Last Updated: Thursday, September 22, 2011, 09:11
न्यूयार्क : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वीरवार को बताया कि भारत इस साल आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने में सफल होगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक हालात चिंताजनक बने हुए हैं. उन्होंने यहां आयोजित निवेशक मंच में प्रमुख भारतीय उद्योगपतियों के साथ बैठक के बाद कहा कि इस साल भी हमारी वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहेगी, हालांकि पहली तिमाही में यह आकड़ा 7.7 प्रतिशत रहा था. उन्होंने कहा कि अच्छा मानसून कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर चार प्रतिशत से अधिक सुनिश्चित कर सकता है और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की वृद्धि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हमारे लिए इस साल लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करना संभव होगा.
मुखर्जी ने कहा कि भारत ने 12वीं योजना (2012-17) में नौ प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है और सरकार इस दिशा में बढ़ने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है. रुपये के परिदृश्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक हालात पर निगाह रखे हुए है.
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर इसे बहुत कुछ स्पष्ट कर चुके है कि जरूरत होने पर केंद्रीय बैंक हस्तक्षेप करेगा. मुखर्जी ने जिक्र किया कि अंतरराष्ट्रीय माहौल विशेषकर यूरो जोन के देशों में जीडीपी की तुलना में सरकारी ऋण का उंचा अनुपात तथा औद्योगिक देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार की धीमी गति चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों में मुद्रास्फीति दबाव तथा मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव गंभीर चिंता बन गया है. मुखर्जी ने हालांकि यह भी विश्वास जताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक नेतृत्व इस मौजूरा संकट से भी उबार लेगा जैसा कि 2008 के संकट के समय हुआ था और भारत की वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रहेगी. मुखर्जी आईएमएफ तथा विश्व बैंक की सालाना बैठक में भाग लेने के लिए यहां आए हैं. इसकी के साथ वे ब्राजील, रूस, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका <ब्रिक> देशों के वित्तमंत्रियों की बैठक में भी भाग लेंगे.
मुखर्जी ने कहा कि हम यूरो जोन संकट पर अपनी रणनीति पर भी विचार करेंगे. यूएसआईबीसी के कार्यक्रम में मुखर्जी ने कहा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के असर से कोई देश नहीं बच पाया है.
First Published: Thursday, September 22, 2011, 14:41