Last Updated: Wednesday, April 24, 2013, 13:50

नई दिल्ली : संप्रग के दूसरे कार्यकाल के दौरान आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार अगले दो से चार महीनों में और पहल करेगी। साथ ही उन्होंने संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख विपक्षी दल से सहयोग की मांग की। जल्दी चुनाव की संभावना से इन्कार करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार और 13 महीने तक बनी रहेगी और छोटी लेकिन महत्वपूर्ण पहल करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश आठ फीसद की वृद्धि दर प्राप्त कर सके।
चिदंबरम ने कहा ‘‘बहुत कुछ करने की जरूरत है। शेष विधेयकों को पारित किया जाना है। कई और कदम उठाने हैं। जिनमें से कुछ कार्यकारी होंगे जिसमें दो से चार महीने का वक्त लगेगा।’’ चिदंबरम ने ब्रिटेन की पत्रिका द इकॉनामिस्ट द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा ‘‘हम छोटे और उल्लेखनीय कदम उठाते रहेंगे। हम कुछ बड़ी पहलों को आगे बढ़ाएंगे। भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होता रहेगा।’’ चिदंबरम ने संसद में भूमि अधिग्रहण, बीमा और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयकों को पारित कराने में विपक्षी दल से यह कहते हुए सहयोग मांगा कि आर्थिक मुद्दों पर फैसला द्विपक्षीय सहमति से होना चाहिये।
उन्होंने कहा ‘‘हमने उन मुद्दों की सूची बनाई है जो हम करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित हो . बीमा विधेयक क्षेत्र में 49 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान के साथ पारित हो। मैं मुख्य विपक्षी दल और अन्य राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील करता हूं।’’ वित्त मंत्री ने कहा ‘‘हम चाहते हैं कि कोयला और सड़क क्षेत्र के लिए नियामक बने .. हम चाहते हैं रेल किराया प्राधिकार हो जो रेलवे के लिए किराया तय करे।’’ चिदंबरम ने पिछले दिनों सरकार द्वारा सुधारों को बढ़ाने की दिशा में की गई पहल का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को नियंत्रण मुक्त करने और चीनी क्षेत्र को आंशिक तौर पर नियंत्रण मुक्त करने जैसे कठिन फैसले करने में कामयाब रही। मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विदेशी और घरेलू निवेशक का भरोसा भारतीय अर्थव्यवस्था में बरकरार रहे। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.1 से 6.7 फीसद तक रहेगी जो कि 2012-13 में दर्ज पांच फीसद वृद्धि के मुकाबले अधिक है।
चिदंबरम ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की तय सीमा पर फिर से विचार करने की जरूरत है। ये सीमायें काफी पहले तय की गई थीं। उन्होंने कहा ‘‘हमें अपनी अर्थव्यवस्था को और खोलने की जरूरत है। एफडीआई के लिये और गुंजाइश रखनी चाहिए .. एफडीआई सीमायें यदि अब उपयोगी नही रह गईं हैं तो इन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिये।’’ रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के तहत - दो अलग-अलग समितियां - विदेशी निवेश के विभिन्न आयामों पर विचार कर रहीं हैं, जिसमें एफडीआई की सीमा खत्म करना अथवा बढ़ाना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि चालू खाते के बढ़ते घाटे की समस्या से निपटने के लिए भी एफडीआई को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2012-13 में यह पांच फीसद से नीचे रह सकता है।
मंत्री ने कहा ‘‘चालू खाते का घाटा सचमुच उच्च स्तर पर है .. यह राजकोषीय घाटे से ज्यादा चिंताजनक है। 2012-13 में यह 90 से 94 अरब डालर रहने की उम्मीद है। इसका एक संतोषजनक पहलू यह है कि हमने इसकी भरपाई के लिये अपने विदेशी मुद्रा भंडार से निकासी किये बगैर धन की व्यवस्था कर ली। इस दौरान विदेशी मुद्रा प्रवाह काफी अच्छा रहा।’’ मंत्री ने उम्मीद जताई कि 2012-13 के दौरान चालू खाते का घाटा करीब पांच फीसद रहेगा और आने वाले दिनों में हम इसे कम करेंगे .. इसके लिये निर्यात को प्रोत्साहित करना होगा।
उन्होंने कहा ‘‘यदि हम तेल की खपत 10 फीसद कम करें तो हम 17 अरब डालर बचा सकते हैं .. और यदि हम सोने के प्रति अपने आकषर्ण को कम कर सकें तो हम अरबों डालर की और बचत कर सकते हैं। यह मुश्किल काम है लेकिन मुझे भरोसा है कि हम विदेशी मुद्रा प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए जिस तरह की पहल कर रहे हैं उससे हम इसे घटा सकेंगे।’’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 24, 2013, 13:38