निवेशक 15 मार्च तक जमा होने वाली मौजूदा कारोबारी साल के लिए अग्रिम कर भुगतान की चौथी किश्त पर भी नजर रखेंगे, जिससे कंपनियों की चौथी तिमाही की आय का संकेत मिलेगा।
सरकार ने चालू बजट सत्र में कई विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित कराने की योजना रखी है। इन विधेयकों में फॉरवार्ड कंट्रैक्ट (नियमन) संशोधन विधेयक-2010, पेंशन फंड रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी विधेयक-2011, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन विधेयक-2011, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2011 और बीमा कानून (संशोधन) विधेयक-2008 शामिल हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक 19 मार्च 2013 को 2012-13 के लिए मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा करने वाला है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) मंगलवार 12 मार्च को औद्योगिक उत्पादन और ग्रामीण और शहरी भारत के लिए उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़े प्रस्तुत करेगा। सीएसओ गुरुवार 14 मार्च को थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े प्रस्तुत करेगा। ये आंकड़े रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

वैश्विक पटल पर यूरोपीय केंद्रीय बैंक का प्रशासकीय परिषद गुरुवार को यूरो क्षेत्र के लिए ब्याज दर पर फैसला लेगा। यूरो क्षेत्र में 1999 में यूरो मुद्रा अपनाने वाले 17 यूरोपीय देश आते हैं। इसी दिन बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति समिति भी ब्याज दर पर फैसला लेगी। (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 3, 2013, 09:38

comments powered by Disqus