आपूर्ति क्षमता वाले क्षेत्रों पर ध्यान दें DRDO:पीएम

आपूर्ति क्षमता वाले क्षेत्रों पर ध्यान दें DRDO:पीएम

आपूर्ति क्षमता वाले क्षेत्रों पर ध्यान दें DRDO:पीएम नई दिल्ली: कुछ प्रमुख सैन्य परियोजनाओं में विलंब के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि रक्षा खरीदों में स्वदेशी सामान बहुत कम हैं। उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा जिनमें उसके पास समुचित समय में आपूर्ति करने की क्षमता है।

गौरतलब है कि डीआरडीओ की हल्के लड़ाकू विमानों तथा इनके लिए कावेरी इंजन के विकास सहित कई परियोजनाओं में विलंब होने से उनकी लागत और तय समय में वृद्धि हो गई है।

प्रधानमंत्री ने यहां डीआरडीओ के प्रौद्योगिकी पुरस्कार समारोह में कहा ‘सच यह है कि रक्षा खरीद में स्वदेशी तत्वों का हिस्सा बहुत कम है। हमें हमारी परियोजनाओं पर गहनता से विचार करने तथा उन चयनित क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है जहां हमने तर्कसंगत समय और लागत में परियोजनाओं की आपूर्ति में क्षमता हासिल की है।’

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सामरिक एवं सुरक्षा वातावरण की स्थिति बिगड़ी है। हमारे पड़ोस में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ी है। इसके अलावा पश्चिम एशिया में गृह युद्ध, आतंकवाद तथा साइबर सुरक्षा आदि ने मिल कर हालात को बहुत जटिल चुनौतियों वाला बना दिया है। इन स्थितियों से परंपरागत और प्रौद्योगिकी आधारित दोनों तरीकों से निपटना होगा।

शस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए सिंह ने कहा, सवाल यह है कि हम किस तरह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और मंच हासिल कर सकते हैं और इसी के साथ साथ कैसे स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ा सकते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दीर्घकालिक संदर्भ में देश को निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों में ऐसा घरेलू रक्षा उद्योग तैयार करना होगा जो प्रौद्योगिकी विकास में, वाणिज्यिक मानकों पर और उपभोक्ता की संतुष्टि के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके।

नरेश चंद्र समिति की रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समिति ने रक्षा उत्पादन और उच्च प्रौद्योगिकी वाले उद्योगों का स्वदेशीकरण बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ परामर्श और सहयोग से एक दीर्घकालिक नीति बनाने का सुझाव दिया था।

उन्होंने कहा ‘रविन्द्र गुप्ता की अगुवाई वाली एक समिति इन पहलुओं पर विचार कर रही है और इसके निष्कर्ष का मुझे इंतजार है।’ सिंह ने कहा कि वह एक बड़ी प्रणाली पर एक मुख्य राष्ट्रीय परियोजना देखना चाहेंगे जिसमें डीआरडीओ अपने अनुसंधान एवं विकास की दक्षता का, हमारे निजी क्षेत्र में उपलब्ध उत्पादन एवं परियोजना प्रबंधन कौशल के साथ उपयोग कर सके।

उन्होंने कहा ‘‘इस तरह का सहयोग डीआरडीओ के काम में गहरा प्रभाव लाएगा और संगठन अनुसंधान तथा विकास के अपने मुख्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।

First Published: Tuesday, July 31, 2012, 15:12

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