Last Updated: Saturday, January 7, 2012, 17:13
मुंबई : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आने वाले महीनों को मुश्किल बताते हुए कहा कि रुपए पर दबाव बना रहेगा और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर 7.5 प्रतिशत से कम रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘रुपए पर दबाव के पीछे मुख्य तौर पर वैश्विक परिस्थितियां ही जिम्मेदार हैं और जब तक यूरोप के सरकारी ऋण संकट का कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं होता है रुपए पर यह दबाव बना रहेगा।’ मुखर्जी शनिवार को एक टीवी न्यूज के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही मुश्किल हो सकती है और वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत से नीचे गिर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 4.6 के अनुमानित राजकोषीय घाटे को हासिल करना मुख्य चुनौती होगी। मुखर्जी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में हमारे सामने आगे तीन महीने मुश्किल होंगे। वर्ष 2011-12 के लिए हमारी आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत या फिर इससे कम हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार को समय के अनुरुप नीतियां बनाने के लिए तैयार रहना होगा। सुधार प्रणाली, नियामक ढांचे में सुधार और आने वाले संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए संस्थानों को तैयार रखना होगा।
मुखर्जी ने कहा रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के बीच संतुलन जैसे मुख्य चिंताओं पर गौर करना होगा। रिजर्व बैंक 24 जनवरी को चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति की समक्षा पेश करेगा। केन्द्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत तक नीचे लाने का अनुमान लगाया था। पिछले वर्ष यह 4.7 प्रतिशत रहा था। वित्त वर्ष 2010.11 में आर्थिक वृद्धि की दर 8.5 प्रतिशत रही थी। जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि 7.3 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कई मोर्चों पर आगे बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। पूरी उम्मीद है कि इसका फल अवश्य मिलेगा।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, January 7, 2012, 22:43