अर्थव्‍यवस्‍था में आई नरमी: आरबीआई - Zee News हिंदी

अर्थव्‍यवस्‍था में आई नरमी: आरबीआई




मुंबई : रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक परिस्थिति, घरेलू नीतियों की अनिश्चितत और सख्त मौद्रिक उपायों के मिले जुले असर के कारण देश की अर्थव्यवस्था में नरमी आई है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर में और कमी के खतरे के प्रति आगाह किया है।

 

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की आज जारी मध्य तिमाही समीक्षा में कहा है कि आर्थिक वृद्धि की गति निश्चित तौर पर कम हो रही है। यह कई बातों का सम्मिलित प्रभाव है। इनमें अनिश्चित वैश्विक वातावरण, मौद्रिक नीति की कड़ाई और घरेलू स्तर पर नीतिगत अनिश्चितता। उल्लेखनीय है कि इस समय संसद में बीमा और पीएफआरडीए विधेयक जैसे कई प्रमुख आर्थिक कानून संसद में लंबित हैं वहीं सरकार ने हाल ही में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र को विदेशी निवेशकों के लिए खोलने के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।

 

मुख्य ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने के आज के फैसले से पहले केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए 13 बार नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यूरो क्षेत्र के संकट के बीच अक्तूबर से वैश्विक आर्थिक हालात उल्लेखनीय रूप से बिगड़े हैं और यह भारत समेत उभरते बाजार की अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) के लिए खतरा है। चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के बारे में पहले जाहिर 7.6 फीसदी के अनुमान का हवाला देते हुए आरबीआई ने कहा कि वैश्विक और घरेलू वृहत्-आर्थिक हालात को देखते हुए दूसरी तिमाही (अक्‍टूबर) की समीक्षा में आरबीआई ने वृद्धि दर में कमी का अनुमान जाहिर किया था उसमें उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी हुई है।

 

अक्‍टूबर में आरबीआई ने उच्च मुद्रास्फीति और वैश्विक नरमी को मुख्य वजह बताते हुए वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.6 फीसदी कर दिया जो इससे पहले आठ फीसदी था। सरकार ने पहले ही आर्थिक वृद्धि का अनुमान नौ फीसद से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है।

 

वहीं, रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि में गिरावट के जोखिम को देखते हुये नीतिगत ब्याज दरों में बेशक इस बार कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के जोखिम के प्रति सतर्क किया है और कहा है मांग और आपूर्ति की स्थिति बिगड़ने से यह फिर बढ़ सकती है। रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि मुद्रास्फीति का उंचा जोखिम बना हुआ है, मांग और आपूर्ति ताकतों के परिणामस्वरुप यह बहुत जल्दी फिर से बढ़ सकती है।

 

रुपया भी दबाव में है। इस लिहाज से आगे के किसी भी कदम का समय और उसका दायरा इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले महीनों में ये कारक किस करवट बैठते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति की आवधारणा दोनों ही फिलहाल उसके संतोषजनक स्तर से ऊपर है। लेकिन बैंक ने भरोसा दिया है कि आने वाले महीनों में इसका दबाव कम होगा। 

(एजेंसी)

First Published: Friday, December 16, 2011, 16:29

comments powered by Disqus